American Revolution in hindi Causes अमेरिकी क्रांति क्या थी | अमेरिकी क्रांति के कारण और परिणाम बताइए |
अमेरिकी क्रांति
(American Revolution)
सामान्य परिचय (General Introduction)
1492 ई. में स्पेन निवासी कोलंबस द्वारा अमेरिका की खोज की गई। विकास की अपार संभावनाओं के कारण इस क्षेत्र विशेष में यूरोपीय देशों की दिलचस्पी बढ़ने लगी। 18वीं शताब्दी के मध्य तक उत्तरी अमेरिका के अटलांटिक तट के समीपवर्ती क्षेत्रों में ब्रिटेन के अधीन 13 उपनिवेश अस्तित्व में आ चुके थे। ये विविध उपनिवेश एक मिश्रित संस्कृति का आदर्श प्रस्तुत कर रहे थे, जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, हॉलैण्ड, पुर्तगाल आदि देशों के भूमिहीन किसान, धार्मिक स्वतंत्रता के आकांक्षी, व्यापारी एवं बिचैलिए आदि जाकर बस गए थे। भौगोलिक दृष्टि से अमेरिका का उत्तरी भाग मत्स्य झालन हेतु मध्यवर्ती भाग शराब तथा चीनी उद्योग हेतु एवं दक्षिणी भाग कृषि कार्य के लिए समृद्ध क्षेत्र था। यहाँ अंग्रेज़ जमीदारों के अधीनखडे़ बडे कृषि फार्म थे, जिसमें अफ्रीकी गुलामों को सहायता से खेती (विशेषकर तुंबाकू एवं कपास की खेती) की जाती थी।
अमेरिका स्थित कुल 3 ब्रिटिश उपनिवेशो के प्रत्येक गर्वनर शासन का और उसकी कार्यकारिणी समिति के अधीन विधानसभा द्वारा होता था। गवर्नर ब्रिटिश सरकार के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता था। गवर्नर को नियुक्ति ब्रिटिश (Tax) भी लगाती थी। अंततः इस शासन व्यवस्था में अंतिम और विक नियंत्रण ब्रिटिश सत्ता का ही होता वास्तव में ब्रिटिश हितों को ही प्राथमिकता दी जाती थी।
18वीं शताब्दी में इन उपनिवेशों के संबंध से कुछ आपत्तिजनक कारनामों व अन्य परिस्थितयों ने उपनिवेश की जनता में असंतोष एवं घृणा को बढ़ावा दिया जनता इस शोषणकारी औपनिवेशिक सत्ता के विरूद्व उठ खड़ी हुई और अंतत उपनिवेशवासियों का स्वतंत्र अस्तित्व स्थापित हुआ।
अमेरिकी क्रांति के कारण (Causes of American Revolution)
अमेरिकी क्रांति के लिए आर्थिक मामलों भी ब्रिटेन को औपनिवेशिक नीति काफी हद तक जिम्मेदार रही। ब्रिटेन द्वारा स्वहित को विशेष प्राथमिकता दी गई तथा उपनिवेश के हितों को पूर्ण अनदेखा की गई । नेविगेशन एक्ट के तहत उपनिवेशों को व्यापार करने हेतु ब्रिटेन और आयरलैंड के अतिरिक्त किसी दूसरे देश के जहाजो कि प्रयोगपिर प्रतिबंध लगा दिया गया। व्यापारिक अधिनियम के तहत प्रावधान था कि इन उपनिवेशों में उत्पादित होने वाले कपास, चीनी एवं तंबाकू का निर्यात सिर्फ ब्रिटेन को ही किया जा सकता था। दूसरे शब्दों में, यह व्यवस्था उपनिवेशों के हितों के विपरीत ब्रिटेन के हितों के कहीं ज्यादा समीप थी। इस आड़ में इन वस्तुओं की कीमत कम-से-कम मूल्य पर निर्धारित की जाती थी, जो कि अन्यायपूर्ण था। इसके अतिरिक्त ब्रिटेन में निर्मित सामान या तो बिना तटकर या अत्यंत ही कम तटकर चुका कर उपनिवेशों में उतारा जाता था जबकि अन्य देशों के सामान पर भारी तटकर लगाया जाता था। उपनिवेश की जनता को इससे भी भारी परेशानी होती थी। इतना ही नहीं, इन उपनिवेशों को सूती वस्त्र एवं लौह उद्योग स्थापित करने की पूर्ण रूप से मनाही थी तथा इस आवश्यकता की पूर्ति ब्रिटेन से आयातित वस्तुओं द्वारा ही किया जाता था। फलतः इस प्रवृत्ति
