मनरेगा कब लागू किया गया था ? नरेगा या मनरेगा कब लागू हुआ ? शुरू पूरा नाम क्या है when did mgnrega started in hindi

when did mgnrega started in hindi मनरेगा कब लागू किया गया था ? नरेगा या मनरेगा कब लागू हुआ ? शुरू पूरा नाम क्या है ?

प्रश्न : नरेगा या मनरेगा कब लागू हुआ ? nrega yojna kab shuru hua नरेगा पूरे देश में कब पारित हुआ ?

उत्तर : 1 अप्रेल 2008 से पूरे भारत देश में नरेगा / मनरेगा को लागू कर दिया गया जिसका बजट लगभग 40 हजार करोड़ रुपये था | यह September 7, 2005 को लाया गया था जो प्रभावी रूप से February 2, 2006 को लागू किया गया लेकिन इस समय यह केवल 200 पिछड़े जिलों में लागू किया गया था लेकिन 1 अप्रेल 2008 को इस मनरेगा योजना को पूरे देश में लागू कर दिया गया |
इसका पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) था |
आर्थिक वस्तुओं और आर्थिक सेवाओं के द्वारा की जाने वाली आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन अर्थव्यवस्था के अंतर्गत किया जाता है |
आर्थिक वस्तुओं और सेवाएँ क्या होती है ?
उत्तर : वे वस्तुएं और सेवाएँ जिनकी कोई न कोई कीमत होती है उन्हें आर्थिक वस्तुएँ और सेवाएँ कहा जाता है |
उत्पादन के उपादान और उपादान कीमत (फैक्टर ऑफ़ प्रोडक्शन और फैक्टर प्राइसिंग) भूमि , श्रम , पूँजी और उद्यम उत्पादन के चार उपादान (फैक्टर) होते है |
इनकी उपादान कीमत (फैक्टर) क्रमशः किराया , मजदूरी , ब्याज और लाभ है |
अर्थव्यवस्था के प्रकार (टाइप्स ऑफ़ इकोनॉमिक्स) –
1. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (capital economy) : वह स्वतंत्र अर्थव्यवस्था जिसमें बाजार में कीमत सिग्नलों के अनुसार उपभोक्ता और उत्पादक अपने उपभोग और उत्पादान के निर्णय लेते है अर्थात इसमें वस्तुओं की कीमत बाजार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है | इस प्रकार की अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है | ऐसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के संसाधनों और सम्पतियों पर निजी क्षेत्र का अधिकार होता है और इस अर्थव्यवस्था में जनता की आय में असमानता उत्पन्न होती है |
2. समाजवादी अर्थव्यवस्था या साम्यवादी अर्थव्यवस्था (socialism economy) : वह अर्थव्यवस्था जिसमें उत्पादन , उपभोग और निवेश से सम्बन्धित सभी मुख्य निर्णय किसी केन्द्रीय अधिकारी या सरकार द्वारा लिए जाते है | अर्थात इस अर्थव्यवस्था में बाजार पर पूर्ण नियंत्रण सरकार का होता है या सरकार का पूर्ण रूप से बाजारों में हस्तक्षेप रहता है | यहाँ मुख्य उद्देश्य सामाजिक कल्याण को अधिकतम करना है | इस अर्थव्यवस्था में सरकार का कार्य लाभ कमाना न होकर जनता की सेवा करना होता है और इस अर्थव्यवस्था में जनता में आय की समानता पायी जा सकती है | इस अर्थव्यवस्था में उत्पादन के संसाधनों या सम्पतियों पर सरकार का नियंत्रण या अधिकार होता है |
3. मिश्रित अर्थव्यवस्था (mixed economy) : वह अर्थव्यवस्था जिसमें उत्पादन , उपभोग और निवेश से सम्बन्धित कार्य या निर्णय बाजारी शक्तियों की स्वतंत्रता अंतक्रिया पर छोड़ दिए जाते है लेकिन आर्थिक क्रियाओं का नियमन सरकार द्वारा होता है ताकि व्यक्तिगत कल्याण के साथ सामाजिक कल्याण अधिकतम हो |
अर्थात इस अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों बाजार में कार्य करते है या सक्रीय होते है | निजी क्षेत्र का उद्देश्य लाभ कमाना और सार्वजनिक क्षेत्र का उद्देश्य समाज का कल्याण करना होता है | इसमें आर्थिक असमानता पायी जाती है | इसमें वस्तुओं का मूल्य बाजार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है अर्थात बाजारों में सरकार का प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप नहीं होता है |

मनरेगा कब लागू किया गया था ? नरेगा या मनरेगा कब लागू हुआ ? शुरू पूरा नाम क्या है when did mgnrega started in hindi

when did mgnrega started in hindi मनरेगा कब लागू किया गया था ? नरेगा या मनरेगा कब लागू हुआ ? शुरू पूरा नाम क्या है ?

