प्रश्न 20 : रमन प्रभाव क्या है ?
उत्तर : जब किसी पदार्थ पर फोटोन आपतित करते है तो इस पदार्थ से टकराकर ये फोटोन प्रकिर्णित हो जाते है अर्थात ये फोटोन अलग अलग दिशाओ में फ़ैल जाते है या बिखर जाते है।
अलग अलग दिशाओं में फैले या प्रकिर्णित हुए अधिकतर फोटोन की ऊर्जा वही पायी गयी जो आपतित फोटोन की थी अत: अधिकांश फोटोन की ऊर्जा या आवृत्ति और तरंग दैर्ध्य वही रही जो आपतित फोटोन की थी , लेकिन लगभग 1 करोड़ फोटोन में से एक फोटोन ऐसा पाया गया जिसकी प्रकीर्णन के बाद ऊर्जा कम या अधिक हो गयी अर्थात प्रकीर्णन के बाद फोटोन की ऊर्जा परिवर्तित हो गयी , अर्थात आपतित फोटोन की ऊर्जा और प्रकिर्णित फोटोन की ऊर्जा अलग अलग प्राप्त हुई, ऐसे फोटोन को जिनकी आपतित ऊर्जा और प्रकिर्णित ऊर्जा का मान परिवर्तित हो जाता है ऐसे फोटोन को रमन प्रकिर्णित फोटोन कहते है और इस प्रभाव को रमन प्रभाव कहते है।
नोट : याद रखिये यहाँ ऊर्जा परिवर्तन का अभिप्राय है फोटोन की आवृत्ति और तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन।
अत: रमन प्रभाव को निम्न प्रकार परिभाषित कर सकते है –
”बेंजीन , टालुइन आदि द्रवों पर प्रकाश आपतित करने पर प्रकाश प्रकीर्णित हो जाता है , प्रकीर्णित प्रकाश के स्पेक्ट्रम में आपतित प्रकाश की तुलना में कुछ कम या अधिक आवृत्ति की रेखाएं प्राप्त होती है , इस प्रभाव को या घटना को ही रमन प्रभाव कहते है। ”
याद रखे कि जब प्रकाश द्रव से प्रकिर्णित होता है तो अधिकांश फोटोन उसी आवृति से प्रकिर्णित होते है जिससे वे द्रव पर आपतित होते है लेकिन लगभग 1 करोड़ फोटोन में से 1 फोटोन ऐसा होता है जिसकी आवृत्ति प्रकीर्णन और आपतन में परिवर्तित होता है। अर्थात आपतित प्रकाश के फोटोन की आवृत्ति और प्रकिर्णित प्रकाश के फोटोन की आवृत्ति का मान भिन्न होता है इस घटना को रमण प्रभाव कहते है।
यह प्रभाव सी.वी रमन और के.के कृष्णन द्वारा द्रव में 1928 में खोजा गया।
अलग अलग दिशाओं में फैले या प्रकिर्णित हुए अधिकतर फोटोन की ऊर्जा वही पायी गयी जो आपतित फोटोन की थी अत: अधिकांश फोटोन की ऊर्जा या आवृत्ति और तरंग दैर्ध्य वही रही जो आपतित फोटोन की थी , लेकिन लगभग 1 करोड़ फोटोन में से एक फोटोन ऐसा पाया गया जिसकी प्रकीर्णन के बाद ऊर्जा कम या अधिक हो गयी अर्थात प्रकीर्णन के बाद फोटोन की ऊर्जा परिवर्तित हो गयी , अर्थात आपतित फोटोन की ऊर्जा और प्रकिर्णित फोटोन की ऊर्जा अलग अलग प्राप्त हुई, ऐसे फोटोन को जिनकी आपतित ऊर्जा और प्रकिर्णित ऊर्जा का मान परिवर्तित हो जाता है ऐसे फोटोन को रमन प्रकिर्णित फोटोन कहते है और इस प्रभाव को रमन प्रभाव कहते है।
नोट : याद रखिये यहाँ ऊर्जा परिवर्तन का अभिप्राय है फोटोन की आवृत्ति और तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन।
अत: रमन प्रभाव को निम्न प्रकार परिभाषित कर सकते है –
”बेंजीन , टालुइन आदि द्रवों पर प्रकाश आपतित करने पर प्रकाश प्रकीर्णित हो जाता है , प्रकीर्णित प्रकाश के स्पेक्ट्रम में आपतित प्रकाश की तुलना में कुछ कम या अधिक आवृत्ति की रेखाएं प्राप्त होती है , इस प्रभाव को या घटना को ही रमन प्रभाव कहते है। ”
याद रखे कि जब प्रकाश द्रव से प्रकिर्णित होता है तो अधिकांश फोटोन उसी आवृति से प्रकिर्णित होते है जिससे वे द्रव पर आपतित होते है लेकिन लगभग 1 करोड़ फोटोन में से 1 फोटोन ऐसा होता है जिसकी आवृत्ति प्रकीर्णन और आपतन में परिवर्तित होता है। अर्थात आपतित प्रकाश के फोटोन की आवृत्ति और प्रकिर्णित प्रकाश के फोटोन की आवृत्ति का मान भिन्न होता है इस घटना को रमण प्रभाव कहते है।
यह प्रभाव सी.वी रमन और के.के कृष्णन द्वारा द्रव में 1928 में खोजा गया।
ये रेखाएं प्रकीर्णक अणुओं की संरचना पर निर्भर होती है , रमन प्रभाव प्रकाश के क्वांटम सिद्धांत की पुष्टि करता है।
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