WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

लिथियम का असंगत व्यवहार , लिथियम का मैग्नीशियम के साथ विकर्ण सम्बन्ध , सोडियम के यौगिक

लिथियम का असंगत व्यवहार : लिथियम के गुण अन्य क्षार धातुओं से भिन्न होते है तथा मैग्नीशियम के गुणों से अधिक समानता प्रदर्शित करते है। लीथियम तथा मैग्निशियम के इस सम्बन्ध को विकर्ण सम्बंध कहते है।
लिथियम के असंगत व्यवहार के निम्न कारण है –
  • लिथियम परमाणु तथा उसके आयन का आकार छोटा होता है।
  • लिथियम की उच्च आयनन ऊर्जा तथा सबसे कम विद्युत धनी प्रकृति होती है।
  • d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण यह अधिकतम चार संयोजकता प्रदर्शित कर सकता है।
  • लिथियम आयन की ध्रुवण क्षमता अधिक होने के कारण इसके यौगिको में सहसंयोजन गुण अधिक पाए जाते है।

लिथियम का मैग्नीशियम के साथ विकर्ण सम्बन्ध

वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है तथा आवर्त में बाए से दायें जाने पर परमाणु का आकार कम होता जाता है अत:विकर्ण स्थिति में जाने पर परमाणु का आकार लगभग समान होता है इसलिए लिथियम व मैग्नीशियम के आकार लगभग समान होने के कारण इनके गुण समान होते है।
  • लिथियम के गलनांकक्वथनांक अन्य क्षार धातुओं की तुलना में बहुत अधिक होते है लेकिन Mg से लगभग समान होते है।
  • अन्य क्षार धातुओं की तुलना में लिथियम अधिक कठोर धातु है तथा mg भी कठोर धातु है।
  • Li तथा Mg ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके समान ऑक्साइड बनाता है जबकि अन्य क्षारीय धातुएं परा ऑक्साइड व सुपर ऑक्साइड बनाती है।
  • लिथियम हाइड्रोक्साइड , मैग्निशियम हाइड्रोक्साइड की भाँती दुर्बल क्षार जबकि अन्य क्षारीय धातुओं के हाइड्रोक्साइड प्रबल क्षार होते है।
  • Li तथा Mg के कार्बोनेट हाइड्रोक्साइड तथा नाइट्रेट अस्थायी होते है तथा गर्म करने पर विघटित होकर ऑक्साइड बनाते है जबकि अन्य क्षारीय धातुओं के संगत लवण ऊष्मा के प्रति स्थायी होते है।
  • Li केवल जलीय विलयन में ही लिथियम हाइड्रोजन कार्बोनेट बनाता है। ठोस अवस्था में लिथियम हाइड्रोजन कार्बोनेट तथा मैग्नीशियम हाइड्रोजन कार्बोनेट का कोई अस्तित्व नहीं होता है जबकि अन्य क्षारीय धातुओं के ठोस हाइड्रोजन कार्बोनेट का अस्तित्व होता है।
  • अन्य क्षार धातुओं से भिन्न लिथियम तथा मैग्निशियम , नाइट्रोजन से संयोग कर नाइट्राइड बनाती है।
6Li + N2 → 2Li3N
6Mg + 2N2 → 2Mg3N2

2Na + H2 → 2NaH

  • लिथियम तथा मैग्नीशियम के लवण जल में अविलेय होकर या आंशिक विलय होते है जबकि अन्य क्षारीय धातुओं के लवण जल में पूर्ण रूप से विलेय होते है।

