बीजाण्ड संवर्धन क्या होता है ? ovule culture in hindi फायदे और नुकसान ovule culture advantages and disadvantages

ovule culture in hindi बीजांड संवर्धन फायदे और नुकसान ovule culture advantages and disadvantages बीजाण्ड संवर्धन क्या होता है ?

बीजाण्ड संवर्धन (Ovule Culture)
अगुणित पादपों को प्राप्त करने हेतु अनिषेचित अण्डाशय का संवर्धन किया जाता है। इस अण्डाशय संवर्धन द्वारा अगुणित प्राप्ति जायांगजनन (gynogenesis) कहलाती है। इस संवर्धन में बीजाण्डों को कल्चर करना अधिक लाभदायक रहता है। हैलिएन्थस में अलग किये हुए बीजाण्डों की संवर्धन माध्यम पर वृद्धि उत्तम होती है। बीजाण्डों से प्राप्त पादपों की संख्या पादप जाति व उसके जीनप्ररूप (genotype) पर निर्भर करती है।
जायांगजनन सर्वप्रथम 1976 में हॉर्डियम में रिपोर्ट किया गया था तत्पश्चात ओरायजा, ट्रिटिकम, जिआमेज, पिटूनिआ तथा निकोटिआना समेत कई जातियों में सफलतापूर्वक रिर्पोट किया जा चुका है। व्हाइट ने 1932 में एन्टीराइनम में बीजाण्ड निजर्मित अवस्था में संवर्धित किये थे उसके पश्चात् 1958 में महेश्वरी ने इस तकनीक का विकास किया।
संवर्धन माध्यम पर अगुणित पादपक (plantlets) प्राप्त करने हेतु बीजाण्ड की परिपक्व भ्रूणकोष अवस्था उपयुक्त मानी जाती है। इसमें पुष्पक्रम को 4-7°C पर 24-48 घंटे तक पूर्व उपचारित (pre treatment) करवाने पर अगुणित पादपकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है।
पादपकों की उपयुक्त संख्या प्राप्त करने के लिए संवर्धन माध्यम में वृद्धि नियामकों की आवश्यकता होती है। यह वृद्धि नियामक हर जाति कि लिए अलग-अलग होते हैं। हैलिएन्थस में बिना वृद्धि नियामक प्रयोग किये ही संवर्धन माध्यम पर बीजाण्ड बेहतर वृद्धि करके कई पादपक निर्मित कर लेते हैं।
वृद्धि नियामकों के साथ-साथ संवर्धन माध्यम में पादपक को उचित वृद्धि के लिए सूक्रोज की भी आवश्यकता होती है। हैलिएन्थम में 12% सूक्रोस पर अगुणित पादपक ज्यादा मात्रा में निर्मित होते हैं जबकि इससे कम मात्रा पर कैलस तथा भ्रूणाभ बन जाते हैं।
अगुणित पादपों की प्राप्ति हेतु मुख्यतः दो अवस्थायें होती हैं
(प) प्रेरण (Induction) : इस अवस्था में अण्डाशयध्बीजाण्ड को आक्सिन की कम मात्रा युक्त द्रव पोष पदार्थ (सपुनपक दनजतपमदज) पर अंधेरे में रखते हैं।
(पप) पुनर्जनन (Regneration) : इसमें बीजाण्डों को अगार युक्त पोषपदार्थ पर प्लवित किया जाता है। इस पोषपदार्थ में ऑक्सिन की मात्रा अधिक होती है व यह प्रकाश में रखे जाते हैं।
बीजाण्ड को जब पोषपदार्थ पर संवर्धित करते हैं तब उसमें उपस्थित भ्रूणकोष (embryo sac) की अण्डकोशिका (egg cell) से सामान्यतः अगुणित पादप प्राप्त होते हैं। ओरायजा में यह देखा गया है कि अगुणित पादप सहाय कोशिका (synergids) से तथा प्रतिमुखी (antipodal) कोशिकाओं से भी निर्मित है सकते हैं।
संवर्धन माध्यम पर पादपक सीधे ही भ्रूणजनन (embryogenesis) द्वारा निर्मित हो सकते हैं जो ज्यादातर यह रिपोर्ट किया गया है कि संवर्धन माध्यम पर पहले कैलस निर्मित होता है तत्पश्चा पुर्नजनन द्वारा अगुणित पादपक प्राप्त होते हैं।
संवर्धन माध्यम पर बीजाण्ड परिवर्धन द्वारा युग्मनज अथवा भ्रूण की आरंभिक अवस्थाओं के बारे में अध्ययन करना तथा इसकी विभिन्न आवश्यकताओं के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करना अपेक्षाकृत सरल होता है।
भ्रूण संवर्धन (Embryo Culture)
