एक नदी में पानी पूर्व की ओर 6 किमी/घण्टे के वेग से बह रहा है। एक नाव पानी के सापेक्ष 8 किमी./घण्टा के वेग से उत्तर की ओर जा रही है।

जडत्वीय एवं अजडत्वीय निर्देश तंत्र (Inertial and Non inertial Frames of Reference)

निर्देश तंत्र दो प्रकार के होते हैं

(i) जड़त्वीय निर्देश तंत्र – यदि किसी कण पर कोई बाह्य बल नहीं लग रहा है तो वह निर्देश फ्रेम जिसके सापेक्ष इस प्रकार के कण की गति त्वरण रहित दिखाई देती है उसे जड़त्वीय निर्देश फ्रेम कहते हैं।

संख्यात्मक उदाहरण

उदाहरण 1. किसी कण P का स्थिति सदिश कार्तीय तन्त्र S में निम्न है

R = i (6t2 – 3t) + j (-5t3)  + 7 k मीटर

  • यदि इस कण की स्थिति एक अन्य तन्त्र S’ में r = 1 (6t2 + 3t) – 5j t3 + 7 k मीटर हो तो s के सापेक्ष s’ का वेग ज्ञात कीजिए।
  • सिद्ध कीजिए कि दोनों तन्त्रों में कण का त्वरण समान है।

हलः प्रश्नानुसार, r = i (6t2 – 3t) – 5 j t3 + 7 k मीटर

r = i (6t2 + 3t) – 5 j t3 + 7 k मीटर

  • गैलिलीयन रूपान्तरण समीकरण से ।

r = r  – Vt

Vt = r – r

= { i (6t2 – 3t) – 5 j t3 + 7 k} – {I (6t2 + 3t)

  • 5 j t3 + 7 k}

= – 6 i t

V = – 6 i मीटर/सेकण्ड

  • S तन्त्र के सापेक्ष कण का त्वरण

A = d2r/dt2 = 12 I – 30 t j मीटर/सेकण्ड2

A = a

‘अतः दोनों तन्त्रों मे कण का त्वरण समान है।

उदाहरण 2. एक कण t1 , समय पर बिन्दु P पर है एव t2, समय पर बिन्दु Q पर पहँचता है। एवं Q बिन्दओं पर कण की तात्क्षणिक स्थिति, वेग एव Pव Q के मध्य औसत त्वरण के लिए यह लिखिए। ये राशियाँ जो एक दूसरे तन्त्र में जो एक समान वेग V से चल रहा है, किस प्रकार रूपान्तरित होंगी?

हल: (i) माना किसी कण का प्रारम्भिक वेग u तथा त्वरण a है तो गति के समीकरणों से.

P बिन्दु पर कण का स्थिति सदिश r1 = u t1 + ½ a t21

Q बिन्दु पर कण का स्थिति सदिश r2 = u t2 + ½ a t22

P पर कण का वेग  V1 = u + a t1 ……………..(1)

Qपर कण का वेग V2 = u + a t2 ……………………(2)

समीकरण  (1) व (2) से,

माध्य त्वरण <a> = V2 – V1 /t2 – t1 = (u + at2) – (a + at1) /(t2 – t1 )

<a> = a

  • अब यदि अन्य तन्त्र प्रथम तन्त्र के सापेक्ष नियत वेग V से गति कर रहा है तो गैलिलीयन रूपान्तरण समीकरणों द्वारा नियत वेग से गतिशील तन्त्र के सापेक्ष,

P पर कण का स्थिति सदिश r1 = r1 – Vt1

= u t1 + ½ a t21 – Vt1

Qपर कण का स्थिति सदिश r2 = r2 – Vt2

=u t2 + ½ a t22 – Vt2

P पर कण का वेग  V1  = V1 – V

= u + a t1 – V …………….(3)

Qपर कण का वेग v2‘ = v2 –  V

= u + a t2 – V ……………(4)

समीकरण (3) व (4) से,

.माध्य त्वरण <a> = V2 – V1/t2 – t1 = (u + a t2 – V) – (u + a t1 – V)/(t2 – t1)

