मध्यरात्रि के सूर्य का देश किसे कहते हैं , मध्यरात्रि के सूर्य की भूमि के नाम से किस देश को जाना जाता है

मध्यरात्रि के सूर्य की भूमि के नाम से किस देश को जाना जाता है ? मध्यरात्रि के सूर्य का देश किसे कहते हैं ?

 अर्द्धरात्रि सूर्य (Midnight Sun) – उत्तर ध्रुव पर सूर्य 21 मार्च से 23 सितम्बर तक लगातार चमकता रहता है, अतःवहाँ सूर्य रात्रि को भी दिखाई देता है। नार्वे को ‘अर्द्धरात्रि का सूर्य का देश‘ कहते हैं।

 मेट्रोलॉजी (Metrology) – इसके अन्तर्गत द्रव्यमान, समय व लम्बाई का ठीक-ठीक मापन किया जाता है।
 माइक्रोस्कोप (Microscope) – माइक्रोस्कोप एक ऐसा यंत्र है जिसकी सहायता से छोटी-छोटी वस्तुओं को बड़े आकार में देखा जाता है।
 माइक्रोवेव कम्युनिकेशन (Microwave Communication) – उस वायरलैस संचार व्यवस्था को कहते हैं, जिसमें वेवलैन्थ 1 मिमी से 30 सेमी तक होती है।
 माइनोतरंगें (Microwaves) – माइक्रो तरंगें वे तरंगें हैं जिनकी तरंगदैर्घ्य अवरक्त तरंगों व रेडियो तरंगों के बीच होती है।
 मरीचिका (Mirage) – रेगिस्तानी स्थानों में एक विचित्र घटना होती है, यहाँ पर अधिक गर्मी के कारण हवा विरल हो जाती है, उसके अनेक स्तरों में प्रकाश की किरणें गुजर कर पूर्ण परावर्तन करती हैं जिससे पेड़ उल्टा दिखाई देता है तथा मृगों को पानी का आभास होता है, जबकि वहाँ पानी नहीं होता, यह घटना मरीचिका कहलाती है।
 मोल (Mole) – किसी पदार्थ के एक ग्राम अणु में उपस्थित अणुओं की संख्या 1 मोल कहलाती है। इसका मान 6×1023 होता है।
 अणु (Molecule) – किसी तत्व अथवा यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण
 जिसमें उसके सभी गुण विद्यमान रहते हैं तथा जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है, अणु कहलाता है।
 संवेग (Momentum) – किसी वस्तु के द्रव्यमान व वेग के गुणनफल को संवेग कहते हैं।
 न्यूट्रॉन तारे (Neutron stars) – न्यूट्रॉन तारे वे तारे हैं, जिनमें अधिकतम संख्या में न्यूट्रॉन होते हैं।
 न्यूटन (Newton) – न्यूटन बल की इकाई है।
 न्यूट्रॉन (Neutron) – न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूल कण है, जो परमाणु के नाभिक में रहता है।
 एन.टी.पी. (N-T-P.)-एन.टी.पी. सामान्य ताप व दाब का पूरा रूप है एन.टी.पी. पर किसी गैस के एक मोल का आयतन 22.4 लीटर होता है।
 ओम (Ohm)-ओम विद्युत् प्रतिरोध की इकाई है।
 प्रकाशिकी (Optics)-प्रकाशिकी, भौतिकी की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत प्रकाश के गुणों व उसके संचरण का अध्ययन किया जाता है।
 ओजोन स्फीयर (Ozone Sphere)- समुद्र की सतह से 10 से 50 किमी तक की ऊँचाई तक फैले हुए वायुमण्डल को ओजोन स्फीयर कहते हैं। इस भाग में ओजोन अधिकता में रहती है, इसमें तापमान लगभग समान रहता है तथा आँधी व तूफान नहीं आते। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों (UV-rays) को अवशोषित कर लेता है।
 कण-त्वरक (Particle accelerator)-कण-त्वरक (Accelerator) ऐसी मशीन है, जिसके द्वारा आवेशित कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ाई जाती है। इसमें आवेशित कणों को चुम्बकीय क्षेत्र में से गुजारा जाता है।
 पास्कल (Pascal)-पास्कल दाब मापने की इकाई है।
 प्रकाश-विद्युत् प्रभाव(Photoelectric ffeect)-जब विभिन्न धातुओं पर प्रकाश डाला जाता है तो उनकी सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। इस घटना को प्रकाश-विद्युत् प्रभाव कहते हैं।
 फोटान (Photon)-ये ऊर्जा के बण्डल होते हैं जो प्रकाश की चाल से चलते हैं।
 फोटो उत्सर्जन (Photo emission)-जब प्रकाश कुछ धातुओं की सतह पर पड़ता है तो उनसे इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं। इस प्रक्रिया को फोटो उत्सर्जन कहते हैं तथा इन इलेक्ट्रॉनों को फोटोइलेक्ट्रॉन कहते हैं।
 दाब विद्युत् प्रभाव (Piezoelectric ffeect)-जब किसी क्रिस्टल के सिरों के बीच दाब लगाया जाता है तो सिरों के बीच विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है। दाब के प्रभाव से उत्पन्न होने वाले इस विभवान्तर को ही दाब विद्युत् प्रभाव कहते हैं।
 प्लांक नियतांक (Planck’s constant)-प्लांक नियतांक एक सार्वत्रिक नियतांक है। इसका मान 6-64×10-34 जूल-सेकण्ड होता है।
 प्लाज्मा (Plasma) – प्लाज्मा गैस की वह अवस्था है, जिसमें धन आयन __व इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र अवस्था में रहते हैं। यह गैस विद्युत् चालक होती है।
 ध्रुवण (Polarisation)-कणों का सिर्फ एक ही तल में कम्पन ध्रुवण