उपयोग

1. लिथियम का उपयोग मिश्र धातु बनाने में किया जाता है।
  • Li-Al मिश्र धातु की उच्च तनन क्षमता होती है अत: यह वायुयान के निर्माण में काम में आता है।
  • Li-Mg मिश्र धातु अत्यधिक कठोर तथा जंग रोधक होता है।
  • लिथियम का उपयोग प्राथमिक तथा द्वितीयक विद्युत रासायनिक सेलो में किया जाता है।
2. सोडियम का उपयोग प्रयोगशाला में लैसाने विलयन बनाने में कई कार्बनिक यौगिको के संश्लेषण में अपचायक के रूप में तथा सोडियम-अम्लगम (Na-Hg) बनाने में किया जाता है।
3. सोडियम का उपयोग सिलिकन तथा बोरेन के निष्कर्षण में अपचायक के रूप में किया जाता है।
4. जैविक कार्यो में सोडियम तथा पोटेशियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
5. Cs का उपयोग प्रकाश विद्युत सेल में किया जाता है।

सोडियम के महत्वपूर्ण यौगिक

1. सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3.H2O) : सर्वप्रथमNa2CO3का औद्योगिक उत्पादन इर्नेस्ट साल्वे के द्वारा किया गया , इस प्रक्रम में ब्राइन (NaCl का विलयन) कोNa2CO3में बदला जाता है।
साधारण नमक (NaCl) तथा चुना पत्थर (CaCO3) सामग्री के रूप में काम में आते है।
i. संतृप्त ब्राइन को शुद्ध करके उसमें अमोनिया गैस प्रवाहित की जाती है। अमोनिकृत ब्राइन के संतृप्त विलयन में कार्बन डाई ऑक्साइड प्रवाहित करने पर सोडियम बाई कार्बोनेट बनता है।
(a) NH3 + H2O + CO2 → (NH4)2CO3
(NH4)2CO3 + H2O + CO2 → 2NH4HCO3

NH4HCO3 + NaCl → NH4Cl + NaHCO3

सोडियम बाई कार्बोनेट विलयन में अविलेय होता है अत: इसे छानकर अलग कर लिया जाता है।
(b) सोडियम बाई कार्बोनेट को 150 डिग्री सेल्सियस ताप पर गर्म करते है तो सोडियम कार्बोनेट प्राप्त होता है।
2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2
कार्बन डाई ऑक्साइड को गर्म करके निकाल दिया जाता है।
ii.NH4Clकी लाइम स्टोन से क्रिया कराते है तो अमोनिया प्राप्त होती है जिसे पुनः प्रयोग में लिया जा सकता है।
CaCO3 → CaO + CO2
CaO + H2O → Ca(OH)2

Ca(OH)2 + 2NH4Cl → CaCl2 + 2NH3 + 2H2O
इस प्रक्रम में कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2) सह उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
नोट : इस विधि (साल्वे विधि) के द्वारा पोटेशियम कार्बोनेट (K2CO3) का निर्माण नहीं किया जा सकता क्योंकि पोटेशियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (KCl) विलयन में विलेय होता है।
गुण :

  • यह श्वेत क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है तथा जल में अत्यधिक विलय होता है।
  • इसे धावन सोडा भी कहते है जो डेका हाइड्रेट के रूप में पाया जाता है।
  • ताप का प्रभाव –
Na2CO3.10H2O → Na2CO3.H2O + 9H2O (373K temperature)

Na2CO3.H2O → Na2CO3 + H2O (373K temperature)

  • सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है।
Na2CO3 + 2H2O → 2NaOH + H2CO3
  • अम्ल से क्रिया :-
Na2CO3 + HCl → 2NaCl + H2O + CO2
उपयोग :
  • कास्टिक सोडा (NaOH) ग्लास , साबुन आदि के निर्माण में।
  • जल के मृदुकरण में।
  • धातु कार्बोनेट बनाने में।
  • Na2CO3 + K2CO3के मिश्रण को गलन मिश्रण कहते है , इस मिश्रण का उपयोग गुणात्मक विश्लेषण में अभिकर्मक के रूप में किया जाता है।

2. सोडियम क्लोराइड (NaCl)

