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Categories: BiologyBiology

कृन्तक किसे कहते है | कृंतक की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब rodents meaning in hindi मूषक

मूषक या कृन्तक किसे कहते है | कृंतक की परिभाषा क्या है अर्थ मतलब rodents meaning in hindi ?

कृन्तक (Rodents)
कृन्तक सभी स्तनधारी प्रजातियों के लगभग 40 प्रतिशत भाग होते हैं। इनकी चारित्रिक विशेषता है दो पैने कृन्तक (incisor) दांतों का जोड़ा (काटने के लिए मुंह में सामने के दो जोड़ी दांत), जिन्हें कड़ी से कड़ी फलियों को काटने और खाद्य पदार्थों के आवरण हटाने के लिए उपयोग किया जाता है। कृन्तकों में शामिल हैं चूहा, घरेलू मूषक, मोलरेट्सध्खेत में पाए जाने वाले मूषक, गर्बिल (रोडेंशियारूम्यूरिडी),पॉरक्यूपाइन्स (साही) (रोडेंशियाः हिस्ट्रीसिडी) और गिलहरियां (रोडेंशियाः साययूरिडी)। अन्य स्तनधारियों से कृन्तकों में अंतर करने के लिए सर्वोत्तम तरीका है उनके दांतों की स्थिति और आकार। कृन्तकों के ऊपरी और निचले, दोनों जबड़ों में दांतों का एक-एक जोड़ा (incisors) होता है ।

कृन्तकों के एक जोड़े की एक साल के अंदर 800-900 संतति हो सकती है हर बार 9-10 बच्चे पैदा करते हुए, एक मादा साल भर में 5-6 बार प्रजनन कर सकती है। वे रात्रिचर होते हैं और अठारह माह के सक्रिय जीवन के साथ ये तीन साल तक जीवित रह सकते हैं। इन कृन्तकों को पहचानने के सरल लक्षण चित्र 4.13 और चित्र 4.14 में दिए गए हैं। इन कृन्तकों में बिल बनाने के विभिन्न पैटर्न होते हैं, विशषकर बी. बेंगालेंसिस (चित्र 4.15), टी. इंडिका (चित्र 4.16), एम. मेल्टाडा (चित्र 4.17), और एम. ग्लेजडोवी (चित्र 4.18)। आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण कृन्तक प्रजातियां हैं रेटस रेटस, आर. नॉर्वोजिसक, आर. मेल्टाडा, मस मस्कुलस, बेंडीकोटा बेंगालेंसिस (सबसे अधिक विनाशकारी), टेटेरा इंडिका और मिलार्डिया मेल्टाडा। अन्य सामान्य रूप से मिलने वाली प्रजातियां हैं एम. बुडुगो, एम. प्लेटीथ्रिक्स, मेरियोनेस हरिएनी, मिलार्डिया ग्लीडोवी, नेसोकिया इंडिका आर. ब्लेनफोर्डी, गोलुण्डएलिओटी और वेंडेलुरिया ओलेरेसी, इसके अलावा गिलहरियां और पॉरक्यूपाइन (साही)।

 क्षति का प्रकार
क्षति का प्रकार और सीमा उस फसल पर निर्भर करता है। चूहे अनाज से लेकर द्विबीजपत्री बीज और दाने (ग्रेन) खाना पसंद करते हैं। गेंहू की फसल में छोटे पौधों को कम नुकसान पहुंचाया जाता है और अधिकांश नुकसान फसल पकने पर पहुंचाया जाता है। चूहे धान की नर्सरी की जड़ें खोद कर बीज खाते हैं और वे पौधों को भी काट देते हैं (चित्र 4.19)। नारियल के फलों को चूहों द्वारा पहुंचाया जाने वाला नुकसान की चारित्रिक विशेषता है कि वे वृन्त (जुड़ाव का बिन्दु) के पास एक या दो छेद करते हैं और गिरी खा जाते हैं।

