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Central Dogma of Life in hindi , जीवन का केन्द्रीय सिद्धान्त क्या है , केन्द्रीय डोग्मा से आप क्या समझते हैं ? प्रतिलेखन का विस्तृत वर्णन कीजिए।

जानिये Central Dogma of Life in hindi , जीवन का केन्द्रीय सिद्धान्त क्या है , केन्द्रीय डोग्मा से आप क्या समझते हैं ? प्रतिलेखन का विस्तृत वर्णन कीजिए।

जीवन का केन्द्रीय सिद्धान्त – अनुलेखन (Central Dogma of Life-Transcription)

परिचय (Introduction )

अनुलेखन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा डीएनए के एक सूत्र पर अंकित आनुवंशिक सूचना एक नये प्राथमिक m-आरएनए (m-RNA) अणु पर कॉपी होकर स्थानान्तरित हो जाती है। यह सूचना न्यूक्लियोटाइड क्षार अनुक्रम के रूप में अंकित रहती है। m – आरएनए पर जो सूचना स्थानान्तरित होती है वह डीएनए टेम्पलेट पर उपस्थित क्षार अनुक्रमों का पूरक (complementary) होती है। इसे ऐसे के अणु भी समझा जा सकता है कि अनुलेखन वास्तव में वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा m-आरएनए का निर्माण होता है जिसमें डीएनए के एक अणु को टेम्पलेट की तरह प्रयोग करके इस पर अंकित आनुवंशिक सूचना का स्थानान्तरण डीएनए से m-आरएनए पर होता है।

‘डीएनए के एक सूत्र से जो सूचना अनुलेखित होती है उसे प्राथमिक अनुलेखन (primary transcript) कहते हैं। इसमें एक्जॉन (कोडिंग जीन्स) तथा इन्ट्रॉन (नॉनकोडिंग जीन्स) दोनों उपस्थित रहते हैं अतः पूर्ववर्ती (प्री) m – आरएनए का अविकसित एकसूत्री m-आरएनए है जो डीएनए टेम्पलेट से अनुलेखन द्वारा कोशिका के केन्द्रक में संश्लेषित होता है। इसमें अधिक मात्रा में विषमांगी केन्द्रक आरएनए ( heterogenous nuclear RNA – hnRNA) उपस्थित रहता है। प्री m-RNA की प्रक्रियाओं (processing) के दौरान इन्ट्रॉन (non coding genes) स्प्लाइसिंग द्वारा हटा दिये जाते हैं (यह प्रक्रिया स्प्लाइसिंग द्वारा स्प्लाइसियोजोम (spliceosome) में सम्पन्न होती है) तथा यह विकसित m-आरएनए में परिवर्तित होता है तथा m-आरएनए कहलाता है। इसमें मात्र एक्जॉन (coding genes) ही उपस्थित रहते हैं।

इसके साथ ही एक अन्य प्रक्रिया कैपिंग (capping) के तहत यूकेरियोटिक प्री 5′ सिरे पर कैप जुड़ जाती है। साथ ही श्रृंखला का दीर्घीकरण ( elongation) चलता रहता है। एक बार – श्रंखला का दीर्घीकरण समाप्त हो जाने के पश्चात् 3’ सिरे पर एक पालि A टेल भी है। यह m-आरएनए को अपघटन से सुरक्षित करती है। इस प्रक्रिया के सम्पन्न होने के पश्चात् पूर्ववर्ती m-आरएनए से इन्ट्रॉन हट जाते हैं जिसके पश्चात् m – आरएनए विकसित होकर केन्द्रक से बाहर आकर सायटोप्लाज्म में स्थानान्तरित हो जाता है।

इन्ट्रॉन नॉन कोडिंग जीन है जो स्प्लिट जीन का भाग है। यह पूर्ववर्ती m – आरएनए अनुलेखन में उपस्थित रहते हैं तथा आरएनए प्रोसेसिंग के पश्चात् हट जाते हैं तथा तुरंत अपघटित (degrade) हो जाते हैं।

यूकेरियोट में अनुलेखन (Transcription in Eukaryotes)