परिवर्धित हो रहे बीजों से अपरिपक्वध्तरूण भ्रूण को निकाल कर पोषक पदार्थ (nutrient medium) पर संवर्धित करके पादपकों की प्राप्ति को भ्रूण संवर्धन कहते हैं। ब्रैसीकेसी की पादप जातियां रेफेनस व कॉकलेरिया पर सर्वप्रथम हैनिंग ने सफलतापूर्वक भ्रूण संवर्धन रिपोर्ट किया था। भ्रूण संवर्धन के लिए बेसिका के भ्रूण की कुछ कोशिकायें अथवा जायगोट अवस्था उपयोग में ली जा सकती है जबकि सामान्यतः भ्रूण की गोलाकार अवस्था भ्रूण संवर्धन के लिए उपयोगी मानी जाती है। भ्रूण निकालते समय निलम्बक का ध्यान रखना चाहिये कि यह नष्ट नहीं हो क्योंकि यह विकसित होते हुए भ्रूण को जिबरेलिन की आपूर्ति करता है। अधिकतर संवर्धन माध्यम पर भ्रूण अपनी सम्पूर्ण अवस्थायें पूरी करने से पूर्व ही। अंकुरित होना शुरू कर देते हैं जो कालपूर्वक अंकुरण कहलाता है।
भ्रूण कल्चर हेतु पोष पदार्थ
उच्च पादप जातियों में यह देखा गया है कि गोलाकार अवस्था तक भ्रूण परपोषित होते हैं व भ्रूणपोष से अपना पोषण प्राप्त करते हैं। इस अवस्था के पश्चात् भ्रूण स्वपोषित हो जाते हैं अतः भ्रूण कल्चर हेतु पोषक पदार्थ का संगठन पूर्णतया भ्रूण की अवस्था पर निर्भर करता है। तरूण भ्रूण के लिए अकार्बनिक व कार्बनिक पदार्थ जैसे शर्करा, माल्ट, यीस्ट आदि भी मिश्रित करने पड़ते हैं। विभेदित कुछ परिपक्व भ्रूण लवण व सुक्रोज युक्त पोष माध्यम पर आसानी से वृद्धि कर सकते हैं।
कैप्सेला के भ्रूण संवर्धन पर शोध के दौरान ज्ञात हुआ कि डै पोष माध्यम पर इसकी वृद्धि Fe भाग को 2/3 करने पर बेहतर होती है व इसकी उत्तरजीविता (survival) अप्रभावी रहती है किन्तु ब्ंब्स, की सान्द्रता दुगुनी होने पर उत्तरजीविता बढ़ जाती है। पोटेशियम व सूक्ष्मतत्व मिलाने पर भ्रूण की वृद्धि बेहतर होती है पर उत्तरजीविता पर कोई असर नहीं पड़ता है।
उपरोक्त तथ्य यह सिद्ध करते हैं कि प्रत्येक भ्रूण की वृद्धि तथा उत्तरजीविता के लिए पोष पदाथ भिन्न भिन्न होते हैं।
पोषक माध्यम में 8-12% सुक्रोज का इस्तेमाल किया जाता है तथा भ्रूण की जैसे-जैसे वृद्धि होता है सक्रोज की आवश्यकता कम होती जाती है। वृद्धि नियामक कुछ जातियों में भ्रूण संवर्धन के समय पोषक माध्यम में मिलाने पर बेहतर परिणाम मिलते हैं | ABA का उपयोग करने पर कालपर्वक अंकुरण (orecocious germination) रूक जाता है तथा भ्रूण परिवर्धन एवं परिपक्वन सामान्य गति से पूरा होता है।
संवर्धन प्रक्रिया (Process of culture)
1. सामान्यतः उचित आकार के भ्रणों को बीजाण्ड से निकाल कर निर्जर्मित करने के पश्चात पोष माध्यम पर उनका संवर्धन करते
हैं।
2. कुछ जातियों के भ्रूण अगर पोष पदार्थ पर सीधे वृद्धि नहीं करते हैं तब उन भ्रूण को पात्रे संवर्धित भ्रूणपोषों में प्रतिरोपित कर देते हैं।
भ्रूण संवर्धन के अनुप्रयोग (Applications of embryo culture)
1. प्रजनन प्रक्रिया को कम करना : भ्रूण संवर्धन द्वारा आर्थिक महत्व के पादपों का जीवन चक्र छोटा किया जा सकता है जैसे आइरिस में रेन्डोल्फ व कॉक्स (Randolph and Cox, 1943) ने इसके जीवन चक्र को चार साल से कम करके एक साल का कर दिया। रोजा में एक साल में पुष्पन होता है किन्तु भ्रूण संवर्धन प्रक्रिया द्वारा इसका जीवन चक्र छरू माह का किया जा सकता है। निकल (छपबामस, 1951) ने मेलस पर प्रयोग के दौरान रिपोर्ट किया कि इसके बीज कम से कम नौ माह में अंकुरित होते हैं जबकि भ्रूण को पोष पदार्थ पर संवर्धन करने पर वह 48 घंटे में अंकुरित हो जाते हैं तथा 4 हफ्ते में पादपक बन जाते हैं। पांच महीने में पादप एक मीटर तक लम्बे हो जाते हैं।