 कहलाता है। ध्रुवण के द्वारा यह सिद्ध होता है कि प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ तरंगें हैं।
 पाजीट्रॉन (Positron)-पाजीटॉन एक मूल कण है, जो सभी प्रकार से इलेक्ट्रॉन के समान होता है, परन्तु आवेश इलक्ट्रॉन के बराबर व धनात्मक होता है।
 विभवान्तर (Potential dffierence)-किसी चालक के सिरों के बीच विभवान्तर, उनके बीच एकांक आवेश की गति करने में किये गये कार्य के बराबर होता है।
 शक्ति (Power)-कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। इसका मात्रक वाट होता है।
 दाब (Pressure)- एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते हैं।
 प्रिज्म (Prism)-प्रिज्म काँच या किसी पारदर्शी माध्यम की एक बहुफलन आकृति होती है। प्रिज्म श्वेत प्रकाश को उसके विभिन्न घटक रंगों में विभाजित कर देता है।
 प्रोटॉन (Proton)-प्रोटॉन एक धनात्मक मूल कण है, जो परमाणु के नाभिक में पाया जाता है।
 रेडियोसक्रियता (Radioactivity)-यूरेनियम तथा इसके लवणों से कुछ अदृश्य किरणे स्वतः ही निकलती हैं जो अपारदर्शी पदार्थों में प्रवेश कर जाती हैं तथा फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती हैं। इसी को रेडियो सक्रियता कहते हैं।
 दिष्टकारी (Rectifier)-दिष्टकारी एक ऐसी युक्ति है, जिसमें धारा केवल एक ही दिशा में बहती है। इसका प्रयोग प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलने में किया जाता है।
 परावर्तन (Reflection)-जब प्रकाश को किसी चिकने पृष्ठ पर डाला जाता है तो उसका अधिकांश भाग वापस लौट जाता है। प्रकाश के इस प्रकार चिकने पृष्ठ से टकराकर वापस लौटने की घटना को परावर्तन कहते हैं।
 अपवर्तन (Refraction)-जब प्रकाश किरणें एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती हैं तो वे अपने मार्ग से विचलित हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को अपवर्तन कहते हैं।
 आपेक्षित घनत्व (Relative density) – किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व उस पदार्थ के किसी आयतन के भार व 4°C ताप वाले जल के उतने ही आयतन के भार के अनुपात के बराबर होता है।
 आपेक्षिकता (Relativity)-आपेक्षिकता का सिद्धान्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइन्स्टीन ने दिया था। उन्होंने बताया कि आकाश में किसी भी पिण्ड की निरपेक्ष गति का मापन संभव नहीं है तथा प्रत्येक प्रेक्षक के लिए चाहे वे एक-दूसरे के सापेक्ष किसी भी गति से गतिमान क्यों न हों, प्रकाश का वेग स्थिर है।
 प्रतिरोध (Resistence)-किसी चालक का प्रतिरोध, उसके सिरों के बीच के विभवान्तर व उसमें बहने वाली धारा के अनुपात के बराबर होता है।
 अनुनाद (Resonance)-जब किसी वस्तु पर लगाये गये बाह्य बल की आवृत्ति, वस्तु की अपनी स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाती है तो इस दशा में वस्तु के कम्पनों का आयाम बहुत अधिक हो जाता है। इस घटना को अनुनाद कहते हैं।
 अपवर्तनांक (Refractive index)-जब प्रकाश की किरणें एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं, तो आपतन कोण के Sine व अपवर्तन कोण के Sine अनुपात को प्रथम माध्यम के सापेक्ष द्वितीय माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं।
 उपग्रह (Setellite)-उपग्रह वे पिण्ड हैं, जो किसी ग्रह का चक्कर लगाते है।
 प्रकीर्णन (Scattering)-जब प्रकाश धूल तथा अन्य पदार्थों के अत्यन्त सूक्ष्म कणों से होकर गुजरता है तो सभी दिशाओं में प्रसारित हो जाता है। इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
 प्रस्फुरण (Scintillation)-जब कुछ पदार्थों पर प्रकाश आपतित होता है तो उनसे हल्की-हल्की चमक निकलती है। इस घटना को प्रस्फुरण कहते है।
 अर्द्धचालक (Semiconductor)-वे पदार्थ जिनकी चालकताय चालक अचालक पदार्थों के बीच होती है, अर्द्धचालक कहलाते हैं।
 सरल आवर्त गति (Simple harmonic motion)-सरल आवर्त गति एक ऋजु रेखीय गति है, जो एक निश्चित बिन्दु के इधर-उधर होती है।
 स्लाइड प्रक्षेपित्र (Slide projector)-यह एक ऐसा यंत्र है, जिसका उपयोग किसी पारदर्शी वस्तु जैसे स्लाइड आदि के प्रतिबिम्ब को पर्दे पर प्रक्षेपित करने के लिए किया जाता है।
 ध्वनि (Sound)- ध्वनि यांत्रिक तरंगों के रूप में संचरित होती है। इन तरंगों के संचरण के लिए किसी-न-किसी माध्यम का होना आवश्यक है।
 विशिष्ट प्रतिरोध (Specific resistance)-विशिष्ट प्रतिरोध किसी चालक का वह प्रतिरोध है, जिनका मान सिर्फ चालक के पदार्थ पर निर्भर करता है। वह चालक की लम्बाई व अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता।