चित्रानुसार एक S एकवर्णी प्रकाश का स्रोत से जिसे एक छोटे से छिद्र द्वारा अन्य दो छोटे छिद्रों पर गिराया गया है जिन्हें चित्र ने A तथा B द्वारा दर्शाया गया है , दोनों छिद्र अर्थात A व B एक दुसरे के पास पास स्थित है।
दोनों छिद्रों की चौड़ाई लगभग 0.03 mm रखी गयी है तथा दोनों छिद्रों के मध्य की दूरी 0.3 mm है।
दोनों छिद्र प्रकाश के स्रोत से समान दूरी पर स्थित है तथा स्रोत s से चलने वाले प्रकाश तरंगें समान कला में छिद्र A व B पर पहुंचती है इसलिए दोनों छिद्र उच्च कला सम्बन्ध स्रोतों की तरह व्यवहार करेंगे।
हमने हाइगेन्स का तरंग सिद्धान्त पढ़ा है जिसमे उन्होंने कहा था कि जिसमें हाइगेंस ने बताया कि तरंगाग्र का प्रत्येक बिंदु नए प्रकाश स्रोत की तरह कार्य करता है।
इसलिए यहाँ बिंदु A व B दोनों एक प्रकाश स्रोत की तरह कार्य करेंगे और इसके आगे दाई और दुसरे पर अध्यारोपित होंगे।
जब इन बिन्दुओं से दाई ओर एक स्क्रीन XY रखी जाती है तो इस स्क्रीन पर अध्यारोपण के कारण दीप्त और अदिप्त फ्रिंज एकांतर में प्राप्त होते है। इन फ्रिजों को व्यतिकरण फ्रिन्ज कहा जाता है।
इस स्क्रीन XY पर बिंदु P पर दोनों बिन्दुओं A व B से चलने वाली तरंगे समान दूरी तक चलती है और इस बिंदु पर समान कला में मिलती है जिससे यहाँ P बिन्दु पर दीप्त बिन्दु प्राप्त होता है इस बिंदु P को केन्द्रीय दीप्त फ्रिन्ज कहते है।
जब दोनों छिद्र A व B में से किसी एक को बंद कर दिया जाता है तो हम देखते है कि स्क्रीन पर दिखने वाले फ्रिंज गायब हो जाते है अत: हम कह सकते है कि ये फ्रिन्ज दोनों तरंगों के अध्यारोपण के कारण बनते है।
माना दोनों छिद्रों A तथा B के मध्य की दूरी d है तथा इन बिन्दुओं से स्क्रीन के मध्य की दूरी D है जैसा चित्र में दर्शाया गया है तथा छिद्रों से निकलने वाले प्रकाश की तरंग दैर्ध्य λ है।
A तथा B बिंदु से चलने वाला प्रकाश तरंग स्क्रीन P पर मिलता है यहाँ ये समान कला में भी हो सकते है और विपरीत कला में भी , यह निर्भर करता है उनके द्वारा तय दूरी पर , इस P बिंदु की केंद्र फ्रिंज से दूरी x है।
तो व्यतिकरण तरंगों के बीच का पथांतर δ = xd/D
यहाँ θ को छोटा माना गया है।
यहाँ n = 1,2,3, ……… यह अदीप्त फ्रिंज का आर्डर है।