WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

कठोर जल एवं मृदु जल , जल की कठोरता के प्रकार , धावन सोडा , परम्युटिट विधि (जियोलाइट) या आयन विनिमय विधि

कठोर जल एवं मृदु जल : साबुन के साथ झाग बनाने व नहीं बनाने के आधार पर जल दो प्रकार का होता है –

1. मृदु जल (soft water) : वह जल जो साबुन के साथ आसानी से झाग बनाता है , मृदु जल कहलाता है।
2. कठोर जल (hard water) : वह जल जो साबुन के साथ आसानी से झाग नहीं बनाता है , कठोर जल कहलाता है।

जल की कठोरता के कारण

जल में उपस्थित विलयशील Ca (कैल्शियम) और Mg (मैग्नीशियम) लवण जल की कठोरता के कारण होते है।
जल में उपस्थित ये लवण साबुन के साथ अभिक्रिया करके एक अविलेय यौगिक बनाते है जिससे साबुन का अधिकांश भाग जल में उपस्थित लवणों से अभिक्रिया करने में खर्च हो जाता है।
उच्च कार्बन के वसीय अम्लों के Na (सोडियम) लवणों को साबुन कहते है।
उदाहरण : सोडियम स्टियरेट (C18H35NaO2)
सोडियम स्टियरेट निम्न प्रकार से आयनित होता है –
C18H35NaO2 → C17H35COO+ Na+
घुलनशील सोडियम स्टियरेट कठोर जल के साथ अभिक्रिया करकेCa2+Mg2+स्टियरेट के रूप अवक्षेपित हो जाता है।
2C17H35COONa + M2+ → (C17H35COO)2M + 2Na+
यहाँM2+=Ca2+Mg2+है।
यह कठोर जल धुलाई के लिए उपयुक्त नहीं होता है।

जल की कठोरता के प्रकार

जल की कठोरता दो प्रकार की होती है –
1. अस्थायी कठोरता
2. स्थायी कठोरता
1. अस्थायी कठोरता : जल की अस्थायी कठोरता Ca व mg के बाई कार्बोनेटो की उपस्थिति के कारण होती है।
जल की अस्थायी कठोरता को निम्न दो विधियों द्वारा पृथक किया जा सकता है –
(a) उबालकर (Boiling) : जब जल को उबाला जाता है तो विलेयशील मैग्नीशियम बाई कार्बोनेट , मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड तथा कैल्शियम बाई कार्बोनेट अविलेयCaCO3में बदलता है।
Mg(HCO3)2 → mg(OH)2 + 2CO3

Ca(HCO3)2 → CaCO3 + H2O + CO2

इस अवक्षेप को छानकर पृथक कर लिया जाता है तथा प्राप्त छनित जल ही मृदु जल होता है।
(b) कलार्क विधि (Clark’s method) : इस विधि में कठोर जल की अभिक्रिया बुझे हुए चूने की मात्रा से करने परCaCO3व mg(OH)2अवक्षेपित हो जाते है।
इसे छानकर पृथक कर लिया जाता है तथा प्राप्त छनित ही मृदु जल होता है।
Mg(HCO3)2 + 2Ca(OH)2 → 2CaCO3 + mg(OH)2 + 2H2O
Ca(HCO3)2 + Ca(OH)2 → 2CaCO3 + 2H2O
2. स्थायी कठोरता : जल की स्थायी कठोरता जल में उपस्थितCa2+ व Mg2+के क्लोराइड , सल्फेट या नाइट्रेट के कारण होती है।
जल की स्थायी कठोरता को निम्न विधियों द्वारा पृथक किया जाता है।
(a) धावन सोडा (सोडियम कार्बोनेट के उपचार से) : इस विधि में कठोर जल की क्रिया धावन सोडे से करने परCa2+व Mg2+के क्लोराइड व सल्फेट अवक्षेपित हो जाते है , जिन्हें छानकर पृथक कर लिया जाता है।
mgSO4 + Na2CO3 → mgCO3 + Na2SO4
mgCl2 + Na2CO3 → mgCO3 + 2NaCl
CaSO4 + Na2CO3 → CaCO3 + Na2SO4

