Obelia : sea fur in hindi ओबीलिया परिभाषा क्या है , वर्ग , संघ , कुल , ओबीलिया किसे कहते है ?
ओबीलिया (Obelia : sea fur) :-
वर्गीकरण
संघ : सीलेन्ट्रेटा
वर्ग : हाइड्रोजोआ
गण : हाइड्राइडा
कुल – यूकोपिडी
वंश – ओबीलिया
स्वभाव और आवास : यह एक स्थानबद्ध , समुद्रीवासी , निवही और द्विरूपी जन्तु है। इसका अलैंगिक रूप एक शाखित हाइड्राभ निवह के रूप में पाया जाता है जो प्राय: चट्टानों , पत्थरों , जंतुओं के कवचो , लकड़ी के ढेरो , समुद्री पौधों आदि से चिपका रहता है। लैंगिक रूप एक छाते के समान मुक्तप्लावी अवस्था होती है जिसे मेड्युसा कहते है। यह विश्व के समस्त समुद्रों में प्राय: 80 मीटर की गहराई तक पाया जाता है। इसका निवह प्राय: कोमल , अर्धपारदर्शी और श्वेताभ या हल्के भूरे रंग का होता है। इसके शाखित स्तम्भो को हाइड्रोस्तम्भ कहते है। ये जड़ के समान स्टोलन या हाइड्रोमूल से निकलते है। अलैंगिक निवह में दो प्रकार के जीवक होने के कारण ओबिलिया द्विरुपी होता है लेकिन लैंगिक प्रावस्था में एक और जीवक – मेड्युसी के निर्माण के कारण यह निवह त्रिरूपी हो जाता है। शाखाओं और जीवकों की संरचना में नली के आकार के जीवित भीतरी खोखले भाग को सोनोसार्क कहते है। जिसके चारों ओर एक दृढ और निर्जीव श्रृंगी परत पेरीसार्क होती है। सीनोसार्क के अन्दर की नाल को जठर वाही गुहिका कहते है। पॉलिप जीवक पोषक कार्य करने के कारण गैस्ट्रोजेइड्स कहलाते है। मेड्युसा और लैंगिक अवस्था छाते के आकार की होती है। इसकी बाहरी उत्तल सतह बहि:छत्र (exumbrella) तथा अन्दर की अवतल सतह अवछत्र (sub-umbrella) कहलाती है। मेड्युसा के किनारे से अनेक छोटे छोटे स्पर्शक निकलते है जिन पर दंश कोशिकाएं होती है। अवछत्र पर 4 जनन ग्रन्थियां होती है। ये समान्यत: एकलिंगी जन्तु है।
निषेचन क्रिया या तो समुद्र के जल में बाह्य होती है जहाँ युग्मक स्वतंत्र हो जाते है या जल की धाराओं द्वारा शुक्राणुओं को मादा मेड्युसा तक ले जाया जाता है , जहाँ अंडे शुक्राणुओं द्वारा निषेचित होते है। इसके जीवन चक्र में भ्रूण परिवर्धन के बाद प्लैनुला लार्वा बनता है जो मुक्तप्लावी होता है।
यह प्लैनुला लार्वा किसी सतह से चिपककर वयस्क में रूपांतरित हो जाता है।