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Cell inclusions in hindi कोशिकीय अन्तर्वस्तु किसे कहते हैं , कोशिकीय अन्तर्वस्तुएँ क्या है उदाहरण

पढ़िए Cell inclusions in hindi कोशिकीय अन्तर्वस्तु किसे कहते हैं , कोशिकीय अन्तर्वस्तुएँ क्या है उदाहरण ?

कोशिका : सामान्य परिचय (Cell : General Introduction) :

यह सर्वविदित है कि कोशिका किसी भी जीवित पदार्थ की सूक्ष्मतम संरचनात्मक एवं प्रकार्यक इकाई है, चाहे वह जीव एककोशिकी (Unicellular) हो, जैसे-जीवाणु माइकोप्लाज्मा, अमीबा, युग्लीना, क्लेमाइडोमोनास व यीस्ट आदि अथवा बहुकोशिकी, जैसे-विभिन्न प्रकार के उच्च पादप व जन्तु कोशिका। सभी जीवों की इस महत्त्वपूर्ण इकाई में जीवित पदार्थ द्रव्य (Cytoplasm) तथा एक या अधिक केन्द्रक (Nucleus) लाइपोप्रोटीन से बनी अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा घिरे रहते हैं। इस अत्यन्त जटिल रासायनिक संगठन वाले जीवित पदार्थ को जीवद्रव्य (Protoplasm) कहते हैं। कोशिकाद्रव्य में विशेष कोशिकांग, जैसे-माइटोकॉन्ड्रीया (Mitochondria), हरितलवक (Chloroplast), राइबोसोम्स (Ribosomes), अन्त:प्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum), गॉल्जी काय (Golgi bodies) आदि पाये जाते हैं, जिनमें कोशिकाओं को जीवित रखने के लिए विशेष जैविक क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं कोशिका के केन्द्रक में उपस्थित संरचनाएँ क्रोमोसोम्स (Chromosomes) में आनुवंशिक पदार्थ डी.एन.ए. है पाया जाता है, जो कि जीन के रूप में कोशिका में होने वाली विभिन्न क्रियाओं का नियमन करता सभी कोशिकाओं में स्वतन्त्र रूप से जनन या पुनरुत्पादन करने की क्षमता होती है।

उपर्युक्त विवरण के आधार पर पृथ्वी पर पाये जाने वाले समस्त जीवों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है :-

(1) अकोशिकीय जीव (Acellular organisms) :

इन जीवों के शारीरिक संगठन में कोशिकीय संरचना नहीं पायी जाती, जैसे – वाइरस (Virus)।

( 2 ) कोशिकीय जीव (Cellular organisms) :

वे जीव हैं जिनका शरीर एक या एक से अधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। जैसे- जीवाणु, पादप व जन्तु।

सभी कोशिकीय जीवों को, उनमें पाये जाने वाले कोशिकीय संगठन के आधार पर दो समूहों में बाँटा गया है।

(i) प्रोकैरिओट्स (Prokaryotes) :

इन जीवों की संरचना प्रोकैरिओटिक कोशिकाओं से होती है। प्रोकैरिओटिक कोशिकीय (Prokaryotic cells) [Pro- Primitive (आद्य), Karyon – Nucleus ( केन्द्रक) ] रचना आद्य व अपूर्ण होती है, क्योंकि इनमें केन्द्रक कला (Nuclear membrane) नहीं होती । आनुवंशिक पदार्थ (Nucleoid) कोशिका द्रव्य में पाया जाता है। कोशिका के अन्य कोशिकांग (Cell organelles ) सुविकसित एवं झिल्ली-आबद्ध नहीं होते हैं, राइबोसोम्स (Ribosomes ) पाये जाते हैं । प्रोकैरिओट्स में एककोशिकी जीव, जैसे- जीवाणु, नीले-हरे शैवाल, क्लोआक्सी जीवाणु, माइकोप्लाज्मा आदि तथा कुछ बहुकोशिकी जीव, जैसे-एक्टीनोबैक्टीरिया (Actinobacteria) तथा मिक्सोबैक्टीरिया (Myxobacteria) को सम्मिलित किया गया है।