साधारण नमक मुख्य रूप से समुद्री जल , खारे पानी के कुँए , झीलों तथा रॉक नमक के रूप में पाया जाता है।
जब समुद्री जल को सूर्य के प्रकाश में वाष्पित किया जाता है तो अपरिष्कृत नमक प्राप्त होता है।
अपरिष्कृत नमक मेंCaCl2
, MgCl
2 , Na2SO4 , CaSO4आदि की अशुद्धियाँ पायी जाती है।
CaCl2व MgCl2की अशुद्धि के कारण साधारण नमक प्रस्वेद होता है।
अपरिष्कृत नमक को जल की न्यूनतम मात्रा में घोलने पर अविलेय अशुद्धि पृथक हो जाती है।
जब विलयन में HCl गैस प्रवाहित की जाती है तो NaCl का क्रिस्टलीकरण हो जाता है।
गुण :
  • NaCl श्वेत क्रिस्टलीय ठोस है।
  • CaCl2व MgCl2की अशुद्धि के कारण यह प्रस्वेद होता है।
  • ताप बढाने पर विलेयता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
उपयोग :
  • साधारण नमक के रूप में।
  • साबुन निर्माण में।
  • खाद्य पदार्थो के संरक्षण में।

3. सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)

आद्योगिक स्तर पर NaOH का उत्पादन कास्टनगर -केलनर सेल में NaCl के विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है।
यह सेल लोहे का बना एक आयताकार पात्र होता है।
इसमें तीन कक्ष होते है जो सेल के तल को नहीं छूते है। बाह्य कक्ष में ब्राइन (NaCl का विलयन) विद्युत अपघट्य के रूप में तथा ग्रेफाइड का एनोड होता है।
केन्द्रीय कक्ष में कास्टिक सोडे का तनु जलीय विलयन तथा आयरन का कैथोड होता है।
तल में पारे (Hg) की परत बिछी होती है।
पहियों के द्वारा सेल को गति प्रदान करते है , इसमें विद्युत प्रवाहित करने पर बाह्य तथा केन्द्रीय कक्षकों में विद्युत अपघटन होता है।
बाह्य कक्ष में अभिक्रिया :
NaCl → Na+ + Cl

H2O → H+ + OH

ClतथाOHआयन ग्रेफाईट एनोड की ओर आकर्षित होते है जबकि Na+H+आयन Hg कैथोड की ओर जाते है।
एनोड पर अभिक्रिया :-
Cl → Cl + e

2Cl → Cl2 + 2e

कैथोड पर अभिक्रिया :-
Na+ + e → Na

Na + Hg → Na-H (सोडियम अम्लगम)

गुण :
  • NaOH सफ़ेद ठोस पदार्थ है।
  • यह जल में अत्यधिक विलेय होता है अत: इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
  • यह वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करकेNa2CO3बनाता है।
2NaOH + CO2 → Na2CO3 + H2O
  • 1300 डिग्री सेल्सियस ताप पर NaOH अपघटित हो जाता है।
2NaOH → 2Na + O2 + H2 (13000 C)
उपयोग :
  • साबुन कागज़ तथा कई रसायनों के निर्माण में।
  • प्रयोशाला में अभिकर्मक के रूप में।
  • शुद्ध वसा व तेलों के निर्माण में।
  • पेट्रोलियम के परिष्करण में।

4. सोडियम बाई कार्बोनेट (NaHCO3)

इसे बेकिंग सोडा भी कहते है क्योंकि यह कई खाद्य पदार्थो के निर्माण में काम में आता है।
यह गर्म करने पर विघटित होकर कार्बन डाई ऑक्साइड के बुलबुले देता है।
सोडियम बाई कार्बोनेट को सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस प्रवाहित करके बनाया जाता है।
Na2CO3 + H2O + CO2 → 2NaHCO3
यह साल्वे विधि के मध्यवर्ती के रूप में बनता है।
उपयोग :
  • यह अग्निशमन यन्त्र में कार्बन डाई ऑक्साइड उत्पन्न करने के कारण उपयोग में लिया जाता है।
  • यह चर्म रोग में मंद पूतिरोधी के रूप में आता है।

tags in English : lithium diagonal relationship ?