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बॉयल का नियम क्या है (Boyle’s law in hindi) बॉयल का नियम किसे कहते हैं , सूत्र , उदाहरण

(Boyle’s law in hindi) बॉयल का नियम क्या है , बॉयल का नियम किसे कहते हैं , सूत्र , उदाहरण दीजिये |
कथन : बॉयल का नियम आदर्श गैस के लिए लागू होता है और यह नियम बताता है कि ” किसी भी आदर्श गैस का आयतन , परम दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है। बशर्ते तापतान को नियत रखा जाये। ”
“अर्थात जब तापमान को नियत रखा जाता है तो आदर्श गैस का आयतन व परम ताप का गुणन नियत माना जाता है ”
V1/P [ताप = नियत]
VP = नियत , जबकि ताप नियत रखा गया।

बॉयल के नियम का गणितीय विश्लेषण

हम जानते है की किसी भी आदर्श गैस के प्रति अणु की औसत गतिज ऊर्जा , परम ताप के समानुपाती होती है।
Mv2/2
 T
Mv2/2=αT ( समीकरण 1)
यहाँ = समानुपाती नियतांक है।
यहाँv2= अणु की वर्ग माध्य चाल है।
T = ताप
चूँकि हमने अणुओं के वर्ग माध्य चाल के बारे में पढ़ा है, कि अणु की वर्ग मध्य चाल परम ताप के वर्ग मूल के अनुक्रमानुपाती होता है।
v  T1/2 (समीकरण 2)
हमने यह भी पढ़ा है की यदि परम ताप T है और आयतन V है तो
PV = mNAv2/3 (समीकरण 3)
समीकरण 1 , 2 , 3 से
PV = 2NAαT/3
यहाँNA, 2/3 ,αव नियत है।
यदि T = ताप भी नियत कर दिया जाए तो
PV = नियत
यही बॉयल का नियम है।
नियत ताप पर , गैस आयतन व परम ताप दोनों का गुणन नियत रहता है।

गैसों का आचरण

 1738 में डैनियल बर्नोली ने हाइड्रोडायनामिका में गैस के अणुगति सिद्धान्त का नियम दिया तथा इसकी पुष्टि james clerk maxwell , rudolf clausius एवं kroning ने किया। बरनोली के अनुसार “सभी गैसें छोटे-छोटे कणों से बनी होती हैं’’ इन कणों को उन्होंने अणु नाम दिया।

 गैस के प्रत्येक अणु एक समान होते हैं और सभी दिशा में गतिशील होते हैं, गैसों के बीच अंतर आण्विक बल नहीं होता है, गैसों की अणु औसत गतिज ऊर्जा उनके परम ताप के समानुपाती होता हैं, गैस के अणु यदि बर्तन की दीवारों से टकराते हैं तो इनके कारण गैस दाब उत्पन्न होता है।

 गैस की गति को तीन प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं

(i) औसत गतिःगैसों की सभी अणुओं की गति के अंकगणितीय औसत को औसत गति कहते हैं।

(ii) मूल गतिःअणुओं की गति की औसत वर्गमूल को मूल-मध्यवर्ग गति कहते हैं।

(iii) अति संभाव्य गतिःकिसी ताप पर सबसे अधिक अणुओं द्वारा धारित गति को अति संभाव्य गति कहते हैं।

 बॉयल का नियमः1662 में बॉयल ने बताया की “स्थिर ताप पर गैस के निश्चित मात्रा का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है’’ अर्थात् बॉयल के अनुसार स्थित ताप पर गैस का दाब बढ़ता है और आयतन घटता है और दाब के घटने से आयतन बढ़ता है।