पूँजी उत्पादकता किसे कहते है |  पूँजी उत्पादकता की परिभाषा क्या है बताइए capital productivity in hindi

capital productivity in hindi money definition meaning पूँजी उत्पादकता किसे कहते है |  पूँजी उत्पादकता की परिभाषा क्या है बताइए ?

परिभाषा :

पूँजीगत उत्पादकता ः पूँजीगत आदान की तुलना में निर्गत का अनुपात , अर्थात पूंजी इनपुट की तुलना में परिणामस्वरूप आउटपुट , इन दोनों के अनुपात को पूंजीगत उत्पादकता कहते है |

 पूँजी उत्पादकता
1950 और 1960 के दशक के दौरान, भारत में नियोजित औद्योगिक विकास के पहले दो दशकों में भारतीय उद्योग में पूँजी उत्पादकता में भारी गिरावट आई। गिरावट की औसत दर लगभग 1.5 प्रतिशत प्रति वर्ष थी। इस अवधि के दौरान, धातुओं, मशीनों और रसायन उद्योगों के पक्ष में औद्योगिक क्षेत्र की संरचना में स्पष्ट परिवर्तन हुए थे। इन उद्योगों में परम्परागत उद्योगों जैसे वस्त्र की तुलना में अपेक्षाकृत कम पूँजी उत्पादकता है। अतएव, औद्योगिक संरचना में परिवर्तन के कारण पूँजी उत्पादकता में गिरावट आई। पूँजी उत्पादकता में गिरावट विशेष रूप से 1956 से 1965 की अवधि में आई जब गिरावट की औसत दर लगभग तीन प्रतिशत प्रतिवर्ष थी।

जैसा कि तालिका 20.1 में दर्शाया गया है कि भारतीय उद्योग पूँजीगत उत्पादकता में गिरावट आने का क्रम 1970, 1980 और 1990 के दशकों तक चलता रहा। इस अवधि में पूँजी उत्पादकता में गिरावट की औसत दर लगभग 0.7 प्रतिशत प्रतिवर्ष थी।

सारांश
विगत पचास वर्षों के दौरान भारतीय उद्योग में श्रम उत्पादकता और पूँजी गहनता में वृद्धि और पँूजी उत्पादकता में गिरावट की प्रवृत्ति है। श्रम उत्पादकता में अधिकांश वृद्धि का कारण पूँजी द्वारा श्रम का स्थानापन्न था।

श्रम उत्पादकता और पूँजी गहनता में 1951 से 1970 की अवधि के दौरान तीव्र वृद्धि हुई। वर्ष 1970 के दशक में श्रम उत्पादकता और पूँजी गहनता की वृद्धि-दरों में गिरावट आई। वर्ष 1980 से 1997 की अवधि में श्रम उत्पादकता और पूँजी गहनता में औसत वृद्धि-दर प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत से अधिक रही।

1950 और 1960 के दशकों के दौरान भारतीय उद्योग में पूर्ण उपादान उत्पादकता (टी एफ पी) की वृद्धि-दर अत्यधिक कम थी। 1970 और 1980 के दशकों में पूर्ण उपादान उत्पादकता में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई थी। 1990 के दशक में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में पूर्ण उपादान उत्पादकता वृद्धि में गिरावट उल्लेखनीय थी।
उत्पादकता वृद्धि-दरों में व्यापक अंतर-उद्योग भिन्नता थी। पूर्ण उपादान उत्पादकता में उद्योग-वार वृद्धि-दरों का श्रम उत्पादकता और पूंजी उत्पादकता में उद्योगवार वृद्धि-दरों के साथ उच्च सकारात्मक सह संबंध है। अंतर-उद्योग ह्रासमान विश्लेषण से पता चलता है कि उत्पादकता वृद्धि का उत्पादन वृद्धि के साथ सकारात्मक संबंध है जबकि आयात स्थानापन्न की मात्रा, पूँजी-श्रम अनुपात तथा कारखानों की संख्या में वृद्धि की दर के साथ नकारात्मक संबंध है।

ऐसा मानने के कई कारण हैं कि औद्योगिक उत्पादकता पर व्यापार संबंधी उदारीकरण के अनुकूल प्रभाव होते हैं। तथापि, इस परिकल्पना की पुष्टि के लिए हमारे पास निश्चित अनुभव सिद्ध प्रमाण नहीं है।

कुछ उपयोगी पुस्तकें एवं संदर्भ
आई.जे. आहलूवालिया, (1991). प्रोडक्टिविटी एण्ड ग्रोथ इन इंडियन मैन्यूफैक्चरिंग, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, दिल्ली।
बी.एन. गोल्डार, (1986). प्रोडक्टिविटी ग्रोथ इन इंडियन इंडस्ट्री, एलाइड पब्लिशर्स, नई दिल्ली।
बी.एन. गोल्डार, (1992). ‘‘प्रोडक्टिविटी एण्ड फैक्टर यूज एफिसिएन्सी इन इंडियन इंडस्ट्री‘‘ अरुण घोष (संपा.), इंडियन इंडस्ट्रियलाइजेशन: स्ट्रकचर एण्ड पालिसि इश्यूज, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, दिल्ली।

