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बेघर और अनाथ बच्चे क्या होते है | बेघर व अनाथ बच्चों के प्रकार पुनर्वास के उपाय Street children in hindi

Street children in hindi definition meaning बेघर और अनाथ बच्चे क्या होते है | बेघर व अनाथ बच्चों के प्रकार पुनर्वास के उपाय ?

बेघर और अनाथ बच्चे
भारत में बच्चों की एक बड़ी संख्या गरीबी, सामाजिक मूल्यों की क्षीणता, घर के असंतोषजनक वातावरण और संकट के समय सामाजिक सुरक्षा के तरीकों की कमी का शिकार है, जिसके फलस्वरूप वे निराश्रित हो जाते हैं। बेघर और अनाथ बच्चे इन्हीं कारकों की उपज हैं। वे बच्चे अनाथ कहलाते हैं, जिनके माता-पिता में से कोई एक है या माता-पिता दोनों ही हैं पर वे उन्हें त्याग चुके हैं या छोड़ गए हैं। ये निराश्रित बच्चे भी कहे जाते हैं। बेघर बच्चे वे हैं जिनके घर नहीं हैं। ये बच्चे अलग-अलग अतिसंवेदनशील समूहों से आते हैं। फिर भी ये समूह हमेशा परस्पर अनन्य नहीं होते, इनमें से कुछ समूहों के बारे में यहाँ बताया जा रहा है।

 प्रमुख श्रेणियाँ
इन बच्चों को मोटे तौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता है रू
प) वे बच्चे, जिन्हें, भोजन, कपड़े, रहने का स्थान, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा आदि की थोड़ी सी भी सुविधा प्राप्त नहीं है,
पप) वे बच्चे जो एक प्रकार से अपने परिवारों में ‘‘शोषित‘‘ या ‘‘उपेक्षित‘‘ हैं,
पपप) वे बच्चे जिनके जीवन-निर्वाह का कोई साधन या रहने का स्थान नहीं है या पूरी तरह से निराश्रित हैं,
पअ) वे बच्चे जो अनाथ हैं, छोड़े हुए या त्याग दिए गए हैं,
अ) वे बच्चे जो अपने घरों से भाग आए हैं, और उनके माता-पिता का पता न मिलने के कारण उन्हें उनके हवाले नहीं किया जा सकता,
अप) वे बच्चे जो आवारा, अपराधी व अनियंत्रणीय हैं,
अप) वे बच्चे जो दुर्व्यवहार, उपेक्षा या घर के असंतोषजनक वातावरण से पीड़ित हैं और जिन्हें मानसिक व शारीरिक कष्ट दिए जाते हैं,
अपपप) वे बच्चे जिनके माता-पिता उन्हें अनैतिक गतिविधियों जैसे- मदिरापान, जुआ, नशाखोरी, अपराध और वेश्यावृत्ति आदि के कारण उपयुक्त घरेलू जीवन की सुविधा नहीं देते हैं, या दे नहीं पाते हैं, और
गप) वे बच्चे जो कि दलालों या असामाजिक तत्वों की देखरेख में या अकेले ही भीख माँगते पाए जाते हैं।

 पुनर्वास के उपाय
बेघर और अनाथ दोनों ही तरह के बच्चों को भोजन, कपड़े, आवास, स्नेह और सुरक्षा की जरूरत होती है। उन्हें अपने मानसिक और शारीरिक विकास के लिए उपयुक्त अवसरों की भी जरूरत होती है। सरकार ने पहले ही, उन बच्चों के लिए जिन्हें देखभाल व सुरक्षा की जरूरत है, एक योजना शुरू की हुई है। इस योजना की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं रू

प) अनाथालयों और बालगृहों की स्थापना द्वारा यह सांस्थानिक संरक्षण प्रदान करती है,
पप) यह बच्चे को एक निश्चित समय के लिए ऐसे परिवार से रखकर जो उसे घरेलू वातावरण देने के लिए राजी है, पालन-पोषण संरक्षण (विेजमत बंतम) प्रदान करती है,
पपप) यह योजना स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से लागू की जाती है, उन्हें स्वीकृत मदों की खरीददारी के खर्चे के लिए 90 प्रतिशत तक सहायता अनुदान प्रदान किया जाता है। यह अनुदान राशि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों बराबर मात्रा में बांट लेती हैं,
पअ) 18 साल तक के बच्चे बालगृहों में रखे जाते हैं, और
अ) 6 साल तक के बच्चों को पालन-पोषण संरक्षण दिया जाता है जो कि विशेष मामले में 14 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
फिर भी बेघर बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए, सरकार निकट भविष्य में कुछ योजनाएँ प्रारंभ करने पर विचार कर रही है।

सोचिए और करिए 1
यह संभव लगता है कि आपको अपने रिश्तेदारों, मित्रगणों एवं आस-पड़ोस के 20 घरों की पारिवारिक विसंरचना के बारे में पता होगा। यदि ऐसा नहीं है तो आप 20 परिवारों के लिंग पर आधारित आँकड़े एकत्र कीजिए। इसके बाद इन परिवारों में बच्चों के बीच लिंग अनुपात का पता लगाइए। यदि संभव हो तो अपने जाँच-परिणामों की तुलना अपने अध्ययन केंद्र के अन्य विद्यार्थियों से कीजिए।