प्रोटीन भी जीवों में उपस्थित अत्यन्त महत्वपूर्ण अणु है। अमीनो अम्लों के संघनित होने से प्रोटीन निर्मित होते हैं। यह प्रोटीन आकार में न्यूक्लिक अम्लों की भांति जटिलता तथा विभिन्नता प्रदर्शित करते हैं तथा पादपों में उपस्थित सभी विभिन्नताओं एवं उनके जीवन की आनुवंशिक सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचाने की जिम्मेदारी न्यूक्लिक अम्लों के साथ-साथ प्रोटीन की भी होती है। न्यूक्लिक अम्लों में 4 अक्षरी वर्णमाला (4 letter alphabet) में जो आनुवंशिक सूचना संकेत ( code ) रूप में लिखी होती है, उसको एक बेहतर संतुलित व जटिल प्रक्रिया द्वारा अनुलेखन (transcription) व अनुवाद (translation) द्वारा प्रोटीन में बदल दिया जाता हैं। इस प्रक्रिया में 20 प्रकार के अमीनो अम्ल विभिन्न रूप से संयोजित होकर पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का निर्माण करते हैं। प्रोटीन संश्लेषण के समय विभिन्न अमीनों अम्लों (amino acids = AA ) के अणु (molecules) एक विशिष्ट व निश्चित संख्या व क्रम (number and sequence) में व्यवस्थित रहते हैं। डीएनए का पॉलीन्यूक्लिओटाइड का क्रम ( arrangement) पोलीपेप्टाइड श्रृंखला (polypeptide chain) में अमीनो अम्ल (AA) के अनुक्रम ( sequence) को सुनिश्चित या निर्धारित करता है।

डीएनए अणुओं में स्थित नाइट्रोजन क्षार (nitrogenous bases) एक विशेष अनुक्रम (special sequence) में जुड़ी रहती है जिसमें प्रोटीन अणुओं के संश्लेषण के लिए संदेश (code) उपस्थित रहता है। यह त्रिक या आनुवंशिक कोड (triplet or genetic code) कहलाता है।

पॉल जैमनिक (Paul Zamecnik 1950) ने सर्वप्रथम चूहे की यकृत कोशिकाओं में कोशिका मुक्त (cell free) प्रोटीन संश्लेषण करने में सफलता प्राप्त की थी। अपने शोध के पश्चात् उन्होंने निश्चित रूप से बताया कि राइबोसोम ही प्रोटीन संश्लेषण के स्थल (site) होते हैं एवं इसमें एकल सूत्री आरएनए, m आरएनए, r-आरएनए तथा t-आरएनए (single stranded RNA ) – mRNA, rRNA तथा tRNA प्रमुख भूमिकाएँ निभाते हैं।

आनुवंशिक सूचनाओं के प्रवाह की धारणा (Concept about the flow of genetic Information)

आनुवंशिक सूचनाओं के प्रवाह के लिये तीन अवधारणायें प्रचलित हैं जिनमें आज भी एक दिशि प्रवाह (one way flow) सामान्य परिस्थितियों में सामान्य कोशिका में संभव होता है यह सर्वमान्य तथ्य है।

आनुवंशिक सूचनायें तीन प्रमुख अणुओं के मध्य किस दिशा में प्रवाहित होती है इसके लिये निम्नलिखित अवधारणायें दी गयी है। यह सूचनायें न्यूक्लिक अम्ल व प्रोटीन्स के मध्य संचरित होती है।

  1. एक दिशीय प्रवाह- केन्द्रीय सिद्धान्त (One way Flow – Central Dogma) : आनुवंशिकी सूचनाओं का प्रवाह एक दिशिय होता है। आनुवंशिक सूचनाएँ डीएनए से mRNA पर अनुलेखन (transcription) द्वारा स्थानान्तरित होती हैं। इन सूचनाओं को m – आरएनए विभिन्न प्रकार के आरएनए द्वारा प्रोटीन की भाषा में अनुवाद (translate) करता है जिसे अनुवादन (translation) कहते हैं अत: प्रोटीन संश्लेषण के लिए सूचनाओं का संचार एक दिशा में ही इस प्रकार होता है-

यह केन्द्रीय डोगमा (Central Dogma) के नाम से जाना जाता है। इसके अनुसार प्रोटीन कभी-भी क्षार अनुक्रम के रूप में न्यूक्लि अम्ल को सूचना प्रेषित नहीं करता