ने ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति को जबर्दस्त बढ़ावा दिया और अमेरिका इसके विपरीत दृष्टिकोण से दोयम स्थिति में बने रहने के लिए अभिशप्त रहा।
अमेरिकी क्रांति को बढावा देने में ब्रिटेन एवं फ्रांस के मध्य होने वाले सप्तवर्षीय युद्ध (1756-63 ई.) का भी विशेष महत्व है जिसके फलस्वरूप कनाडा स्थित फ्रांसीसी उपनिवेशों पर ब्रिटेन का अधिकार हो गया। कनाडा पर ब्रिटिश आधिपत्य स्थापित हो जाने से परिस्थिति में व्यापक परिवर्तन आया, क्योंकि इस घटना से पूर्व अमेरिकावासियों को सदैव फ्रांसीसी खतरे की संभावना बनी रहती थी। यही कारण था कि इस मामले में उपनिवेशों में किसी न किसी रूप में ब्रिटेन के प्रति समर्थन की भावना रही, परन्तु सप्तवर्षीय युद्ध के परिणामस्वरूप जब कनाडा की ओर से फ्रांसीसी भय समाप्त हो गया तो इन उपनिवेशवासियों में स्वतंत्रता की भावना विकसित होने लगी।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ग्रिनविलं के कुछ अनुचित कदमों ने उपनिवेशवासियों को भड़काने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सप्तवर्षीय युद्ध में उपरान्त ग्रिनविले द्वारश्अिमेरिकी उपनिवेशवासियों की रक्षा हेतु सेना का गठन किया गया. जिसके लिए होनेवाले खर्च का लगभग
1/3 भाग उपनिवेशवासियों से. ही वसूल करता था। एक अन्य उत्तेजक बात यह भी थी कि मिसीसिपी क्षेत्र रेड-इंडियंस (अमेरिकी मुल निवासी) के लिए सुरक्षित रख दी गई जबकि मुख्य रूप से प्रगतिशील आबादी जिसमें अंग्रेज़, सहित अन्य यूरोपीयन थे, उक्त क्षेत्रों में भी पहुँच स्थापित करना चाहते थे। इस कृत्य से इन आंबदियों में ब्रिटिश प्रधानमंत्री के प्रति असंतुष्टी फैली। विदित है कि उपनिवेशों की आबादी मूलतः अंग्रेज़ जाति से ही भरी थी अर्थात् उपनिवेश को अधिकांश जनता अंग्रेज थी, परन्तु ब्रिटेन के प्रति असंतोष का मूल कारण दोनों के राजनीतिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण में पर्याप्त अंतर का होना था। ध्यातव्य है कि ये अंग्रेज़ अपने मूल देश से बेहतर भविष्य तथा धार्मिक उत्पीड़न से निजात पाने के लिए यहाँ आए थे और ये अपना स्वतंत्र अस्तित्व चाहते थे। इसलिए रंग और रक्त एक होने के बावजूद भी दोनों में पर्याप्त अंतर था।