पी. बालाकृष्णन और के. पुष्पांगदन, (1998). ‘‘व्हाट डू वी नो एबाउट प्रोडक्टिविटी ग्रोथ इन इंडियन इंडस्ट्री,‘‘ इकनॉमिक एण्ड पॉलिटिकल वीकली, 15-22 अगस्त।
वी. श्रीवास्तव, (1996) लिबरलाइजेशन, प्रोडक्टिविटी एण्ड कम्पीटीशनः ए पैनेल स्टड़ी ऑफ इंडियन मैन्यूफैक्चरिंग, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, दिल्ली।

व्यापार संबंधी उदारीकरण और औद्योगिक उत्पादकता
कतिपय कारणों के आधार पर कहा जा सकता है कि व्यापार संबंधी उदारीकण से औद्योगिक उत्पादकता को बढ़ावा मिलता है:
क) घरेलू फर्मों पर कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए बढ़ा हुआ प्रतिस्पर्धात्मक दबाव होगा।
ख) आयातित मशीनें, कल पुर्जे अधिक सुलभ होंगे जिससे घरेलू फर्मों की उत्पादकता बढ़ेगी।
ग) व्यापार संबंधी उदारीकण से निर्यात संभावनाएँ बढ़ेगी, घरेलू फर्में अपना विस्तार कर सकती हैं तथा बड़े पैमाने की लागत का लाभ उठा सकती हैं।

विकासशील देशों के लिए औद्योगिक उत्पादकता पर व्यापार संबंधी उदारीकण के प्रभाव पर कई अध्ययन किए गए हैं। कुल मिलाकर अनुभव सिद्ध प्रमाण मिश्रित हैं। इस परिकल्पना कि व्यापार संबंधी उदारीकरण से औद्योगिक उत्पादकता में सुधार होगा के किसी निश्चित आधार की पुष्टि नहीं होती है। कुछ अध्ययनों में व्यापार संबंधी उदारीकरण के अनुकूल प्रभाव पाए गए हैं जब कि अन्य में नहीं। जैसा कि भारत में, कुछ प्रमाणों से पता चलता है कि व्यापारिक प्रतिबंधों का औद्योगिक उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव था। किंतु. प्रमाण काफी संक्षिप्त है। वर्ष 1991 से भारत ने व्यापार के क्षेत्र में काफी उदारीकरण किया है किंतु, उत्पादकता में वृद्धि नहीं हुई है।

बोध प्रश्न 4
1) रिक्त स्थान की पूर्ति करें:
उत्पादकता वृद्धि में अंतर-उद्योग भिन्नता ………………………………… (अधिक/कम) है। पूर्ण उपादान उत्पादकता में उद्योग वार वृद्धि-दरों का श्रम और पूँजी उत्पादकता में उद्योगवार वृद्धि-दरों से…………. (अधिक/कम) सह सम्बन्ध है। उत्पादन वृद्धि-दरों का उत्पादकता वृद्धि के साथ ………….. (सकारात्मक/नकारात्मक) सहसंबंध है।

2) तीन उद्योगों का नाम बताएँ जिनमें 1959-60 से 1985-86 की अवधि में पूर्ण उपादान उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। तीन उद्योगों का नाम बताएँ जिनमें पूर्ण उपादान उत्पादकता में भारी गिरावट आई।
पूर्ण उपादान उत्पादकता में महत्त्वपूर्ण वृद्धि
पूर्ण उपादान उत्पादन में भारी गिरावट
3) भारतीय उद्योग के संबंध में किए गए कुछ उत्पादकता अध्ययनों में पाए गए निम्नलिखित संबंधों का कारण (एक या दो वाक्यों में) बताएँ:
क) निर्गत वृद्धि और उत्पादकता वृद्धि के बीच सकारात्मक संबंध
ख) आयात स्थानापन्न और उत्पादकता वृद्धि में नकारात्मक संबंध
4) यह आशा करने के दो कारण बताएँ कि औद्योगिक उत्पादकता पर व्यापार संबंधी उदारीकरण का अनुकूल प्रभाव होगा।

बोध प्रश्न 4 उत्तर
1) व्यापक; उच्च; सकारात्मक; क्रमशः
2) उपभाग 20.4.1 देखें।
3) (क) उपभाग 20.4.2 देखें; (ख) उपभाग 20.4.3 देखें।
4) भाग 20.5 देखें।