(ii) यूकैरिओट्स (Eukaryotes) :

इन जीवों की रचना यूकैरिओटिक कोशिकाओं (Eukaryotic cells) द्वारा होती है। यूकैरिओटिक कोशिकाओं [Eu = well or good or true ( सच्चा ), Karyon = Nucleus ( केन्द्रक)] में व विकसित केन्द्रक पाया जाता है। इनमें केन्द्रक दोहरी झिल्ली से घिरा रहता है। कोशिकाओं के कोशिकांग, जैसे- माइटोकॉण्ड्रिया, हरितलवक इत्यादि भी सुविकसित व दोहरी झिल्ली से घिरे होते हैं। उदाहरणार्थ-यूकैरिओट्स में एककोशिकी जीव यीस्ट, प्रोटोजोआ, कुछ शैवाल व विभिन्न बहुकोशिकी पादप व जन्तुओं को रखा गया है

इन दोनों प्रकार के कोशिकीय संगठनों का विस्तृत अध्ययन आगे के पृष्ठों में दिया गया है।

कोशिका की आकृति (Cell Shape) :

विभिन्न जीवों में कोशिकाओं की आकृति उनके द्वारा होने वाली विशिष्ट क्रियाओं द्वारा निर्धारित होती है। कुछ कोशिकाओं की आकृति अनियमित होती है, जैसे अमीबा व श्वेत रक्त कोशिकाओं की आकृति सामान्यतः गोलाकार होती है, लेकिन विभिन्न कार्यों को करने के लिए कूटपाद (Pseudopodia) का निर्माण होने के कारण इनकी आकृति अनियमित हो जाती है । बहुत-सी जन्तु कोशिकाओं की भी आकृति स्थिर होती है, जैसे – यूग्लीना (Euglena) व पैरामीशियम (Paramecium) । इनमें कठोर प्लाज्मा झिल्ली कोशिका आकृति बनाये रखती है। बहुकोशिकीय जीवों में विभिन्न आकृति की कोशिकाएँ पायी जाती हैं, जैसे- बहुभुजी (Polyhedral), गोलाकार (Spherical), तर्कुरूपी (Spindle-shaped), लम्बवत् (Elongated), शाखित ( Branched ), तश्तरीनुमा (Discoidal ) आदि

कोशिका परिमाप (Cell size) :

कुछ पादप व जन्तु कोशिकाएँ आकार में बड़ी होती हैं, इन्हें नग्न आँखों से देखा जा सकता है। उदाहरणार्थ- पादपों में सायकस (Cycas) पादप का बीजाण्ड तथा जन्तुओं में ऑस्ट्रीच ( Ostrich) चिड़िया का अण्डा आकार में सबसे बड़ी कोशिका होती है। इसी प्रकार मनुष्यों में तंत्रिका कोशिका की पूँछ (Axon) करीब एक मीटर लम्बी होती है । पादपों में मनीला हेम्प के रेशे करीब एक मीटर लम्बाई के होते हैं। एककोशिकी शैवाल ऐसिटेबुलेरिया (Acetabularia) की कोशिका की ऊँचाई 10 सेमी. होती है। लेकिन कुछ कोशिकाएँ इतनी छोटी होती हैं कि उन्हें केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है। इनका व्यास 1 मिमी. से भी कम होता है, अतः इनके आकार को नापने के लिए अग्र इकाइयाँ काम में ली जाती हैं।

कोशिका के माप की इकाइयाँ :

  1. मिली मीटर (mm)—1 mm = 1000 ́ (माइक्रोन)
  2. माइक्रोमीटर (jum) या माइक्रोन ( 11 ) – 1u = 1000 mu (मिलीमाइक्रोन)
  3. नेनोमीटर (nm) या मिली माइक्रोन (mp)
  4. ऐंग्स्ट्रॉम (A)—1A = 10-1 mu = 10-4 u = 10-7 mm
  5. Imu = 10A

