तत्व और उनके खोजकर्ता , सोडियम की खोज किसने की , पोटेशियम की खोज किसने की chemical elements inventors in hindi

chemical elements inventors in hindi , तत्व और उनके खोजकर्ता , सोडियम की खोज किसने की , पोटेशियम की खोज किसने की  ?

महत्वपूर्ण तथ्यः विविध

 लोहे में जंग लगने के लिए ऑक्सीजन व नमी आवश्यक है।

 अग्निशामक यन्त्रों में कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस का प्रयोग किया जाता है।

 एथिलीन गैस का प्रयोग कच्चे फलों को पकाने के लिए किया जाता है।

 पोटैशियम सायनाइड अत्यन्त विषैला पदार्थ है। इसे खाने पर व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाती है।

 फॉस्फोरस हवा में जलता है।

 जंग लगने पर लोहे का भार बढ़ जाता है।

 सिल्वर ब्रोमाइड का प्रयोग फोटोग्राफी व फिल्मों में किया जाता है।

 अम्लराज में एक भाग सान्द्र नाइट्रिक अम्ल व तीन भाग सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है।

 रक्त के प्रवाह को रोकने के लिए फेरिक क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है।

 कोहरा गैस व द्रव का कोलॉइडी विलयन है।

 ‘बेस्टन सेल‘ एक सामान्य मानक सेल

 इसका पूरा नाम हैः डिऑक्सी-राइबो न्यूक्लिक अम्ल जो डिऑक्सी-राइबोस शर्करा, फॉस्फेट यूनिट तथा कार्बनिक क्षारकों से बना होता है तथा आनुवंशिकता का मूल आधार है।

 लोहे में जंग लगना रासायनिक परिवर्तन है।

 हड्डियों व दांतों में कैल्शियम पाया जाता है।

 कोयले की खानों में मीथेन गैस निकलती है, इसे मार्श गैस भी कहते हैं।

 भारी जल का उपयोग न्यूट्राॅन मन्दक व टेªेसर के रूप में किया जाता है।

 जल की अस्थायी कठोरता का कारण उसमें उपस्थित कैल्शियम व मैग्नीशियम के बाइकार्बोनेट होते हैं।

 वायुमण्डल में नाइट्रोजन सबसे अधिक मात्रा (78प्रतिशत) में पाई जाती है।

 फॉस्फीन गैस का उपयोग युद्ध के समय धूम्रपट बनाने में किया जाता है।

 सुरक्षित दियासलाइयों में लाल फॉस्फोरस प्रयोग किया जाता है।

 फॉस्फीन गैस का उपयोग समुद्री यात्रा में होम्स सिग्नल  देने में किया जाता है।

 सीस कक्ष प्रक्रम के द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल का उत्पादन किया जाता है।

 क्लोरीन गैस फूलों का रंग उड़ा देती है।

 इस्पात में 0.5प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत तक कार्बन की मात्रा होती है।

 ‘हरा कसीस‘ का रासायनिक नाम फेरस सल्फेट है।

 गाइगर मुलर काउण्टर का प्रयोग रेडियोऐक्टिव विकिरण को संसूचित करने में किया जाता है।

 तेलों के हाइड्रोजनीकरण में निकिल उत्प्रेरक का कार्य करता है। इस क्रिया से वनस्पति घी बनाया जाता है।

 गैसों की द्रव में विलेयता दाब बढ़ाने पर बढ़ती है।

 सोडावॉटर कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस का जल में विलयन है।

 शुष्क चूने पर क्लोरीन प्रवाहित करने पर ब्लीचिंग पाउडर बनता है।

 सल्फर डाइ-ऑक्साइड गैस क्रियाशील ज्वालामुखी पर्वतों से निकलती है।

 हाइड्रोजन सल्फाइड गैस में सड़े अण्डों की तरह गन्ध आती है।

 ऐसीटिलीन का प्रयोग प्रकाश उत्पन्न करने में किया जाता है।

 खाद्य पदार्थों के परिरक्षण के लिए बेन्जोइक अम्ल का प्रयोग किया जाता है।

 बर्तनों में कलई करने में अमोनियम क्लोराइड का प्रयोग किया जाता है।

 क्वथनांक किसी द्रव का वह निश्चित ताप है, जिस पर उसका वाष्प दाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है।