जिन घटनाओं ने अमेरिकी क्रांति हेतु तात्कालिक कारण की पृष्ठभूमि तैयार की उनमें स्टांप एक्ट आयात कर एक्ट एवं बोस्टन को प्रसिद्ध चाय वाली घटना (बोटन टी पार्टी) की विशेष भूमिका रही। स्टांप एक्ट के तहत उपनिवेश के सभी सरकारी दस्तावेजों एवं कानूनी पत्रों पर सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क का स्टांप लगाना अनिवार्य कर दिया गया। वास्तव में उपनिवेश की जनता इतनी जागरूक एवं स्वतंत्रताप्रिय हो गई थी कि उसने इस ब्रिटिश कानून को अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप माना तथा ऐसा कानून जिसके निर्माण में उपनिवेशवासियों को कोई भूमिका नहीं थी में अपने निर्णायक अधिकार जताने के लिए प्रसिद्ध ‘‘प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं‘‘ का नारा दिया। अंततः उपनिवेशवासियों के प्रबल विरोध के कारण स्टाप एक्ट शीघ्र ही समाप्त कर दिया गया। परन्तु उपनिवेशवासियों में तीव्र रोष उत्पन्न हो गया था इसको अगली कड़ी के रूपन्न अमेरिका में वर्णित आयात कर अधिनियम अस्तित्व में आया। अमेरिकी क्रांति की पृष्ठिभूमि निर्माण मे इसकी सशक्त भूमिका रही। नए आयात कर अधिनियम के तहत उपनिवेश में आनेवाली उपभोक्ता वस्तुएँ जैसे चाय, कागजे शीशा आदि पर तट कर लगाया गया हालाँकि व्यापक जन विरोध के दबाव में आकर ब्रिटिश सता द्वारा आयात कर अधिनियुम वापस ले लिया गया लेकिन चाय पर सह अधिनियम सरकार द्वारा बनाए रखा गया। चाय पर बरकरार रखे गऐ तट-कर का उद्देश्य ब्रिटिश सत्ता द्वारा उपनिवेशों में सांकेतिक रूप से अपनी सर्वाेच्चता साबित करना था जिसे उपनिवेश की जनता किसी भी स्थिति में स्वीकार करने को तैयार नहीं थी। अंतत घटनाक्रमात बोस्टन चाय पार्टी को जन्म दिया जिसमें चाय से लदे ब्रिटिश जहाज को उपनिवेशों द्वारा उतारने से इंकार दिया गया गौरतलब है कि जिला के चाय एक्ट के तहत अमेरिकी उपनिवेशों में चाय कर आपूर्ति का एकमात्र अधिकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के जिम्मे आ गया था उपनिवेश की जनता ने इसे अपना राष्ट्रीय अपमान समझकर विरोध प्रदर्शन किए तथा ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध बोस्टन बंदरगाह पर चाय तो लदे जहाज में भीषण तबाही मचाई इस घटना के उपरान्त, में बदल गई, जिसमें उपनिवेश की सेना को सेनापति जार्ज वाशिगंटन एवं ब्रिटिश सेनापती लार्ड कार्नवालिस था। अमेरिकी स्वतंत्रता के युद्धों में ‘लाफयत‘ के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना का भी सराहनीय योगदान रहा निश्चित रूप से फ्रांस सप्तर्षीयाँ युद्ध के पश्चात् अपनी पराजय का बदला किसी न किसी रूप में ब्रिटेन में लेना चाहता था और यही कारण था कि फीस ने ब्रिटेन के विरुद्ध अमेरिका को सहायता प्रदान की। अंततः 1781 में ब्रिटिश सेनापति कार्निवालिस को भातममाणिकरना पड़ा और 1783 की पेरिस संधि के तहत 13 अमेरिको उपनिवेश की स्वतंत्रता को ब्रिटेन द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
अमेरिकी क्रांति के परिणाम (Consequences of American Revolution)
अमेरिकी स्वतंत्रता युद्ध से पूर्व अमेरिका में 13 ब्रिटिश उपनिवेश थे, जो सभी एक-दूसरे से अलग-अलग थे किन्तु ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध सभी एकजुट हो गए। 1781 ई. में युद्ध की समाप्ति के पश्चात् 13 स्वतंत्र राज्यों ने संघ की स्थापना की तथा एक संघीय