माइक्रोन (11) सी. जी. एस. (C.GS.) सिस्टम की इकाई है जो कि 1 मीटर के 1 लाखवें हिस्से के बराबर होती है। एस.आई. (S.I.) सिस्टम में इस इकाई के स्थान पर माइक्रोमीटर um उपयोग जीवाणु ली जाती है। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं का आकार प्रायः I pum स 10 pm तक होता है। सामान्य कोशिका का आकार 0.2 to 5.0um होता है। सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा गेलीसेप्टीकम (Mycoplasma gallisepticum) है, जिसका आकार 0.1 um होता है जो कि जीवाणु कोशिका वाइरस के आकार के मध्य का है।

कोशिका की संख्या (Cell number) :

अधिकतर बहुकोशिकी जीवों में कोशिका की संख्या अनिश्चित होती है, लेकिन कुछ बहुकोशिकी जीव, जैसे- नीमेटोड्स (Nematodes) तथा रोटीफर्स (Rotifers) में कोशिका की संख्या आनुवंशिक रूप से निश्चित होती है। इस प्रकार कोशिकाओं की संख्या निश्चित होना यूटली (Eutely) कहलाता है । कुछ हरे शैवालों जैसे पैंडोराइना (Pandorina) के एक निवह में 16, 32 यो 64 कोशिकाएँ होती हैं ।

कोशिका की सूक्ष्म संरचना (Ultra- structure of the cell) :

इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से कोशिका की जटिल संरचना का विस्तृत अध्ययन सम्भव हो पाया है। पूर्व में कोशिका की संरचना का अध्ययन दो प्रमुख घटकों सायटोसोम (Cytosome) तथा केन्द्रक (Nucleus) के तहत किया जाता था। परन्तु आधुनिक शोधकर्त्ताओं ने अपनी खोजों के आधार पर कोशिका संरचना की विस्तृत जानकारी दी । थ्रेडगोल्ड ( Threadgold, 1969) ने कोशिका को थ्री- फेज सिस्टम (Three phase system) माना ।

इसकी आधारभूत संरचनात्मक इकाइयाँ निम्न हैं-

(1) कलाओं का तंत्र (Membrane system)

(2) सूक्ष्म नलिकाएँ या तन्तु (Microtubules or fibres )

(3) कोशिकीय कण ( Cell granules)

  1. कलाओं का तंत्र (Membrane system) :

इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा कोशिका के अध्ययन से ज्ञात होता है कि कोशिका झिल्लियों का तंत्र है जिसमें कोशिका कला (Cell membrane) से लेकर केन्द्रक कला (Nuclear membrane) तक सभी संरचनाएँ विशेष संगठन वाली झिल्लियों से बनी हैं। इन झिल्लियों का संगठन सभी जगह समान होता है, इसलिए इन्हें इकाई कला (Unit membrane) कहा जाता है । प्रत्येक इकाई कला लाइपोप्रोटीन्स (Lipoproteins) की बनी होती है। इसकी मोटाई 75-100 A तक होती है। रॉबर्टसन ( Robertson, 1959) के द्वारा दिये गये इकाई कला सिद्धान्त के अनुसार यह त्रिस्तरीय प्रोटीन – लिपिड प्रोटीन संरचना है । इसमें प्रोटीन्स की मात्रा लगभग 60% व लिपिड्स की लगभग 40% होती है। यह छिद्रित व अर्धपारगम्य (Semipermeable) होती है तथा विभिन्न प्रकार से कोशिका के अन्दर आने जाने वाले पदार्थों का नियमन करती है।

