स्वांगीकरण (assimilation meaning in hindi) पाचन का स्वांगीकरण (assimilation of food) egestion

(assimilation meaning in hindi) स्वांगीकरण किसे कहते है , परिभाषा क्या है ? पाचन का स्वांगीकरण (assimilation of food in the digestive system) in english ?

भोजन का स्वांगीकरण : अवशोषित भोज्य पदार्थ रुधिर और लसिका द्वारा परिवहित होता है। लसिका अंत में रक्त परिसंचरण में स्थानांतरित हो जाती है। रुधिर विभिन्न शरीर कोशिकाओं से अवशोषित भोज्य पदार्थो को परिवहित करता है। जहाँ भोज्य पदार्थ जीवित पदार्थ का integral घटक हो जाता है और ऊर्जा , वृद्धि तथा मरम्मत के लिए उपयोग किया जाता है। यही भोजन का स्वांगीकरण कहलाता है।
  • एमीनो एसिड संग्रहित नहीं होते लेकिन ये कोशिका द्वारा प्रोटीन संश्लेषण के साथ संयोजन में ले लिए जाते है। प्रोटीन , वृद्धि एवं मरम्मत में काम आते है। अत्यधिक अमीनो अम्ल ग्लूकोज में और बाद में वसा में परिवर्तित कर दिए जाते है और इस प्रकार संग्रहित किये जाते है। यह एक अनुत्क्रमणीय अभिक्रिया है। अमीनो अम्ल ग्लूकोज में भी परिवर्तित किये जा सकते है और कोशिका के लिए इंधन के रूप में भी प्रयुक्त किये जाते है। ग्लूकोज में परिवर्तन के दौरान अमीनो अम्ल विएमीनीकृत होते है। विएमीनीकरण के लिए यकृत मुख्य स्थल है। i.e. प्रक्रम जिसके द्वारा एमीनोएसिड से एमिनो समूह निकाला जाता है जिसके परिणामस्वरूप अमोनिया का उत्पादन होता है। अमोनिया शीघ्र ही यूरिया में परिवर्तित कर दिया जाता है जो कि रक्त से वृक्क में फ़िल्टर हो जाता है।
  • मोनोसैकेराइड की अधिकता : ग्लूकोज , फ्रक्टोज और गेलेक्टोज सामान्यतया यकृत में संग्रहित किया जाता है और पेशी कोशिकाओं में ग्लाइकोजन के रूप में। जब कभी रक्त में ग्लूकोज की कमी हो जाती है तो ग्लाइकोजन ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है। (ग्लाइकोजिनोलाइसिस) पेशीय ग्लाइकोजन पेशीय संकुचन के दौरान उपभोज किया जाता है। जो शरीर की विभिन्न क्रियाओं के लिए ऊर्जा उत्पादन में काम आती है। ग्लूकोज की एक निश्चित मात्रा वसा में परिवर्तित होती है और इस प्रकार संग्रहित की जाती है।
  • वसा शरीर के वसा जमावों में संग्रहित होता है जैसे सबक्यूटेनियस परत मिसेन्टरी आदि। संग्रहित वसा कोशिका के लिए इंधन के स्रोत के रूप में उपलब्ध रहता है। वसा में ऊष्मा संरक्षण और शरीर तापमान नियमन के साथ संयोजन में महत्वपूर्ण इंसुलेटिंग गुण होता है। वसा में ऊष्मा संरक्षण और शरीर तापमान नियमन का महत्वपूर्ण गुण होता है। वसा फिलिंग या पैकिंग पदार्थो के रूप में अंगो के मध्य रक्षात्मक भूमिका निभाता है। यकृत में फास्फोलिपिड बनते है जो कि रक्त में आ जाते है और सभी कोशिकाओं द्वारा उपयोग किये जाते है। यकृत कोशिकाओं में वसा अमीनों अम्ल और कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित हो जाता है। विटामिन्स , लवण और जल भी विभिन्न उपापचयी क्रियाओं के लिए उपयोगी होते है।

egestion (उत्सर्जन)

क्रमाकुंचन धीरे धीरे आंत्र के अपचित पदार्थो की slurry को बड़ी आंत या कॉलिन में धकेलती है। लगभग 1500 ml काइम प्रतिदिन बड़ी आंत से गुजरता है। कोलोन इन घटकों से अधिकांश पानी इलेक्ट्रोलाइट और आयन्स अवशोषित कर लेता है , यह काइम से परासरण द्वारा सोडियम और जल की सक्रीय पम्पिंग द्वारा होता है। कोलोन का अन्य कार्य रक्त से अधिक लवणों को उत्सर्जन करना है। ई. कोलाई की संख्या जो कि कोलोन की निवासी प्रजाति है , इस अपचित पदार्थ पर रहती है। बदले में यह बैक्टीरिया विटामिन B12 विटामिन K , थायमिन और राइबोफ्लेविन उत्पन्न करता है जो कोलोन की दिवार के आर पार अवशोषित कर लिए जाते है। बाद में यह काइम धीरे धीरे मल के रूप में ठोस हो जाता है। जिसमे 3/4 पानी और 1/4 ठोस पदार्थ।
ठोस पदार्थो में 10 से 20% अकार्बनिक पदार्थ और 30% मृत बैक्टीरिया , 10-20% वसा , 2-3% प्रोटीन , 30% अपचित रेशे और पाचक रसो के शुष्क घटक होते है। मल गुदा द्वारा मल उत्सर्जन प्रक्रिया द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। पित वर्णकों के विखण्डन से स्टरकोबिलिन वर्णक का निर्माण होता है जो कि इसे भूरा रंग प्रदान करता है। मल की बदबूदार गंध स्कैटोल गैस (3-मैथिल इन्डोल) के कारण होती है। जो कि जैविक किण्वन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है।
भ्रूण की आंत में गहरे हरे रंग का म्युसीलेज युक्त पदार्थ मैकोनियम कहलाता है। (इसमें भ्रूण द्वारा निगला गया एक्रिओटिक तरल अवशेष , आंतीय श्लेष्मा और ग्रंथियों से उत्सर्जी उत्पाद का अंश भी सम्मिलित है। )