संविधान को स्वीकार किया। यह संविधान 1789 ई. में लागू हुआ और इस रूप में वहाँ गणतंत्र की स्थापना हुई, जो तत्कालीन विश्व की महान उपलब्धि थी। यह संसार का प्रथम लिखित संविधान था। हालांकि शुरुआत में इसमें सीमित मताधिकार था जो संपत्ति एवं धर्म संबंधित कारकों से निश्चित होता था परन्तु कालान्तर में इन बाधाओं को दूर कर मताधिकार को सर्वव्यापी बना दिया गया। अमेरिकी संविधान में ‘बिल ऑफ राइटस‘ (अधिकार संबंधी अधिनियम) का प्रावधान किया गया जिसके अन्तर्गत अमेरिकी नागरिकों को भाषण, प्रेस, धर्म की स्वतंत्रता. कानून के समक्ष समानता आदि जैसे आवश्यक अधिकार प्रदान किए गए।
अगर अमेरिकी क्रांति के सामाजिक पक्ष पर पड़नेवाले प्रभावों को देखा जाए तो क्रांति के पश्चात् वहाँ प्रचलित उत्तराधिकार नियमों में परिवर्तन कर संपत्ति पर पुत्र एवं पुत्रियों को समान अधिकार प्रदान किया गया। क्रांति का एक अन्य महत्त्वपूर्ण प्रभाव दास प्रथा पर पड़ा। 1861 ई. में दासता की परंपरा को समाप्त घोषित किया जा सका।
अमेरिकी क्रांति के प्रभावस्वरूप ही इंग्लैंड की औपनिवेशिक नीतियों में व्यापक परिवर्तन आया. जैसे-उपनिवेशों के प्रति मातृभाव
की भावना पर विशेष बल दिया गया। अमेरिका के इस 13 उपनिवेशों के हाथ से निकल जाने के फलस्वरूप इंगलैंड द्वारा इसकी भरपाई ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड में उपनिवेश की स्थापना कर की गई।
अमेरिकी क्रांति का प्रत्यक्ष प्रभाव फ्रांस की राजनीति पर भी पड़ा। इस क्रांति में फ्रांस द्वारा अमेरिका को सैनिक एवं आर्थिक रूप में से पूरी सहायता दी गई थी। स्वभाविक रूप से अमेरिका में हासिल स्वतंत्रता एवं तत्पश्चात् स्थापित गणतंत्रीय शासन का प्रभाव फ्रांस पर भी पड़ा। अमेरिकी आदर्श, राष्ट्रीयता. स्वतंत्रता. समानता एवं गणतंत्र का प्रभाव फ्रांसीसी जनमानस पर गहन रूप से पड़ा तथा फ्रांसीसों जनता ने इस आदर्श से अभिप्रेरित होकर फ्रांसीसी क्रांति में बढ़-चढ़कर भागीदारी की
अमेरिकी क्रांति की व्यापकं सफलता के पश्चात् विश्व राजनीति में संयुक्त राज्य अमेरिका के नाम से एक शक्ति अस्तित्व में आया। हालाँिक 1860 के दशक में अमेरिकी राज्यों में मुख्य रूप से दास प्रथा तथा पूंजीवाद के प्रश्न पर उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिकी राज्यों में लगभग चार वर्ष तक (1861-65) गृहयुद्ध चला। वस्तुतः उत्तरी राज्यों में औद्योगीकरण तीव्र था जबकि दक्षिणी राज्यों में कृषि व्यवसाय का विशेष प्रचलन था, जहाँ दासता की प्रथा स्पष्ट रूप से प्रचलित थी। अंततः तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के अथक प्रयास से गृहयुद्ध की समाप्ति हो गई एवं दास प्रथा का निस्तारण हुआ और अमेरिका अपने वर्तमान स्वरूप में सामने आया। उत्तर के औद्योगिक पूंजो का प्रवाह एवं निवेश दक्षिणी क्षेत्रों में भी हुआ। इस तरह अमेरिका का समग्र रूप से औद्योगिकरण हुआ तथा इसने एक विकसित देश को पंक्ति में अपने आपको स्थापित किया।