राजस्थान का गांधी किसे कहते हैं | राजस्थान का गांधी किसे कहा जाता है who is gandhi of rajasthan in hindi

who is gandhi of rajasthan in hindi राजस्थान का गांधी किसे कहते हैं | राजस्थान का गांधी किसे कहा जाता है ?
प्रश्न : गोकुल भाई भट्ट ?
उत्तर : हाथल गाँव (सिरोही) में जन्में “राजस्थान के गाँधी” गोकुल भाई भट्ट जी के रचनात्मक कार्यो में प्रमुख सहयोगी रहे। बम्बई में कांग्रेस को संगठित कर विदेशी वस्त्रों की होली जलाई और नमक सत्याग्रह और शराब बंदी सत्याग्रह का सफल सञ्चालन किया। 1939 ईस्वीं में सिरोही प्रजामण्डल की स्थापना कर निरंकुश शासन के विरुद्ध संघर्ष कर उत्तरदायी सरकार और नागरिक अधिकारों की स्थापना करवाई। आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन , जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रान्ति में सक्रीय योगदान दिया। दलितोद्धार , शिक्षा , खादी और चरखा संघ का प्रसार , मद्य निषेध के लिए आमरण अनशन किया। आबू का विलय अपने प्रयासों से राजस्थान में करवाया। पद्मभूषण और जमनालाल बजाज पुरस्कारों से सम्मानित गोकुल भाई भट्ट ने निश्चय ही “राजस्थान के गांधी” की उपाधि को सार्थक किया।

प्रश्न : हरिभाऊ उपाध्याय ?

उत्तर : राजस्थान में महिला शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रमुख गांधीवादी और सर्वोदयी नेता हरिभाऊ उपाध्याय की जन्मभूमि ग्वालियर और कर्मभूमि राजस्थान रही। ये एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी के साथ साथ समाज सेवी , पत्रकार और लेखक भी थे। इन्होने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हटूण्डी (अजमेर) में “महिला शिक्षा सदन” और समाज सेवा के लिए “गाँधी आश्रम ” एवं “गांधी सेवा संघ” की स्थापना की। लोगों में शिक्षा और ज्ञान प्रसार के लिए “सस्ता साहित्य मण्डल” (1925) स्थापित किया। इन्होने “औदुम्बर और नवजीवन” पत्रिकाएँ और ” युगधर्म ” और “सर्वोदय की बुनियाद ” आदि पुस्तकें लिखकर साहित्यिक रूचि का परिचय दिया। 1952 में ये अजमेर के मुख्यमंत्री बने और 1966 में इन्हें “पद्मश्री” से सम्मानित किया गया।
प्रश्न : बालमुकुन्द बिस्सा ?
उत्तर : राजस्थान के जतिनदास बालमुकुंद बिस्सा डीडवाना से थे। जिन्होंने जयनारायण व्यास के सहयोगी की प्रमुख भूमिका निभाई और इन्होने नागौर में ‘चरखा संघ’ और ‘खद्दर भण्डार’ की स्थापना कर इनका प्रचार प्रसार किया। ‘जवाहर विचार विमर्श’ केंद्र बनाया और राजनितिक चेतना जागृत की। 1942 ईस्वीं में जयनारायण व्यास के साथ आन्दोलनकारियों में बिस्सा को भी जेल भेजा। जेल में राजनितिक बंदियों से होने वाले दुर्व्यवहार के विरुद्ध बिस्सा जी ने भूख हड़ताल की। फलस्वरूप स्वास्थ्य ख़राब होता गया साथ ही जेल अधिकारियों की यातनाएँ बढती गयी , अंततः जून 1942 को बिस्सा जी भूख हड़ताल के कारण शहीद हुए।
प्रश्न : सागरमल गोपा ?
उत्तर : जैसलमेर में जन्में सागरमल गोपा जीवनपर्यन्त अपनी जन्मभूमि के दुःखों को दूर करते रहे। इन्होने अत्याचारी निरंकुश राजशाही का कड़ा विरोध कर जैसलमेर राज्य में राजनितिक चेतना उत्पन्न करने के साथ साथ शिक्षा प्रसार पर विशेष जोर दिया। गोपा जी ने “आजादी के दीवाने” और “जैसलमेर में गुण्डाराज” पुस्तक छपवाकर वितरित की जिनमें जैसलमेर राजशाही के काले कारनामों की लम्बी सूची और उनकी कटु आलोचना की। साथ ही अपने क्रन्तिकारी विचारों और गतिविधियों से लोगों में राजनितिक चेतना उत्पन्न की। इसके लिए इनको राज का कोप भाजन बनना पड़ा। इन्हें राजद्रोह के आरोप में 24 मई 1941 ईस्वीं को जेल में डालकर इन पर अमानवीय अत्याचार किये।अंततः इन पर तेल छिड़कर आग लगा दी गयी तथा जीवित ही जला दिया गया।
प्रश्न : राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी ?
उत्तर : राजस्थान सरकार द्वारा प्रकाशित “देश के दीवाने” नामक पुस्तक में राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानियों की कीर्ति गाथाओं के वर्णन हेतु , सरकार ने राजस्थान के 51 स्वाधीनता सेनानियों के नामों को सम्मिलित किया है। जिनमें कुछ का विवरण विगत अध्यायों में दिया जा चुका है। प्रजामंडल से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण परिक्षापयोगी स्वतंत्रता सेनानियों का वर्णन यहाँ किया गया है।
प्रश्न : राजस्थान के प्रमुख चार स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बताइए ?
उत्तर : राजस्थान के प्रमुख चार स्वतंत्रता सेनानी थे – जय नारायण व्यास , हीरालाल शास्त्री , सागरमल गोपा और माणिक्यलाल वर्मा थे। इन्होने राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देशी रियासतों में संवैधानिक शासन और जनता के अधिकारों के लिए जुझारू रूप से संघर्ष किया। जब भारत छोडो आन्दोलन शुरू हुआ तब इन नेताओं ने तथा इनके साथी नेताओं ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।