प्रश्न : नरेगा या मनरेगा कब लागू हुआ ? nrega yojna kab shuru hua नरेगा पूरे देश में कब पारित हुआ ?

उत्तर : 1 अप्रेल 2008 से पूरे भारत देश में नरेगा / मनरेगा को लागू कर दिया गया जिसका बजट लगभग 40 हजार करोड़ रुपये था | यह September 7, 2005 को लाया गया था जो प्रभावी रूप से February 2, 2006 को लागू किया गया लेकिन इस समय यह केवल 200 पिछड़े जिलों में लागू किया गया था लेकिन 1 अप्रेल 2008 को इस मनरेगा योजना को पूरे देश में लागू कर दिया गया |
इसका पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) था |
आर्थिक वस्तुओं और आर्थिक सेवाओं के द्वारा की जाने वाली आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन अर्थव्यवस्था के अंतर्गत किया जाता है |
आर्थिक वस्तुओं और सेवाएँ क्या होती है ?
उत्तर : वे वस्तुएं और सेवाएँ जिनकी कोई न कोई कीमत होती है उन्हें आर्थिक वस्तुएँ और सेवाएँ कहा जाता है |
उत्पादन के उपादान और उपादान कीमत (फैक्टर ऑफ़ प्रोडक्शन और फैक्टर प्राइसिंग) भूमि , श्रम , पूँजी और उद्यम उत्पादन के चार उपादान (फैक्टर) होते है |
इनकी उपादान कीमत (फैक्टर) क्रमशः किराया , मजदूरी , ब्याज और लाभ है |
अर्थव्यवस्था के प्रकार (टाइप्स ऑफ़ इकोनॉमिक्स) –
1. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (capital economy) : वह स्वतंत्र अर्थव्यवस्था जिसमें बाजार में कीमत सिग्नलों के अनुसार उपभोक्ता और उत्पादक अपने उपभोग और उत्पादान के निर्णय लेते है अर्थात इसमें वस्तुओं की कीमत बाजार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है | इस प्रकार की अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है | ऐसी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के संसाधनों और सम्पतियों पर निजी क्षेत्र का अधिकार होता है और इस अर्थव्यवस्था में जनता की आय में असमानता उत्पन्न होती है |
2. समाजवादी अर्थव्यवस्था या साम्यवादी अर्थव्यवस्था (socialism economy) : वह अर्थव्यवस्था जिसमें उत्पादन , उपभोग और निवेश से सम्बन्धित सभी मुख्य निर्णय किसी केन्द्रीय अधिकारी या सरकार द्वारा लिए जाते है | अर्थात इस अर्थव्यवस्था में बाजार पर पूर्ण नियंत्रण सरकार का होता है या सरकार का पूर्ण रूप से बाजारों में हस्तक्षेप रहता है | यहाँ मुख्य उद्देश्य सामाजिक कल्याण को अधिकतम करना है | इस अर्थव्यवस्था में सरकार का कार्य लाभ कमाना न होकर जनता की सेवा करना होता है और इस अर्थव्यवस्था में जनता में आय की समानता पायी जा सकती है | इस अर्थव्यवस्था में उत्पादन के संसाधनों या सम्पतियों पर सरकार का नियंत्रण या अधिकार होता है |
3. मिश्रित अर्थव्यवस्था (mixed economy) : वह अर्थव्यवस्था जिसमें उत्पादन , उपभोग और निवेश से सम्बन्धित कार्य या निर्णय बाजारी शक्तियों की स्वतंत्रता अंतक्रिया पर छोड़ दिए जाते है लेकिन आर्थिक क्रियाओं का नियमन सरकार द्वारा होता है ताकि व्यक्तिगत कल्याण के साथ सामाजिक कल्याण अधिकतम हो |
अर्थात इस अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों बाजार में कार्य करते है या सक्रीय होते है | निजी क्षेत्र का उद्देश्य लाभ कमाना और सार्वजनिक क्षेत्र का उद्देश्य समाज का कल्याण करना होता है | इसमें आर्थिक असमानता पायी जाती है | इसमें वस्तुओं का मूल्य बाजार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है अर्थात बाजारों में सरकार का प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप नहीं होता है |