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Virus free plants in hindi obtained by which method विषाणु मुक्त पदक प्राप्त किए जाते हैं

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ऊतक संवर्धन व इसके अनुप्रयोग (Plant tissue culture and its applications)

पिछले कुछ दशकों में पादप ऊतक संवर्धन तथा उससे सम्बन्धित प्रौद्योगिकी ने वृहत रूप ले लिया है। इसमें से कई प्रौद्योगिकयों के आधार पर औद्योगिक स्तर पर उत्पादन आरम्भ हो गया है। पौधों पर शोध का लक्ष्य उन्हें उन्नत करके उससे आर्थिक लाभ कमाने पर केन्द्रित हो गया है। विश्व में जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित जितने अधिक अमेरिकी डॉलर का व्यवसाय हो रहा है उसमें से आधे से ज्यादा कृषि पर आधारित है। ऊतक संवर्धन से तैयार पादप की मांग करीब 10 प्रतिशत है, तथा इसमें 15% की दर से वृद्धि हो रही है। पादप जैव प्रौद्योगिकी की पारम्परिक विधियों के कई फायदे हैं जैसे वातवरणीय कारकों का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा दुनिया के किसी भी क्षेत्र में उत्पादन किया जा सकता है। कच्चे माल का उत्पादन एकदम समान होता है जिसे कृषि द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। किसी पादप से बनायी गयी औषधि का उत्पादन ऊतक संवर्धन द्वारा तीव्रता से किया जा रहा है।

पादप ऊतक संवर्धन से सूक्ष्म प्रवर्धन पर आधारित अनेक औद्योगिक इकाईयाँ कई देशों में स्थापित हो चुकी हैं। यह जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित पहला पादप उद्योग है जो कई दशकों पुराना है। 1970 में आर्किड पादपों के सूक्ष्मप्रवर्धन के साथ ही अमेरिका में पादप ऊतक संवर्धन की वाणिज्यिक इकाई आरम्भ हुई व शीघ्र ही इनके इकाईयों की संख्या तथा इनसे उत्पादित पौधों की संख्या में अत्यधिक प्रगति हुई। इस विस्तृत तथा बड़े बाजार में मांग तथा पूर्ति में भारी अंतर है। इस प्रौद्योगिकी के निम्न लाभ हैं-

(i) कम समय में अधिक पादपों का उत्पादन

(ii) चयनित पौधों का क्लोनीय प्रवर्धन संभव हो जाता है।

(iii) इसके लिए क्षेत्र कम चाहिए होता है।

(iv) पौधों के स्थानान्तरण में कोई कठिनाई नहीं होती है तथा इन पादपों के एवं पादप स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं होती है।