  1. विपरीत दिशिय प्रवाह (Reverse Flow) : टेमिन ने 1970 में एक विकर आरएनए निर्भर डीएनए पॉलिमरेज को आरएनए ट्यूमर वायरस से अलग किया। इस विकर को रिर्वस ट्रांस्क्रिपटेज (reverse transcriptase) कहते हैं। इसमें यह गुण होता है कि वह एकल सूत्री वायरल आरएनए जो टेम्पलेट के समान कार्य करता है उससे द्विसूत्री डीएनए बना सकता है। बाल्टीमोर ने भी इसकी उपस्थिति आरएनए ट्यूमर वायरस में स्वीकार की इस वायरस में आनुवंशिक पदार्थ आरएनए होता है किन्तु कभी-कभी डीएनए अपने नियंत्रण नॉन-आनुवंशिक आरएनए के साथ-साथ डीएनए संश्लेषण को भी नियंत्रित करता है। यह रिर्वस प्रवाह कहलाता है।
  2. वृतीय प्रवाह (Circular flow) : यह बैरी कॉमनार (Barry commoner 1968) ने प्रतिपादित किया था। उनके अनुसार डीएनए, आरएनए को अनुलेखन द्वारा प्रोटीन बनाने के लिए सूचनाएँ प्रदान करता है। आरएनए डीएनए द्वारा प्रेषित सूचनाओं का अनुवाद AA में करके प्रोटीन बनाता है। प्रोटीन आरएनए संश्लेषण का निर्देशन करता है और फिर आरएनए डीएनए संश्लेषण का अनुलेखन (transcription) करता है। इस प्रकार यह क्रिया वृत्ताकार रूप में चलती रहती है। ऐसा माना जाता है कि प्रोटीन न्यूक्लिक अम्ल प्रवाह अभी अज्ञात है।

केन्द्रीय सिद्धान्त / (Central Dogma )

जैविक तन्त्र में आनुवंशिक सूचना के प्रवाह को समझाने के लिये सर्वप्रथम फ्रांसिस क्रिक (Francis Crick) ने 1956 में केन्द्रीय सिद्धान्त ( सेन्ट्रल डोगमा) की अवधारणा स्थापित की थी। इसी अवधारणा को उन्होंने 1970 में दोबारा और स्पष्ट रूप में परिभाषित किया। केन्द्रीय सिद्धान्त के अनुसार डीएनए आरएनए निर्मित करता है तथा आरएनए प्रोटीन का उत्पादन करता है। क्रिक द्वारा अनुक्रम की अवधारणा (hypothesis of sequence) कहा गया। इसके अनुसार जैविक तन्त्र में आनुवंशिक सूचना का प्रवाह क्षारक अनुक्रमों का संचरण एक दिशीय अर्थात् न्यूक्लिक अम्ल से प्रोटीन की तरफ ही होता है। अनुक्रमों में निहित आनुवंशिक सूचना कभी भी प्रोटीन से दोबारा प्रोटीन अथवा प्रोटीन से न्यूक्लिक अम्ल में स्थानान्तरित नहीं की जा सकती है।

यह सिद्धान्त वास्तव में क्षार अनुक्रमों में निहित आनुवंशिक सूचना स्थानान्तरण से सम्बन्धित है जिसमें जैविक पॉलिमर जैसे डीएनए, आरएनए एवं प्रोटीन तीनों में ही आनुवंशिक सूचनाओं का आदान प्रदान क्षार अनुक्रमों द्वारा ही होता है। डीएनए अणुओं के क्षार अनुक्रमों द्वारा m-आरएनए अणुओं के पूरक क्षार अनुक्रमों का निर्माण अनुलेखन (transcription) द्वारा होता है। यह m-आरएनए केन्द्रक से बाहर निकल कर सायटोप्लाज्म में स्थानान्तरित होता है। यहाँ m – आरएनए पर उपस्थित क्षार अनुक्रमों द्वारा अमीनो अम्ल का क्रम प्रोटीन अणुओं का निर्माण अनुदन (translation) द्वारा करता है।

केन्द्रीय सिद्धान्त को चित्र – 3 में आगे दर्शाया गया है। क्रिक के अनुसार निम्न तीन स्थानान्तरण सामान्य स्थानान्तरण है-