CaCl2 + Na2CO3 → CaCO3 + 2NaCl

(b) परम्युटिट विधि (जियोलाइट) या आयन विनिमय विधि : सोडियम एल्युमिनो सिलिकेट [Na2Al2Si2O8] को जियोलाइट कहते है , इसे NaZ से व्यक्त करते है।
जियोलाइट कठोर जल में उपस्थितCa2+व Mg2+से अभिक्रिया करके जल को मृदु बनाता है।
इस विधि में सीमेंट का एक बड़ा टैंक होता है जिसके निचले भाग में रेत की मोटी परत होती है इसके ऊपर परम्यूटिट की परत होती है।
कठोर जल को टैंक के पैंदे में पहुंचाते है तथा यह रेत में छनकर परम्यूटिट से आयन विनिमय अभिक्रिया करता है।
2NaZ + M2+ → MZ2 + 2Na2+
यहाँM2+=Ca2+याMg2+है।

समय के साथ साथ परम्युटिट की कार्य क्षमता कम होती जाती है तथा जब सम्पूर्ण सोडियम समाप्त हो जाता है तब इसे 10% NaCl के जलीय विलयन द्वारा उपचारित किया जाता है एवं पुनः सक्रीय परम्युटिट प्राप्त कर लिया जाता है।
mZ2 + 2NaCl → 2NaZ + mCl2
(C) कैलगॉन विधि : सोडियम हेक्सा मेटा फास्फेट [Na6P6O18] को व्यावहारिक रूप सेकैलगॉन कहते है।
कैलगॉन जल में उपस्थितCa2+Mg2+से क्रिया करके विलेयशील संकुल बना लेता है जिससे जल मृदु हो जाता है।
Na6P6O18 → 2Na2+ + Na4P6O182-

Na4P6O182- + m2+ → 2Na+ + Na2m + P6O182-

(d)संश्लेषित रेजिन विधि : यह विधि सबसे उत्तम विधि है अत: वर्तमान में इस विधि का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है।
धनात्मक विनिमायक रेजिनSO3Hसमूह युक्त जल में अविलेय कार्बनिक यौगिक (R-SO3H) होते है जबकि ऋणायन विनिमायक रेजिनNH2समूह युक्त क्षारीय रेजिन (R-NH2) होते है।
सर्वप्रथम कठोर जल को धनायन विनिमायक रेजिन में से गुजारा जाता है जिससे कठोर जल में उपस्थितCa2+Mg2+रेजिनH+आयनों द्वारा विस्थापित हो जाते है। उपरोक्त जल को ऋणायन विनिमायक रेजिन में से गुजारते है जिससे जल में उपस्थित क्लोराइड सल्फेट तथा बाई कार्बोनेट आयन रेजिन केOHद्वारा विस्थापित हो जाते है।
येH+OHक्रिया कर जल बनाते है।
भारी जल (D2O) : सर्वप्रथम युरे ने भारी जल की खोज की , इसे भारी हाइड्रोजन का ऑक्साइड भी कहा जाता है।
भौतिक गुण :

रासायनिक गुण :


  • धातुओं के साथ क्रिया करके यह ड्यूटीरियम गैस उत्पन्न करता है।

  • धात्विक ऑक्साइड के साथ क्रिया : यह सोडियम ऑक्साइड से क्रिया करके सोडियम ड्यूटीरियो ऑक्साइड बनाता है।

मृदु एवं कठोर जल

जो जल साबुन के साथ आसानी से झाग देता है, उसे मृदु जल और जो जल साबुन के साथ कठिनाई से झाग देता है, उसे कठोर जल कहते हैं।

जल की कठोरता दो प्रकार की होती है – (i) अस्थायी कठोरता, (ii) स्थायी कठोरता।

अस्थायी कठोरताः जल की कठोरता यदि जल को उबालने से दूर हो जाती है, तो इस प्रकार की कठोरता अस्थायी कठोरता कहलाती है। जल की अस्थायी कठोरता जल में बुझा चूना अथवा दुधिया चूना डालने से दूर हो जाती है।

स्थायी कठोरताःजल की कठोरता यदि जल को उबालने से दूर नहीं होती है, तो इस प्रकार की कठोरता स्थायी कठोरता कहलाती है। जल की स्थायी कठोरता उसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम के सल्फेट, क्लोराइड, नाइट्रेट आदि लवणों के घुले रहने के कारण होती है।

जल में सोडियम कार्बोनेट डालकर उबालने से स्थायी एवं अस्थायी दोनों प्रकार की कठोरता दूर हो जाती है।

जल की स्थायी कठोरता दूर करने की मुख्य विधि परम्यूटिट विधि है। (परम्यूटिट सोडियम जीओलाईट को कहते हैं)