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वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम और स्तनपायी क्या है ? वन्यजीव संरक्षण wildlife conservation in hindi
wildlife conservation in hindi वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम और स्तनपायी क्या है ? वन्यजीव संरक्षण ?
वन्य जीवन (सुरक्षा) अधिनियम और स्तनपायी
अनेक स्तनपायी पीड़क प्रजातियों का जीवन खतरे में हैं, जिन्हें बचाने की जरूरत है। इसलिए पीड़क स्तनधारियों द्वारा की जाने वाली क्षति और उनके प्रबधन की चर्चा करने से पहले वन्य जीवन अधिनियम 1972 का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है।
वन्य जीवन (सुरक्षा) अधिनियम 1972
वन्य जीवन (सुरक्षा) अधिनियम वन्य जीवन संरक्षण और खतरे में पड़ी प्रजातियों की सुरक्षा का नियंत्रण करता है। इसे जम्मू एवं काश्मीर राज्य के अतिरिक्त सभी राज्यों द्वारा अपनाया गया है, जहां उनका अपना अधिनियम है। केन्द्र द्वारा राज्यों को निम्नलिखित के लिए सभी वित्तीय सहायता दी जाती है रू
1) राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित वनों की अवसंरचना का प्रबंधन मजबूत बनाना
2) वन्य जीवन की सुरक्षा तथा अवैध शिकार और वन्य उत्पादों के गैर-कानूनी व्यापार पर नियंत्रण,
3) वन्य जीवन की खतरे में पड़ी प्रजातियों के लिए बंदी अवस्था में प्रजनन कार्यक्रम
4) वन्य जीवन शिक्षा और व्याख्याय एवं
5) चुने हुए चिड़ियाघरों का विकास।
ऐसे कई कशेरुकी फसल पीड़क हैं, जिन के बारे में जानकारियों को काफी कम लिखा गया है या इन्हें अभी सूचीबद्ध किया जाना शेष
है। इनमें से अधिकांश हमारे वन्य जीवन (सुरक्षा) अधिनियम 1972 के अंतर्गत आते हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत, 62 स्तनधारी, 11 पक्षी
प्रजातियों के साथ सुरक्षित घोषित की गई अन्य प्रजातियों के जन्तु आते हैं, जिनका शिकार, बंदी बनाना, मारना, विष देना, चोट पहुंचाना
आदि गैर-कानूनी है।
सामान्य स्तनपायी पीड़क और क्षति का प्रकार
कृन्तकों के अलावा सामान्य स्तनधारी पीड़क है : चमगादड़, नील गाय, रीसस बन्दर, लंगूर, जंगली सूअर, रीछ, काला हिरण, हिरण,
भारतीय खरगोश, गीदड़, भारतीय भैंसा और हाथी। फसल को नष्ट करने वाले अन्य कशेरुकी जीवों पर अतिरिक्त जानकारी, जिनमें प्रमुख फसलों को पहुंचाए गए नुकसान शामिल हैं, तालिका 4.4 में दी गई हैं रू
प्रबंधन
स्तनधारी पीड़क प्रजातियों को संकटग्रस्त प्रजाति माना गया है । इनके प्रबंधन के लिए पारिस्थितिक संतुलन को नियंत्रित करने वाले
सामान्य सिद्धांतों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
ऽ छोटे-छोटे विस्फोटकों का उपयोग करें, खास तौर पर चमगादड़ों के लिए।
ऽ काग भगोड़े (मानव पुतले) खड़े करना और जानवरों को दूर रखने के लिए आग जलाना।
ऽ विभिन्न डिजाइनों वाले कटीली तार को जानवरों को दूर रखने में उपयोग करना।
ऽ जानवरों को झटका देने के लिए उनकी प्रजाति के प्रतिरोध के आधार पर अल्प वोल्ट की बिजली की धारा वाली बाड़ लगाना। कुछ जानवरों के अलावा यह विधि बंदरों को तितर-बितर करने में भी उपयोगी है। बिजली की बाड़ में वोल्टेज को 4000 वोल्ट तक बढ़ाने के लिए सुगठित ऊर्जा उत्पादक की आवश्यकता होती है, जिससे लक्ष्य किये गए हाथियों को रुक-रुक कर करेण्ट लगे। तार के साथ कोई सम्पर्क होने पर हाथियों को तेज झटका लगता है परन्तु कोई नुकसान नहीं होता। हाथियों के लिए खाई खोद कर पकड़ने (जतमदबीपदह) की तुलना में सस्ता विकल्प है, जिसकी सिफारिश आम तौर पर हाथियों के लिए की जाती है।
ऽ बंदूकध्डार्ट गन का उपयोग नियमानुसार किया जाए।
ऽ जहां नियमों में अनुमति हो वहां विषैले प्रलोभक का प्रयोग किया जा सकता है। याद रखें जिंक फॉस्फाइड सभी कशेरुकी जन्तुओं के लिए विषैला है।
बोध प्रश्न 8
1) खाली स्थान भरें :
क) उस स्तनधारी का नाम जिसे वन्य जीवन (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत सुरक्षित नहीं किया गया है……………………….
ख) पेड़ों को छाल उतारकर और रगड़कर आमतौर पर इन्हें ……………………….नुकसान पहुंचाते हैं।
ग) ये फलों और फूलों को खाने के बजाय नष्ट ज्यादा करते हैं ……………………….।
घ) स्तनधारियों को……………………….विष नहीं दिया जाना चाहिए।
2) सही विकल्प चुनें
क) निम्नलिखित में से कौन सा पीड़क चूहों, गिलहरियों, बंदर, सुअर, हिरण, नीलगाय, मोर और यहां तक कि हाथियों को भी मार सकता है ……………………….
।) कार्बोफ्यूरॉन
ठ) एण्डोसल्फान
ब्) जिंक फास्फाइड
क्) कार्बारिल
ख) निम्नलिखित में से कौन सी प्रजाति खेती की फसलों के लिए सर्वाधिक नाशक है।
।) रेटस रेटस
ठ) बेंडीकूटा बेंगालेंसिस
ब्द्ध टेटेरा इंडिका
उत्तर
बोध प्रश्न
8) प) क) चमगादड़
ख) काला हिरण
ग) बंदर
घ) जिंक फॉस्फाइड या अन्य कोई रसायन
पप) क) ब
ख) ठ
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