<a> = a

अतः दोनों तन्त्रों में माध्य त्वरण समान होता है।

उदाहरण 3. दो जेट क्रमशः 2000 तथा 1000 km/hr की चाल से एक दूसरे की ओर गति कर रहे है। द्वितीय जेट के सापेक्ष प्रथम जेट के वेग का मान ज्ञात कीजिये।

हलः पृथ्वी पर निर्देश तन्त्र के सापेक्ष प्रथम जेट A का वेग u = 2000 km/hr | द्वितीय जेट B के सापेक्ष । A के वेग u’ को ज्ञात करना है। B में स्थित निर्देश तन्त्र का पथ्वी पर स्थित निर्देश तंत्र के सापेक्ष वेग। v = -1000 km/hr |

गैलिलीयन रूपान्तरण के अनुसार u’ = u -V

= 2000-(-1000)

= 3000 km/hr अतः जेट B में स्थित प्रेक्षक को जेट A उसकी ओर 3000 km/hr के वेग से गति करता हुआ प्रेक्षित होगा।

उदाहरण 4. सिद्ध कीजिए कि एक प्रक्षेप्य (projectile) का पथ दूसरे प्रक्षेप्य से देखने पर सदैव एक सरल रेखा दिखता है। हलः माना एक प्रक्षेप्य क्षैतिज से व कोण बनाते हुए u1 वेग से फेंका जाता है तो

प्रक्षेप्य के प्रारम्भिक वेग का क्षैतिज घटक =u1 cos a

प्रक्षेप्य के प्रारम्भिक वेग का ऊर्ध्व घटक = u1 sin a

.: t सेकण्ड पश्चात् प्रक्षेप्य का क्षैतिज वेग Vx = u1 cos a           (जो नियत रहता है)

तथा ऊर्ध्व वेग Vy = u1 cos      a – gt

इसी प्रकार यदि एक अन्य प्रक्षेप्य क्षैतिज से B कोण बनाते हुए u2 वेग से फेंका जाता है तो समान समय t पश्चात् प्रक्षेप्य का

क्षैतिज वेग vx = u2 cos β

ऊर्ध्व वेग vy = u2 sin β – gt

गैलीलियन रूपान्तरण समीकरण से प्रथम प्रक्षेप्य के सापेक्ष दूसरे प्रक्षेप्य का वेग लिख सकते हैं।

Vx = Vx – Vx

Dx/dt = (u2 cos β – u1 cos α) …………..(1)

तथा Vy = Vy – VY

Dy/dt = (u2 sin β – u1 sin α)  …………………….(2)

समी. (1) तथा (2) को । के सापेक्ष समाकलन करने पर,

X = (u2 cos β – u1 cos α ) t

y’ =(u2 sin β – u1 sin α) t

उपरोक्त समीकरणों से समय । को विलुप्त करने पर

Y = (u2 sin ß – u1 sin α) /(u2 cos β – u1 sin α) ……………….(3)

यह y = mx के समतुल्य समीकरण है जो एक सरल रेखा को प्रदर्शित करती है। अतः एक प्रक्षेप्य के सापेक्ष दूसरे प्रक्षेप्य की गति सरल रैखिक दिखाई देगी।

उदाहरण 5. एक पत्थर का टुकड़ा किसी हवाई जहाज से जो एकसमान वेग से क्षैतिज दिशा में जा रहा है, गिरता है। उसका पथ क्या होगा जबकि वहः

  • जहाज के चालक द्वारा प्रेक्षित है।
  • पृथ्वी पर स्थित किसी मनुष्य द्वारा देखा जाता है।

हलः माना एक हवाई जहाज X दिशा में hऊँचाई पर Vवेग से क्षैतिज गति कर रहा है। यदि पत्थर के (0-h) निदेशांक वाले स्थान से गिरने के समय को t = 0 मान लें तो t जहाज के निर्देशांक होंगे

X  = Vt ………………..(1)

Y = h …………………(2)

तथा गिरते हुए पत्थर के निर्देशांक होंगे

X = Vt ………………….(3)

