भोजन का अवशोषण (absorption of food takes place in) , भोजन का अवशोषण कहां होता है , कैसे

भोजन का अवशोषण कहां होता है , कैसे होता है ? absorption of food takes place in ? भोजन का अवशोषण क्या होता है , वसा , कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन आदि का छोटी आंत आदि में संपन्न होना ?

मानव में पचित उत्पादों का अवशोषण (absorption of digested food is done by meaning in hindi) :-

1. मुख गुहा और ग्रासनाल में अवशोषण : भोजन पदार्थो का उचित अवशोषण नहीं होता।
2. आमाशय में अवशोषण : जल , एल्कोहल , अकार्बनिक लवण और ग्लूकोज की कुछ मात्रा आमाशय भित्ति द्वारा अवशोषित की जाती है।
3. आंत्र में अवशोषण : अधिकांश पचित पदार्थ छोटी आंत में अवशोषित किया जाता है। आंत्र (आंत) की आंतरिक सतह पर विलाई और म्यूकोसल एपिथिलियल कोशिकाओं की मुक्त सतह आंत्र की अवशोषण क्षमता को बढ़ाती है। आन्त्रिय कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली के आर पार पोषकों के अवशोषण में विभिन्न प्रक्रम शामिल है जो दो श्रेणियों में विभक्त किये गए है –
A. निष्क्रिय अवशोषण
B. सक्रीय अवशोषण
A. निष्क्रिय अवशोषण : कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन पाचन का अंतिम उत्पाद आंत्रिय एपिथिलियम द्वारा सरल विसरण प्रक्रिया द्वारा अवशोषित किया जाता है। सरल विसरण केवल तब ही उत्पन्न होता है जब –
  • पोषक अणु छोटे और जल में घुलनशील हो।
  • पोषकों की सांद्रता कोशिका के अन्दर की तुलना में आन्त्रिय गुहा में उच्च होती है ताकि पदार्थ उच्च से निम्न सांद्रता की ओर गति करे।
फ्रक्टोज और मैनोज जैसे पदार्थ चयनित विसरण द्वारा अवशोषित होते है। प्लाज्मा झिल्ली का वाहक अणु स्थानान्तरण अणु के साथ जुड़ता है और इसका स्थानान्तरण सरल विसरण की तुलना में तेज हो जाता है।
B. सक्रीय अवशोषण : जब पदार्थ सक्रीय परिवहन द्वारा प्राप्त किये जाते है तो कोशिका द्वारा ऊर्जा खर्च होती है। सक्रीय अवशोषण विसरण से तेज होता है। यदि कोशिकाएं सायनाइड से विषाक्त हो जाती है या ठण्ड द्वारा डिप्रेस हो जाती है तो सक्रीय अवशोषण रुक जाता है।

वसा का अवशोषण

वसा पाचन का अंतिम उत्पाद , मोनो , डाई , ट्राई ग्लिसराइड और वसीय अम्ल है। ये जल में अघुलनशील होते है और सीधे अवशोषित नहीं किये जाते है। पित्त लवणों की सहायता से आंत की गुहा में ये पहले छोटे , गोलाकार , जल में अघुलनशील अणु जिन्हें micells (मीजल्स) कहते है , में समाविष्ट हो जाते है। प्रत्येक micelle अनेक अणुओं का समूह होता है जिसमे वसीय अम्ल ग्लिसराइड , स्टिरोल और वसा घुलनशील विटामिन होती है।
अवशोषित वसीय अम्ल और ग्लिसराइड लसिका कोशिकाओं में छोटी वसा बूंदों के रूप में प्रवेश करते है। इन वसा बूंदों को काइलोमाइक्रोन कहते है। वसा पूरी तरह अवशोषित हो जाता है।
अपवाद : जब पित्त नलिका अवरुद्ध हो जाती है और पित्त ग्रहणी में पहुचने में असफल होता है।