प्रति लौह चुम्बकीय ठोस , फेरी चुम्बकीय ठोस (anti ferromagnetic and ferromagnetic solids in hindi)

(anti ferromagnetic and ferromagnetic solids in hindi) प्रति लौह चुम्बकीय ठोस , फेरी चुम्बकीय ठोस : अगर हम ठोसों के चुम्बकीय गुण के आधार पर वर्गीकरण (प्रकार) की बात करे तो ठोस को चुम्बकीय गुणों के आधार पर पाँच भागों में बाँटा जा सकता है जो निम्न है –
4. प्रति लोह चुंबकीय ठोस
5. फैरी चुम्बकीय ठोस
हम यहां केवल अंतिम दो प्रकार के ठोसों के बारे में यहाँ अध्ययन करेंगे क्यूंकि अन्य के बारे में हमने पहले अध्ययन किया है।

प्रति लौह चुम्बकीय ठोस (antiferromagnetic solid)

इस प्रकार के ठोसों में डोमेन लगभग उसी प्रकार अभिविन्यासित रहते है जैसे लोह चुम्बकीय ठोसों में रहते है लेकिन इनमें यह अंतर होता है कि प्रति लौह चुम्बकीय ठोसों में डोमेन एक दुसरे के विपरीत दिशा में स्थित रहते है। अर्थात इन ठोसों में डोमेन का चुम्बकीय आघूर्ण एक दुसरे के विपरीत रहता है। चूँकि इस प्रकार के ठोसों में डोमेन एक दूसरे के विपरीत अभिविन्यासित रहते है इसलिए ये एक दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को निरस्त कर देते है और परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य प्राप्त होता है। ठोसों के इस गुण को ही प्रति लौह चुम्बकीय ठोस कहते है क्यूंकि इनमें परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य है और चूँकि इनमें कोई चुम्बकीय गुण नहीं है।
उदाहरण : FeO , NiO आदि प्रति लोह चुम्बकीय ठोसों के उदाहरण है।
प्रति लोह चुंबकीय ठोसों में डोमेन के अभिविन्यास को निम्न चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है –
5. फैरी चुम्बकीय ठोस (ferromagnetic solids)
इस प्रकार के ठोसों में भी डोमेन लगभग लोह चुम्बकीय ठोसों की भाँती होती है लेकिन इनमें डोमेन एक दुसरे के विपरीत और असमान अभिविन्यासित रहते है। इसलिए इस प्रकार के ठोसों में चुम्बकीय आघूर्ण एक दुसरे से पूरा निरस्त नहीं होता है , असमान डोमेन अभिविन्यास होने से परिणामी कुछ चुम्बकीय आघूर्ण प्राप्त होता है। यही कारण है कि फेरी चुम्बकीय ठोस चुंबकीय क्षेत्र द्वारा दुर्बल रूप से आकर्षित रहते है।
उदाहरण : मेग्नेटाइट , फैराईट आदि।
फेरी चुंबकीय ठोसों में आघूर्ण डोमेन के विन्यास को निम्न प्रकार चित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है –

ताप का प्रभाव

किसी भी ठोस को यदि ताप दिया जाता है तो इन ठोसों के चुम्बकीय गुणों पर ताप प्रभाव पड़ता है जैसे जब किसी लौह चुम्बकीय ठोस को उच्च ताप दिया जाता है तो यह ताप के कारण फेरी चुम्बकीय ठोस में परिवर्तित हो जाता है।
ठीक इसी प्रकार उच्च ताप देने पर प्रति लौह चुम्बकीय ठोस , अनु चुम्बकीय ठोसों में बदल जाते है।
ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि ठोसों में जो चुम्बकीय आघूर्ण डोमेन व्यवस्थित रहते है वे ताप मिलने के कारण अव्यवस्थित हो जाते है जिससे ठोसों के चुम्बकीय गुण बदल जाते है।
उदाहरण : जब NiO को 150K ताप पर यह ठोस प्रति लौह चुम्बकीय ठोस कहलाता है लेकिन इसे 395 K ताप देने पर यह ठोस इस उच्च ताप के कारण अचुम्बकीय ठोस में बदल जाता है।