Y = h ½ gt2 ……………..(4)

  • हवाई जहाज के सापेक्ष गिरने हए पत्थर के निर्देशांक

x’ = x – x = Vt – Vt = 0

y’ = y – Y = (h- ½ gt2)-h = – ½ gt2

अर्थात् हवाई जहाज का चालक पत्थर को ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर गिरता हुआ देखेगा।

  • चूकि मनुष्य पृथ्वी पर स्थित है इसलिए स्थिर मनुष्य के सापेक्ष पत्थर के निर्देशांकों में कोई परिवर्तन नहीं होगा। अतः पृथ्वी पर स्थित मनुष्य के सापेक्ष पत्थर के निर्देशांक होंगे

x = Vt

y = h – ½ gt2

समय t को विलुप्त करने पर

X2 = 2V2/g (h – y)

यह परवलय का समीकरण है। अतः पृथ्वी पर स्थित मनुष्य को पत्थर का पथ परवलयिक। (parabolic) दिखाई देगा।

उदाहरण 6. एक नदी में पानी पूर्व की ओर 6 किमी/घण्टे के वेग से बह रहा है। एक नाव पानी। के सापेक्ष 8 किमी./घण्टा के वेग से उत्तर की ओर जा रही है। पृथ्वी के सापेक्ष नाव का वेग नान करो। हल: माना पथ्वी पर स्थित निर्देश तन्त्र के एकांक सदिश i पूर्व की ओर तथा j उत्तर की ओर है।

स्थिर निर्देश तन्त्र पृथ्वी के सापेक्ष पानी का वेग V = 6i किमी./घण्टा तथा गतिशील निर्देश तन्त्र पानी के सापेक्ष नाव का वेग V = 8j किमी./घण्टा

गैलीलियन रूपान्तरण से पृथ्वी के सापेक्ष नाव का वेग = v = v + v

= 8j + 6i

का परिमाण । V I = 82 +62 = 10 किमी./घण्टा तथा पूर्व दिशा के सापेक्ष यदि वह कोण (φ )बनाती है तो   tan φ = 8/6

या φ = tan-1 (4/3) पूर्व से

उदाहरण 7. एक मनुष्य पूर्व की ओर 2 किमी./घण्टा के वेग से जा रहा है। उसे प्रतीत होता है कि वाय उत्तर की ओर से आ रही है। जब वह अपना वेग दुगुना कर देता है तब उसे वाय उत्तर-पूर्व से आती प्रतीत होती है। वायु का वेग ज्ञात कीजिये।

हलः माना पूर्व की ओर एकांक सदिश i तथा उत्तर की ओर एकांक सदिश । है और पृथ्वी के सापेक्ष वायु का वेग

V = jvx + jvy, किमी./घण्टा

प्रश्नानुसार पृथ्वी (स्थिर निर्देश तन्त्र) के सापेक्ष मनुष्य (गतिशील निर्देश तंत्र) का वेग

V = 2 i किमी./घण्टा

तथा मनुष्य के सापेक्ष वायु का वेग

v = jv’y

गैलिलियन रूपान्तरण समीकरण से ले

V = v –  v

jvy = (ivx + jvy) – 2 i

इस समीकरण के दोनों I और j वि घटक स्वतन्त्र रूप से समान होने चाहिए।

Vx = 2

तथा  vy = vy …………….(1)

द्वितीय स्थिति में,

V = 4 i किमी./घण्टा

अब वायु उत्तर-पूर्व दिशा से आती प्रेक्षित होती है जो पूर्व दिशा से( – π/4) कोण पर है।

V1 = – v (I cos π/4 + j sin π/4)

V1 = – v (I + j/ 2)

गैलीलियन रूपान्तरण समीकरण से

V1 = v – v

V (I + j/2) = ivx + jvy ) – 4 i

इस समीकरण के दोनों I ओर j विघटक स्वतंत्र रूप से समान होने चाहिए।

  • v/2 = vx – 4

तथा  – v/2 = vy

समीकरण (1) से vx = 2 रखने

vy = – v/2 = – 2

पृथ्वी के सापेक्ष वायु का वेग

V = 2 I – 2 j

अतः वायु 2 2 किमी/घण्टा के वेग से उत्तर-पश्चिम से आ रही है।

उदाहरण 8. एक वस्तु 60 मीटर प्रति घण्टे की समान चाल से चलती हई पूर्व दिशा ओर की ओर 40 मिनट तक चलती है, फिर 20 मिनट तक उत्तर से 45° पूर्व की ओर व अन्त में 50 मिनट तक पश्चिम की ओर चलती है। इस गति दौरान वस्तु का औसत वेग ज्ञात होगा?