एक चूहा संदूषण और गंदगी फैलाने के अलावा प्रजातियों पर निर्भर करते हुए 8-30 ग्राम भोजन प्रति दिन खा सकता है। मुख्य स्थानों (हॉट स्पॉट) में चूहे खेत में बोए गए बीज खा जाते हैं जिससे अंकुरण की संख्या कम हो जाती है। गेंहू की ढेर सारी बालें (इयर हेड) बिलों में जमा कर लिए जाते हैं। उदाहरण के लिए बी. बेंगलेंसिस के बिल में फसल पकने के समय 20 कि. प्रा. गेंहू की बालें जमा की जा सकती हैं। आस पास की फसलें ऐसी लगती हैं मानों इनकी कटाई हो चुकी है। कृन्तक मेढ़ों और सिंचाई प्रणालियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इन उत्पादों का भोजन करने के अलावा ये अपनी विष्ठा, मूत्र और शरीर के बालों आदि को गिरा कर और संदूषित कर काफी नुकसान पहुंचाते हैं।

प्रबंधन
चूहों के आतंक का प्रभावी प्रबंधन करने के लिए पहले दौर में यह जानने के लिए निगरानी की जानी चाहिए कि कौन सी प्रजातियां
उपस्थित हैं और टाले जा सकने वाले नुकसानों, साथ ही संक्रमित चूहों द्वारा फैलाई जाने वाला बीमारियों पर जनता में जागरूकता लानी चाहिए। खेतों में जीवित खोहोंध्बिलों, चलने के रास्तों (चिकने, चिपचिपे, गहरे रास्ते) को रिहायशी इलाकों के आस पास देखें, साथ ही पैरोंध्पंजों के निशान, घसीटने और शरीर रगड़ने के चिन्ह देखें। यदि आक्रमण गहरा हो तो चूहे आते जाते दिखाई दे सकते हैं और पौधे के सिर कटे हुए दिखाई दे सकते हैं जैसे दराँती से कटे हों। चूहों के प्रबंधन की प्रधान विधियां इस प्रकार हैं :
ऽ फसलों के आस पास प्लास्टिक की शीटध्भण्डारण सुविधाओं के लिए धातुध्सीमेंट की शीट लगाकर कृन्तकों को दूर रखना।
ऽ चूहों को मल्टी-केचरों, पकड़ने के पिंजरोंध्बांस की दीवारों द्वारा उन्हें पकड़ना।
ऽ ष्पेस्टगो” एक चिपचिपे जेल के समान विकर्षक अथवा इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों पर आधारित सुपर द्वितीयक ध्वनि (supersonic sound) से उन्हें दूर रखना।
ऽ कचरे के स्थान हटाना तथा अपशिष्टध्फसल अवशेषों के उचित निपटान ।
ऽ जिंक फॉस्फाइड (थोड़ी सी चिकनाईध्वसा के साथ पसंदीदा भोजन पर 2 प्रतिशत) का विषैला प्रलोभक। इस प्रलोभक को 1 भाग जिंक फास्फेट के साथ 40 भाग गेंहू , चना और बाजरे के आटे के साथ वनस्पति तेल मिला कर बनाया जाता है। जिंक फॉस्फाइड को खेत में उपयोग करने से कृन्तकों की संख्या में 70-80 प्रतिशत की कमी आती है। विष प्रलोभक-जिंक फॉस्फाइड का उपयोग 2-3 माहों के अंदर दोहराया नहीं जाना चाहिए। शेष आबादी को उनके बिलों में धुंआ कर के या वारफेरिन का प्रलोभक उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है।
ऽ बिलों में एल्युमिनियम फॉस्फाइड (3-6 ग्राम प्रति बिल) से धुंआ करके या 3-9 दिनों तक विष मुक्त प्रलोभक, और इसके बाद ब्रोमाडियोलोन जैसे स्कंदनरोधी (anti coagulant) को विशेषज्ञ की निगरानी में उपयोग करना चाहिए। इसका लक्ष्य होना चाहिए 90 प्रतिशत से अधिक संख्या को नष्ट करना, अन्यथा ये इतनी तेजी से प्रजनन करते हैं कि कुछ ही महीनों में इनकी संख्या उसी स्तर पर पहुंच जाती है।

बोध प्रश्न 7
खाली स्थान भरें :
क) बिल के प्रवेश द्वार पर पत्थरों की उपस्थिति से ……………………….की कॉलोनी होने का संकेत मिलता है ।
ख) खेत के चूहों के लिए विषैला प्रलोभक बनाने में आम तौर पर जिंक फॉस्फाइड का ……………………….प्रतिशत है ।

उत्तरमाला

7) प) मिलार्डिया मेल्टाडा
पप) 2 प्रतिशत

Sbistudy

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