एल्काइन : वे एलिफेटिक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन-कार्बन के मध्य त्रि-बंध उपस्थित होता है , उन्हें एल्काइन कहते है।
इस श्रेणी का प्रथम सदस्य एसिटिलीन या एथाइन होता है , इनका सामान्य सूत्र CnH2n-2 होता होता है।
IUPAC पद्धति में इनके नाम के अंत में अनुलग्न आइन (yne) लगाते है।
एसिटिलीन की अम्लीय प्रवृत्ति
एसिटिलीन या उसके मोनो एल्किल व्युत्पन्नो की अम्लीय प्रवृत्ति होती है , जब एसिटिलीन की क्रिया सोडियम धातु के साथ की जाती है तो मोनो सोडियम एसिटिलाइड व डाई सोडियम एसिटिलाइड बनता है।
H-C≡C-H + Na. → H-C≡C-Na + 1/2H2
H-C≡C-Na + Na → Na-C≡C-Na + 1/2H2
एल्काइन बनाने की सामान्य विधियाँ (alkynes reactions in hindi)
- कैल्शियम कार्बाइड की क्रिया H2Oसे करने पर : कैल्सियम कार्बाइड की क्रिया जल से करने परएसिटिलीन बनती है –
CaC2 + 2H2O → Ca(OH)2 + HC ≡CH
- एसिटिलीन टेट्रा हैलाइड की क्रिया Zn से करने पर : जब एसिटिलीन टेट्रा ब्रोमाइड की क्रिया Zn से की जाती है तो एसिटिलीन बनती है।
- एल्किनिल हैलाइड की क्रिया एल्कोहिलिक KOH से करने पर एसिटिलीन बनती है।
- विस डाई हैलाइड के वि-हाइड्रोहैलोजनीकरण द्वारा : जब एल्केन डाई हैलाइड की क्रिया सोडामाइड के साथ द्रव अमोनिया की उपस्थिति में की जाती है तो एल्काइन बनती है।
- जैम डाई हैलाइड (एल्किलिटिन हैलाइड) के वि-हाइड्रो हैलोजनीकरण से :
(A) एल्किनीडीन डाई हैलाइड की क्रिया एल्कोहली KOH से करने पर एल्काइन बनती है , यह अभिक्रिया दो पदों में समपन्न होती है।
(B) जब एल्किनीडीन डाई हैलाइड की क्रिया सोडामाइट के साथ द्रव अमोनिया की उपस्थिति में की जाती है तो एल्काईन बनती है।
CH3-CH2-CH-Cl2 + 2NaNH2 → CH3-C≡CH + 2NaCl + 2NH3
भौतिक गुण
- इस श्रेणी के प्रथम तीन सदस्य गैस , अगले आठ सदस्य द्रव तथा शेष उच्च सदस्य ठोस होते है।
- ये रंगहीन , गंधहीन होते है।
- अशुद्ध एसिटिलीन की गन्ध लहसून की तरह होती है।
- ये जल में लगभग अविलेय तथा कार्बनिक विलायको में विलेय होते है।
रासायनिक गुण
दो पाई बंध की उपस्थिति के कारण ये अधिक क्रियाशील होती है , इनमें मुख्य इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक अभिक्रिया होती है।
[I] H2 का योग :
(A) प्लेटियम या पैलेडियम की उपस्थिति में एल्काइन में H2 का योग दो पदों में संपन्न होता है।
प्रथम पद में एल्किन तथा द्वितीय पद में एल्केन बनती है।
H-C≡C-H + H2 → CH2=CH2 → CH3-CH3
(B) लिंडलार उत्प्रेरक की उपस्थिति में एल्काईन H2 से क्रिया करके एल्कीन का निर्माण करती है।
[II] हैलोजन का योग : धातु हैलाइडो की उपस्थिति में एल्काइनो में Cl2 व Br2 का योग दो पदों में होता है , प्रथम पद में डाइ हैलो एल्कीन तथा द्वितीय पद में टेट्रा हैलो एल्केन बनती है।
नोट : जब एल्काईन व हैलोजन की समान मात्राएँ ली जाती है तो मुख्य उत्पाद विपक्ष 1-2 डाई क्लोराइड एल्किन बनती है।
[III] हाइड्रोजन हैलाइड का योग : एल्काइन में हाइड्रोजन हैलाइड का योग दो पदों में मॉर्कोकॉफ के नियम के अनुसार होता है।
H-C≡C-H + HBr → CH2=CHBr → CH3-CHBr2
नोट : परॉक्साइड की उपस्थिति में एल्काइन में HBr का योग मॉर्कोकॉफ के नियम के विपरीत होता है।
CH3-C≡CH + HBr → CH3-CH=CHBr
[IV] जल का योग : जब एल्काइन की क्रिया जल के साथ H2SO4 व HgSO4 की उपस्थिति में 60 डिग्री सेल्सियस ताप पर की जाती है तो कर्बोनिल यौगिक (एल्डीहाइड व कीटोन) बनते है।
एसिटिलीन से ऐसीटेल्डिहाइड तथा मोनो एल्किल एसिटिलीन से कीटोन बनते है , यह अभिक्रिया मॉर्कोकॉफ के नियमानुसार होती है।
[V] धातु एसिटिलाइट का निर्माण : एसिटिलीन तथा उसके मोनो एल्किल व्युत्पन्न सोडियम धातु के साथ क्रिया करके एसिटिलाइड बनाते है।
(A) सोडियम से क्रिया : एसिटिलीन या उसके मोनो एल्किल व्युत्पन्न सोडियम धातु से क्रिया करके सोडियम एसिटिलाइड का निर्माण करते है।
2H-C≡C-H + 2Na → 2H-C≡C-Na + H2
2H-C≡C-Na + 2Na → 2Na-C≡C-Na + H2
2CH3-C≡CH + 2Na → 2CH3-C≡C-Na + H2
(B) सोडामाईट से क्रिया : एसिटिलीन या उसके मोनो एल्किल व्युत्पन्न द्रव अमोनिया की उपस्थिति में सोडामाइट से क्रिया करके सोडियम एसिटीलाइड बनाते है।
H-C≡C-H + NaNH2 → H-C≡C-Na + NH2
CH3-C≡C-H + NaNH2 → CH3-C≡C-Na + NH2
नोट : जब मोनो सोडियम एसिटीलाइड की क्रिया द्रव अमोनिया की उपस्थिति में प्राथमिक एल्किल से की जाती है तो उच्च एल्काइन बनती है।
H-C≡C-Na + CH3-Br → H-C≡C-CH3 + NaBr
[VI] बहुलकीकरण : जब एल्काइन को लाल तप्त नलिका में से प्रवाहित किया जाता है तो उसका एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन में बहुलकीकरण होता है।
जब एसिटिलीन को लाल तप्त नलिका में से प्रवाहित किया जाता है तो उसके तीन अणु परस्पर संयुक्त होकर बेंजीन बनाते है।