2. बीज का जीवन क्षमता का परीक्षण रू भ्रूण को बीजाण्ड से विलगित करके उसका परीक्षण करना ज्यादा भरोसेमंद है बजाय
बीज की जीवनक्षमता का परीक्षण करना है।
3. दुलर्भ पादपों का जनन : कुछ पादप जो दुलर्भ होते हैं उनका जनन (propagation) उनके भ्रूण को निकाल कर संवर्धन माध्यम पर किया जाता है। इससे जो पादपक बनते हैं वह जनक पादपों के समान होते हैं तथा उन्हें सफलतापूर्वक खेतों या जहां आवश्यकता हो रोपित किया जा सकता है।
4. दुलर्भ संकर की प्राप्ति : पादप प्रजनन कार्य में वांछित गुणों युक्त कुछ पादप होते हैं जो आगे वृद्धि नहीं कर पाते हैं ऐसी अवस्था में अगर उनके भ्रूण को निकाल कर संवर्धन माध्यम पर रखा जाये तो वह पूर्ण पादप निर्मित कर लेते हैं जो सफलतापूर्वक खेतों में रोपित होकर अपनी जीवन क्रिया सम्पन्न करते हैं।
प्रश्न (Questions)
(।) बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
1. परागकण संवर्धन माध्यम पर वृद्धि करके कैसे पौधे निर्मित करेंगे।
(ं) In (इ) 2n (ब) 3n (क) 4n
What is the ploidy of plants developed from pollen grain
(a) In (b) 2n (c) 3n (d) 4n
2. अगुणित पादप उत्पन्न करने के लिए कौनसा कुल वांछित है-
(ं) यूर्फीबिऐसी (इ) रूटेसी (ब) सोलेनेसी (क) सभी
Which is the desired family to obtain haploid plants
(a) Euphorbiaceae (b) Rutaceae (c) Solanaceae (b) All
उत्तर (Answers)
1. (a), 2. (c)
(ठ) रिक्त स्थान भरिए (Fill In the Blanks)
1. निकोटियाना के परागकण बड़े व ………… युक्त होते हैंै।
Pollen grains of Nicotiana are large and contain —————
2. परागकोष में दो प्रकार के परागकणों की उपस्थिति ………. कहलाती है।
Presence of two type of pollen grain in anther is called ——-
उत्तर (Answers)
1. मंड (starch), 2. पराग-द्विरूपता (pollen-dimorphism)
(ब्) सत्यध्असत्य (True or False)
1. गुहा व महेश्वरी ने धतूरा के परागकोषों पर प्रयोग किये।
Guha and Maheshawri performed experiments on anther of Datura.
2. छोटे परागकण जिनमें मंड कम होता है ै-कण कहलाते हैं।
Small pollen grain with less starch are called S&grain- –
उत्तर (Answers)
1. सत्य (True), 2. सत्य (True)
(क्) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
1. परागकोष संवर्धन की परिभाषा दीजिए।
Define anther culture.
2. परागकोष से भ्रूण परिवर्धन किन कारकों पर निर्भर करता है ?
On what factors does the development of embryo from anther depends ?
3. भ्रूण संवर्धन की परिभाषा लिखिये।
Write the definition of embryo culture.
(म्) टिप्पणियाँ लिखिये (Write Short Notes)
1. संवर्धन माध्यम पर परागकोष परिवर्धन को प्रभावित करने वाले कारकों पर टिप्पणी लिखिये।
Wrte the factors which ffaect the anther development on culture medium.
2. बीजाण्ड संवर्धन पर टिप्पणी लिखिये।
Wite a short note on ovule culture.
3. परागसंवर्धन पर टिप्पणी लिखिये।
Write a short note on pollen culture.
(थ्) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
1. परागकोष संवर्धन पर लेख लिखिये।
Write an essay on anther culture.
2. बीजाण्ड संवर्धन पर लेख लिखिये
Write an essay on ovule culture.
3. भ्रूण संवर्धन पर लेख लिखिये।
Write an essay on embryo culture.