हलः माना पूर्व की ओर एकांक सदिश i तथा उत्तर की ओर एकांक सदिश j है और वस्तु की चाल

v = 60 मीटर/घण्टा = 60 = 1 मीटर/मिनट

AB = 40 v i = 40 i मी.

BC = j 120 cos 45° + i 20 sin 45°

CD = – 50 i

कुल विस्थापन AD = AB + BC + CD

= 40 i + j 20 cos 45° + i 20 sin 45° – 50 i

= 10 (2 -1) i + 10 2 j

औसत वेग <v> कुल विस्थापन /कुल समय

AB+ BC+CD /40+20+ 50

<v> (10-2 – 1)I + 102 j /110 मीटर/मिनट

<v>  = 1/11 [(√2 – 1) I + √2 j)] मीटर, मिनट

औसत वेग का परिमाण V = 1/11 5 – 2 2 मीटर/मिनट

औसत वेग की दिशा उत्तर से  φ = tan-1 (2 – 1/2) कोण बनायेगी।

उदाहरण 9. एक निर्देश तन्त्र में एक कण X-अक्ष के अनुदिश गति कर रहा है। नियत कोणीय वेग  φ  से घर्णित निर्देश तन्त्र के सापेक्ष कण का पथ ज्ञात करो जबकि दोनों निर्देश तन्त्रों के मूल बिन्दु एवं z- अक्ष संपाती है।

हलः माना स्थिर निर्देश तन्त्र में कण X-अक्ष के अनुदिश V वेग से गति कर रहा है तो किसी क्षण सेकण्ड पर कण के निर्देशांक होंगे:

X = Vt      y = 0   तथा z = 0

यदि घूर्णित निर्देश तन्त्र के सापेक्ष कण के निर्देशांक x’.y’,z’ हों तो रूपान्तरण समीकरणों से

x = x cos φt+ y sin φt ………………..(1)

= (Vt) cos  φt

y’ = y cos φt- x sin φt

= – (Vt) sin φt  ………………(2)

तथा z = z = 0 …………………(3)

अतः घर्णित निर्देश तन्त्र में कण का पथ निम्न समीकरणों द्वारा प्रदर्शित होगा।

x’ = Vt cos φt,          y = – Vt sin φt              z’ = 0

जिससे x2 + v2 = (Vt)2  जो X – Y तल मे एक वृत्त का समीकरण है, जिसकी त्रिज्या है। सा का पथ ऐसे वत्ताकार रूप में दिखाई देगा जिसकी त्रिज्या में लगातार वद्धि होती है।

उदाहरण 10. एक निर्देश तन्त्र में t – 0 समय पर दो कणों की स्थितियों  3 I – 4 j +7 k तथा i + 2 j + 5 k मीटर हैं। यदि प्रथम कण 0.6 मीटर/से. के वेग से गतिशील है तो द्वितीय कण का वह वेग ज्ञात कीजिये जिससे दोनों कण t = 10 सेकण्ड पर आपस में टकरा सक

हलः-  t = 0 पर कणों की स्थितियाँ  r1 = 3 I – 4 j + 7 k मी

तथा  r2 = I + 2 j + 5 k मी.

प्रथम कण का वेग v1 = 0.6 मी./से.