 सामान्य ताप व दाब पर किसी गैस के एक ग्राम अणु का आयतन 22.4 लीटर होता है।

 जिंक ऑक्साइड को ‘जस्ते का फूल‘ कहा जाता है।

 सिनेबार पारे का अयस्क है।

 पारा सभी प्रकार के अमलगम का आवश्यक अवयव होता है।

 बॉक्साइट एल्युमिनियम का प्रमुख अयस्क है।

 मैग्नेलियम एल्युमिनियम व मैग्नीशियम की मिश्रधातु है।

 नाइट्रस ऑक्साइड को ‘हंसाने वाली गैस‘ कहते हैं।

 यूरिया पहला कार्बनिक पदार्थ है, जिसे वोहलर ने प्रयोगशाला में बनाया था।

 साबुन के निर्माण में एस्टरीकरण की प्रक्रिया प्रयुक्त की जाती है।

 शहद की मक्खी के मोम में मिरीसिल पामिटेट पाया जाता है।

 डेल से सेटिल पामिटेट मोम प्राप्त होता है।

 फलों के रसों को सुरक्षित रखने के लिए फार्मिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है।

 डायनामाइट बनाने में नाइट्रोग्लिसरीन का प्रयोग किया जाता है।

 एथिल ऐल्कोहाॅल में मेथिल ऐल्कोहाॅल मिलाने से यह विषाक्त हो जाता है।

 क्लोरोफाॅर्म का प्रयोग शल्य क्रिया व जीवाणु नाशक के रूप में किया जाता है।

 हाइड्रोजन परॉक्साइड का प्रयोग पुराने तैल चित्रों के रंगों को पुनरू उभारने में किया जाता है।

 ओजोन गैस में सड़ी मछली की तरह की गन्ध आती है।

 सोडियम को मिट्टी के तेल में डालकर रखा जाता है अन्यथा वह वायु में जल उठता है।

 जर्मन सिल्वर तांबा, जस्ता व निकल की मिश्रधातु है।

 प्लेटिनम को सफेद स्वर्ण कहा जाता है।

प्रमुख तत्व एवं खोजकर्ता

तत्व खोजकर्ता खोज का वर्ष

सोडियम –  डेवी (यू. के.) 1807

मैग्नीशियम – डेवी (यू. के.) 1808

एल्युमिनियम – ओस्टेंड और बोलर 1825-27

सिलिकन – बर्जीलियस (स्वीडन) 1824

फाॅस्फोरस – एच. वेण्ड (जर्मनी) 1669

हाइड्रोजन – एच. कैवेण्डिस (यू. के.) 1766

हीलियम – लोकेयर (यू. के.) 1868

नाइट्रोजन – रदरफोर्ड (यू. के.) 1722

आॅक्सीजनशीशे और प्रीस्टल 1773-74

फ्लोरीन – एच. म्यायसन (फ्रांस) 1886

नियाॅन – सौजे और टोवर्स (यू. के.) 1898

क्रिप्टाॅन रैमजे और ट्रैवर्स (यू. के.) 1898

आयोडीन – वी. कोर्टाइज (फ्रांस) 1811

जिनाॅन – रैम्जे और ट्रैवर्स (यू. के.) 1898

टंग्स्टन – डिएल्युयर ब्रर्ट्स 1783

रेडियम – पीयरे क्यूरी, मैडम क्यूरी, और बेमोण्ड (फ्रांस) 1898

थोरियम – जे, जे. बर्जीलियम (स्वीडन) 1829

यूरेनियम – क्लैप्रोथ (जर्मनी) 1789

प्लूटोनियम – सीबोर्ग, मिलन, कैनेडी और वाल (सं. रा. अमेरिका) 1941-42

कोबाल्ट – जी. क्रेण्डट 1337

निकिल – ए. एफ. क्रॉन्टेट (स्वीडन) 1751

जिंक – ए. एस मारग्राफ (जर्मनी) 1746

आर्सेनिक – एल्बर्टस मैग्नस (जर्मनी) 1220

ब्रोमीन – ए. जे. बैलार्ड (फ्रांस) 1826

क्लोरीन – सी. डब्ल्यू शीले (स्वीडन) 1774

आर्गन – रैमजे और रैले (यू. के.) 1894

पोटैशियम – डेवी (यू. के.) 1807

कैल्शियम –  डेवी (यू. के.) 1808

मैंगनीज – जे. जी. जान (स्वीडन) 1774