कोशिका में पाये जाने वाले झिल्ली तंत्र को दो समूहों में बाँटा गया है-

(1) प्रथम समूह में प्लाज्मा झिल्ली तथा उससे बनने वाली रिक्तिकाओं (Vacuoles) को रखा गया है। अन्य झिल्लियों की अपेक्षा प्लाज्मा झिल्ली की मोटाई कुछ अधिक होती है (करीब 90A या _100A)। इसकी त्रिस्तरीय संरचना में अन्दर वाली परत की मोटाई बाहर वाली प्रोटीन पर्त से अधिक होती है।

(2) दूसरे समूह में विभिन्न कोशिकांगों, जैसे- गॉल्जी काम्पलेक्स, माइटोकॉण्ड्रिया, अन्तःप्रद्रव्यी जालिका, केन्द्रक कला तथा लाइसोसोम आदि को घेरने वाली कलाओं को रखा गया है। इन कलाओं की त्रिस्तरीय संरचना में दोनों प्रोटीन स्तरों की मोटाई समान होती है।

  1. सूक्ष्म नलिकाएँ या तन्तु (Microtubules or Fibres) :

ये कोशिकीय संरचना की द्वितीय आधारभूत इकाइयाँ हैं । सूक्ष्म नलिकाएँ इकाई कला के रूपान्तरण से बनने वाली खोखली संरचनाएँ होती हैं। जबकि तन्तु ठोस होते हैं तथा उपतन्तुओं के मिलने से बनते हैं। क्रियात्मक दृष्टि से तन्तु दो प्रकार के होते हैं-

( 1 ) निष्क्रिय संरचनात्मक तन्तु इस श्रेणी में विभिन्न अन्त: कोशिकी तन्तु, जैसे-टोनोफाइब्रिल्स, क्रोमेटिन तन्तु, डी.एन.ए. तन्तु, न्यूरोतन्तु तथा बाह्य कोशिकी कोलाजन (Collagen ) तथा इलास्टिन (Elastin) आते हैं।

( 2 ) सक्रिय तन्तु – इस श्रेणी में स्पिन्डल सूत्र, सीलिया, कशाभिकाएँ तथा मायोसूत्र आते हैं।

  1. कोशिकीय कण (Cell granules) :

कोशिकीय कण कोशिका संरचना की तीसरी आधारभूत इकाइयाँ हैं। कोशिका में पाये जाने वाले विभिन्न कण ठोस, खोखले या कभी-कभी नलिकाओं के काट के रूप में होते हैं। कोशिका में सामान्य रूप से पाये जाने वाले कण राइबोसोम्स तथा माइटोकॉण्ड्रिया में पाये जाने वाले कण हैं ।

इस प्रकार आधुनिक अन्वेषकों मतानुसार प्रत्येक कोशिका त्रि – प्रावस्था तंत्र है जिसमें निम्न प्रावस्थाएँ होती हैं-

(1) बाह्य प्रावस्था – इसके अन्तर्गत कोशिका को चारों तरफ से घेरने वाला द्रव अथवा वे सभी वातावरणीय कारक आते हैं, जो कि प्लाज्मा झिल्ली द्वारा साइटोसोम व केन्द्रक में प्रवेश करते हैं । इस प्रकार कोशिका व वातावरण के मध्य आदान-प्रदान सम्भव हो पाता है ।

( 2 ) आन्तरिक प्रावस्था – यह अनेक कोशिकांगों व केन्द्रक द्रव्य के मध्य उपस्थित तरल हायलोप्लाज्म मेट्रिक्स होता है जो केन्द्रक झिल्ली में उपस्थित छिद्रों द्वारा केन्द्रक से सम्बन्ध बनाये रखता है ।

( 3 ) झिल्ली प्रावस्था – यह प्रावस्था अपने भौतिक व रासायनिक लक्षणों द्वारा बाह्य व आन्तरिक वातावरण के मध्य यांत्रिक दीवार का कार्य करती है तथा केन्द्रक से प्राप्त निर्देश व सूचनाओं को साइटोसोम के विभिन्न भागों में पहुँचाती हैं ।