प्रथम स्थानान्तरण

डीएनए डीएनए का निर्माण प्रतिकृति द्वारा करता है। डीएनए अणु की प्रतिकृति द्वारा निर्मित डीएनए अणुओं का क्षारक अनुक्रम जनक डीएनए अणु के क्षार अनुक्रमों के समान ही होते हैं। ऐसा अर्द्धसंरक्षी प्रतिकृति में जनक डीएनए अणु का क्षार अनुक्रम नये संश्लेषित डीएनए सूत्रों के क्षार अनुक्रमों को निर्धारित करते हैं। यह डीएनए से डीएनए में सूचना का स्थानान्तरण कहलाता है।

द्वितीय स्थानान्तरण

डीएनए से m – आरएनए की तरफ होता है। m – आरएनए में जो क्षार अनुक्रम उपस्थित होते हैं, उनकी सूचना के स्थानान्तरण (तीसरा स्थानान्तरण) से प्रोटीन निर्मित होता है।

जैविक सूचना का विशिष्ट स्थानान्तरण (Special Transfer of Biological Information)

सामान्य अनुलेखन से विपरीत दिशा में अनुलेखन हो तो उसे विपरीत अनुलेखन (Reverse translation) कहते हैं। ऐसा अनुलेखन डीएनए आरएनए की दिशा में न होकर उल्टी दिशा में अर्थात् आरएनए – डीएनए की तरफ होता है। विपरीत अनुलेखन रिट्रो वायरस द्वारा होता है। रिट्रो

वायरस जैसे एड्स वायरस (HIV) इत्यादि में आरएनए एक सूत्री व आनुवंशिक होता है । विपरीत अनुलेखन द्वारा इनमें आनुवंशिक सूचना आरएनए से नये डीएनए में (RNADNA) स्थानान्तरित होती है।

इसी प्रकार से आरएनए प्रतिकृति द्वारा अपनी अनेक कॉपी (RNARNA) निर्मित करता है । यह स्थानान्तरण मात्र वायरस में ही पाया जाता है सामान्य कोशिका में नहीं पाया जाता है। परन्तु अभी तक ऐसी कोई सामान्य स्थानान्तरण ज्ञात नहीं है जिसमें अनुक्रमों में निहित सूचना प्रोटीन से न्यूक्लिक अम्ल अर्थात् प्रोटीन RNA अथवा प्रोटीन DNA स्थानान्तरित हो सके। अतः यह सर्वसम्मति से मान्य अवधारणा है कि अनुक्रमिक सूचना का स्थानान्तरण सामान्य रूप से एक दिशीय ही है जो डीएनएआरएनए प्रोटीन की तरफ ही स्थानान्तरित होती है । विपरीत दिशा में नहीं ।

सारणी- 1: अनुक्रमिक सूचना के प्रवाह की दिशा (Flow of Genetic Information)

सामान्य

(General)

विशिष्ट (Special)अज्ञात (Unkown)
DNA → DNA

DNA ⇒ RNA

RNA Protein

RNA → DNA

RNA → RNA

DNA Protein

Protein →DNA

Protein → RNA

Protein→ Protein

हॉवर्ड टेमिन तथा बाल्टीमोर ने 1970 में एन्जाइम विपरीत ट्रांसक्रिप्टेज (reverse transcriptase) की खोज की थी जिसके लिये उन्हें 1975 में नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया अतः इस खोज के पश्चात् क्रिक ने 1970 में अपने केन्द्रीय सिद्धान्त (Central Dogma) को दोबारा स्पष्ट किया और बताया कि सामान्य स्थानान्तरण व विशिष्ट स्थानान्तरण में सूचना का प्रवाह न्यूक्लिक अम्ल प्रोटीन की तरफ ही संभव है। विशिष्ट स्थानान्तरण विपरीत अनुलेखन द्वारा आरएनए डीएनए की तरफ भी सम्भव हो पाया जो पहले अज्ञात था । अतः एक तीसरी अज्ञात स्थानान्तरण की भी श्रेणी बनायी गयी जो क्रिक के अनुसार अनुक्रमिक सूचना का प्रवाह प्रोटीन से न्यूक्लिक अम्ल की ओर कभी भी संभव नहीं है अतः उनके अनुसार उनका केन्द्रीय सिद्धान्त सामान्य परिस्थितियों में आज भी वैज्ञानिकों द्वारा मान्य है।

एक बार जो अनुक्रमिक सूचना प्रोटीन का निर्माण करती है वह कभी बाहर नहीं आती। अमीनों अम्ल के अवशेषों के अनुक्रम हम प्राप्त कर सकते हैं।