10 सेकण्ड पश्चात् दोनों कणों के स्थिति सदिश होंगे।

R1 = r1 + v1t  तथा ‘ r2 = r2 + v2t

चूंकि कण टकरा रहे हैं।

R1 = r2

R1 + v1t = r2 + v2t

V2t = r1 – r2 + v1t

= (3 I – 4 j + 7 k) – (I + 2 j + 5 k) + 6 i

= 8 I – 6 j – 2 k

V2 = 1/10 (8 I – 6 j + 2 k)

= (0.8 I – 0.6 j + 0.2 k) मी./से.

उदाहरण 11. दो कणों की प्रारंभिक स्थितियाँ क्रमशः (4 i +4 j +7 k) तथा (2 i 2 j 5 k) हैं। यदि प्रथम कण का वेग 0.4(i + j + k )m/s हो तो दूसरे कण का वेग ज्ञात कीजिये। . ताकि वे 10s पश्चात् टकरा सकें।

हलः- t = 10 पर कणों की स्थितियाँ हैं:

R1 = (4 I + 4 j + 7 k )m

R2 = (2 I + 2 j + 5 k)

प्रथम कण का वेग V1 = 0.4 (i + j + k ) m/s

10s पश्चात् कणों की स्थितियाँ होगी:

R1 = r1 + v1t

= (4 I + 4 j + 7 k) + 0.4 (I + j + k ) x 10

= (8 I + 8 j + 11 k )m

यदि द्वितीय कण का वेग v2 है तो

r2 = r2 + v2 t

= (2 I + 2 j + 5 k) + v2 x 10

कणों को टकराने के लिए r1 = r2

8 i + 8 j + 11 k = 2 i + 2 j + 5 k + 10 v2

जिससे        v2  = 1/10  (6 I + 6 j + 6 k)

= 0.6(i + j + k) m/s

उदाहरण 12. किसी क्षण दो कणों के स्थिति सदिश व वेग क्रमशः r1 , r2  तथा V1 V2 हैं। ये कण टकराते हैं सिद्ध कीजिये कि इसके लिये

(r2 – r1) x (v2 – v1) = 0

हल: -कणों की टक्कर के समय उनके स्थिति सदिश समान होने चाहिये। यदि टक्कर । समय पश्चात् होती है तो इस समय

प्रथम कण का स्थिति सदिश = r1 + v1t

द्वितीय कण का स्थिति सदिश =r2 +v2t

अतः टक्कर के लिये ने

R1 + v1t = r2 + v2t

या  (r2 – r1) = – (v2 – v1)t

दोनों ओर (v2 – v1) का सदिश गुणन करने पर

(r2 – r1) x (v2 – v1) = – (v2 – v1)t x (v2 – v1) = 0

उदाहरण 13. सिद्ध करो कि किसी जड़त्वीय तन्त्र के सापेक्ष समान वेग से गतिमान तन्त्र भी जड़त्वीय होता है। हल : माना S तथा S’ दो निर्देश तन्त्र हैं जिसमें निर्देश तन्त्र S जड़त्वीय हैतन्त्र निर्देश के सापेक्ष समान वेग से गतिमान है। माना तन्त्र S’ का वेग v = i vx + j vy + k vz है।

स्थिति के गैलीलियन रूपान्तरण समीकरण से x = x – vx t

Y = y – vy t

तथा z = z – vz – t

चूंकि निर्देश तन्त्र S’ का वेग v नियत है इसलिये इसके घटक vx vy तथा vzभी नियत होंगे। समीकरण (1) का दो बार अवकलन करने पर

D2x/dt2 = d2x/dt2

D2y/dt2 = d2y/dt2

D2z/dt2 = d2z/dt…………………..(2)

निर्देश तन्त्र में त्वरण के घटक होंगे d2x dt2, d2y /dt2 d2z/ dt2

चूंकि तन्त्र S एक जड़त्वीय तन्त्र है इसलिये

D2x/dt2 = 0

D2y/dt2 = 0

D2z/dt2 = 0  ……………….(3)

समीकरण (2) तथा (3) की तुलना करने पर

d2 x/dt2 d2y/dt2 = d2z/dt2 = 0 ………………….(4)

समीकरण (4) से यह ज्ञात होता है कि समान वेग से गतिमान तन्त्र S’ जडत्वीय होगा।

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