उपरोक्त विवरण तथा दिये गये फ्लो चार्ट से स्पष्ट है कि एक प्रारूपिक कोशिका में जीवद्रव्य कोशिका का महत्त्वपूर्ण भाग है। यह वास्तव में अनेक घटकों (organelles) के साथ तरल हायलोप्लाज्म मेट्रिक्स तथा अनेक कलाओं, जैसे- कोशिका कला, अन्तः प्रद्रव्यी जालिका आदि का सम्मिलित नाम है। इसे अग्र भागों में वर्णित किया जा सकता है (चित्र 1.3 A, B ) ।

प्रोटोप्लाज्म (Protoplasm) :

(1 ) कोशिका द्रव्य : कोशिका काय (Cytoplasm : Cytosome) :

जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि जीवद्रव्य से केन्द्रक को निकालकर शेष भाग़ कोशिका द्रव्य या कोशिका काय कहलाता है। इसके दो भाग किये जा सकते हैं।

(A) एक्टोप्लास्ट या कोशिका कला (Ectoplast or Cell membrane) :

इसके विषय में ऊपर बताया जा चुका है। यह इकाई कला जीवद्रव्य को आबद्ध किये रहती है । यह एकवर्णकी या अवकलीय पारगम्य कला है, अतः विभिन्न प्रकार से कोशिका के अन्दर आने-जाने वाले पदार्थों का नियमन करती है ।

(B) मीजोप्लास्ट (Mesoplast) :

कोशिका कला के अन्दर शेष कोशिका द्रव्य को मीजोप्लास्ट कहते हैं। इसके अनेक भाग हैं जो एक समांगी व अविरत (homogeneous and continuous) हायलोप्लाज्म (hyaloplasm) में रहते हैं इस द्रव में पड़ी हुई वस्तुएँ कोशिकीय अन्तर्वस्तुएँ (cell inclusions) कहलाती हैं ।

( 2 ) कोशिकीय अन्तर्वस्तुएँ (Cell inclusions) :

ये दो प्रकार की होती हैं-

(A) सजीव अन्तर्वस्तुएँ (Living inclusions) :

ये उपापचयी रूप से सक्रिय कोशिकांग (metabolically active organelles) हैं। ये निम्नलिखित हैं- (1) अन्त: प्रद्रव्यी जालिका, (2) माइटोकॉण्ड्रिया, (3) गॉल्जीकाय, (4) तारककाय, (5) लवक, (6) राइबोसोम्स, (7) माइक्रोसोम्स, (8) लाइसोसोम्स, (9) अन्य सूक्ष्म संरचनाएँ (10) केन्द्रक, (11) रिक्तिकाएँ ।

(B) अजीव अन्तर्वस्तुएँ (Non living inclusions) :

ये कोशिकाओं में होने वाली विभिन्न उपापचयी क्रियाओं के कारण बनने वाले पदार्थ हैं। ये निर्जीव होते हैं। मुख्यरूप से इन्हें तीन भागों में बाँटा जा सकता है- (1) संचित पदार्थ (Reserve material), (2) स्रावक पदार्थ (Secretory materials), (3) उत्सर्जी पदार्थ (Excretory material)।

कोशिका की उपरोक्त संरचना के आधार पर (चित्र 1.3A) में दिखाई गई वनस्पति कोशिका एवं (चित्र 1.3 B) में दिखाई गई जन्तु कोशिका की संरचना का विस्तार से वर्णन अध्याय 3 में यूकैरिओटिक संगठन के अन्तर्गत किया गया है।

अभ्यास-प्रश्न

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न अथवा रिक्त स्थानों की पूर्ति :

  1. सर्वप्रथम पादप कोशिकाओं को सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने वाले वैज्ञानिक का नाम लिखिए ।
  2. कोशिका सिद्धान्त प्रतिपादित करने वाले वैज्ञानिक का नाम लिखिए ।
  3. ““omnis cellula e cellula” अर्थात् कोशिकाएँ नये सिरे से बनती हैं, इस कथन को कहने वाले वैज्ञानिक का नाम लिखिए।
  4. ” प्रोटोप्लाज्म” शब्द देने वाले वैज्ञानिकों के नाम लिखिए ।
  5. वे जीव जिनमें केन्द्रक व झिल्ली आबद्ध कोशिकांगों का अभाव होता है, ……………….कहलाते हैं
  6. कोशिका का संचालन केन्द्र होता है ।
  7. कोशिकांग प्रोकैरियोट्स तथा यूकैरियोट्स दोनों में पाया जाता है-
  8. कौनसा कोशिकांग पादप कोशिका में बहुत कम पाया जाता है ?
  9. कोशिकीय संरचना का कौनसा भाग निर्जीव होता है ?
  10. इलैक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज करने वाले वैज्ञानिकों के नाम लिखिए ।
  11. कोशिकांगों की परासंरचना का अध्ययन……………… द्वारा किया जाता है।
  12. कोशिका सभी जीवों की……………..एवं………………… इकाई कहलाती है।

13………………………………..कोशिका सिद्धान्त का अपवाद है ।

  1. केन्द्रक के अन्दर पाया जाने वाला द्रव्य…………………….. कहलाता है ।

15……………………..ने कोशिका को थ्री फेज सिस्टम माना।

  1. ………………………….का बीजाण्ड सबसे बड़ी पादप कोशिका होती है।
  2. …………………………………की कोशिका की आकृति निरन्तर परिवर्तित रहती है।
  3. केन्द्रक के खोजकर्ता का नाम लिखो ।
  4. ………………………ने कोशिका को त्रि-प्रावस्था तन्त्र माना ।
  5. प्रोकैरियोट्स में केन्द्रकीय पदार्थ………………….. कहलाता है।
  6. आकार में सबसे बड़ी कोशिका का उदाहरण लिखो ।
  7. कोशिकाद्रव्य द्वारा स्रावित पदार्थ का नाम लिखिए ।
  8. 1 A° …………………….. मि.मी. ।

लघूत्तरात्मक प्रश्न :

  1. कोशिका सिद्धान्त को परिभाषित कीजिए ।
  2. प्रोकैरिओट्स एवं यूकैरिओट्स के दो प्रमुख अन्तर लिखिए ।
  3. कोशिकीय अन्तर्वस्तुओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
  4. यूकैरिओटिक कोशिकांगों में पाये जाने वाले चार मुख्य कोशिकांगों के नाम लिखिए ।
  5. ‘यूटेली’ शब्द आप क्या समझते हैं ?
  6. जीवाणु व नीले हरे शैवालों में किस प्रकार का कोशिकीय संगठन पाया जाता है ? निबन्धात्मक प्रश्न :
  7. कोशिका की सामान्य संरचना का वर्णन कीजिए ।
  8. समझाइए कि कोशिका कलाओं का एक तंत्र है ।

उत्तरमाला

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न / रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. रॉबर्ट हुक
  2. श्लीडेन व श्वान
  3. विरच्यु (1858-59)
  4. वॉनमोल व पुरकिन्जे
  5. प्रोकैरियोट्स
  6. केन्द्रक
  7. राइबोसोम्स
  8. कोशिका भित्ति
  9. इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
  10. वाइरस

15.थ्रेड गोल्ड, 1969

17.अमीबा

  1. थ्रेड गोल्ड (1969)
  2. साइकस का बीजाण्ड

23.107 मि.मी.

  1. लाइसोसोम्स
  2. नॉल एवं रस्का
  3. संरचनात्मक एवं क्रियात्मक
  4. केन्द्रक द्रव्य
  5. सायकस
  6. रॉबर्ट ब्राउन ।
  7. न्यूक्लिओइड
  8. रंजक पदार्थ/मकरन्द