ऊतक संवर्धन के निम्न अनुप्रयोग हैं –
(a) मसालों का उत्पादन (Spices) : इलायची तथा लोग सूक्ष्मप्रबर्धन द्वारा तैयार की जाने वाली मुख्य फसलें हैं। काफी मात्रा में इन पादपों को भारत में उगा कर विदेशों में निर्यात किया गया। थॉमस कम्पनी ने इलायची की गई उन्नत व अधिक पैदावार वाली किस्में विकसित की हैं। हल्दी तथा अदरक की उन्नत किस्में तथा ऊतक संवर्धन में कन्द बनाने तथा भण्डारण के नवीन तरीके विकसित किये गये हैं। मिर्च के ऊतकों द्वारा केपसेइसिन के उत्पादन तथा गुणवत्ता सुधार पर कई प्रयोग किये गये हैं।
रेशों का उत्पादन (Production of Fibers) : कपास तथा जूट पर शोध करके वैज्ञानिकों ने नई किस्में इन उद्योगों को प्रदान की हैं। कपास के बीजाण्ड पर किये शोध ने कपास में रेशे के बनने की प्रक्रिया समझाई। कपास की कीटरोधी किस्म किसानों के लिये बहुत लाभदायक सिद्ध हुई। भारत तथा अन्य देशों में बड़े पैमाने पर इसकी खेती शुरू की गयी है। (c) पुष्प उत्पादन (Floriculture) : पुष्प उत्पादन ऊतक संवर्धन का बेहतरीन अनुप्रयोग है। सूक्ष्मप्रवधन द्वारा तैयार पौधों से फूल काटकर बेचना कई देशों में बड़े स्तर पर किया जा रहा है। इस क्षेत्र में कई भारतीय उद्योग व्यापार कर रहे हैं तथा हेलीकोनिया, कार्नेशन, ग्लेडियोलस, चमेली तथा पत्तों वाले पौधों का उत्पादन कर रहे हैं। फूल वाले पौधों में आर्किड मुख्य पौधा है क्योंकि इसका गुणन प्रकृति में मुश्किल से होता है।
(d)
चीनी का उत्पादन (Production of sugar) : ऊतक संवर्धन द्वारा विषाणु-मुक्त गन्ने का उत्पादन कई सालों से हो रहा है तथा इसकी उन्नत किस्मों का उत्पादन भी किया जा रहा है। चूँकि यह फसली पौधा है अतः बड़े पैमाने पर एक साथ पौधों की आवश्यकता होती है जिसके कारण उत्पादन की पूरी इकाई इसी में लगी रहती है।
यूरोप में चुकन्दर से शक्कर प्राप्त की जाती है अतः वहाँ चुकन्दर पर शोध करके उसे उन्नत बनाने तथा अधिक शक्कर प्राप्त करने पर वैज्ञानिकों का ध्यान केन्द्रित है। इस प्रौद्योगिकी द्वारा 50% शक्कर वाली चुकन्दर की किस्में विकसित कर ली गयी हैं जिसका लाभ उद्योग तथा किसानों दोनों को मिला है।
(e) सब्जियों का उत्पादन (Production of vegetables) : सब्जियों की उन्नत किस्मों का उत्पादन ऊतक संवर्धन द्वारा किया गया है, जैसे- टमाटर, आलू, फूलगोभी, मिर्च, एस्पेरगस तथा चुकन्दर। उन्नत किस्मों की माँग बहुत होती है तथा बाजार मूल्य अच्छा प्राप्त होता है। (f) तिलहनी फसलों का उत्पादन (Oil seed crops ) : सूर्यमुखी, सरसों तथा मूंगफली ऊतक संवर्धन के क्षेत्र में काफी शोध हुआ है। इसमें असंतृप्त वसीय अम्लों की मात्रा बढ़ाने पर जोर दिया गया और नई किस्में विकसित की गयी हैं।
विषाणु-मुक्त पौधे (Virus free plants )
वैज्ञानिकों ने यह बताया कि शीर्षस्थ विभज्योतक विषाणु मुक्त होते हैं और इसके उपयोग ने विषाणु-मुक्त पौधों को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस से आलू, गन्ने तथा अन्य जातियों के विषाणु-मुक्त पौधे तैयार किये गये। इस प्रकार रोग मुक्त पौधों से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है एवं उनका बाजार मूल्य ज्यादा मिलता है।

उत्तक संवर्धन द्वारा उत्परिवर्ती विलगन का चयन 

पादपों में स्वतः उत्परिवर्तन की दर कम होती है किन्तु ऊतक संवर्धन में यह दर अपेक्षाकृत ज्यादा पायी जाती है इन उत्परिवर्तनों का उपयोग करके उपयोगी फसलों में सुधार किया जाता है।

ऊतक संवर्धन द्वारा लवण सहिष्णु पादपों का उत्पादन

इस प्रकार के पादपों को प्राप्त करने के लिए कोशिकाओं को लवण युक्त माध्यम में वृद्धि करवाते हैं। इस माध्यम में वह कोशिकायें ही वृद्धि कर सकती हैं जो लवण के प्रति सहिष्णु हो । इन कोशिकाओं को पृथक कर लवण सहिष्णु पादप तैयार कर लिये जाते है। जैसे सोलेनेसी कुल के कुछ पादप । अतः जैव प्रौद्योगिकी व पादप संवर्धन के सारे शोध मुख्यतः आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पादपों द्वारा व्यापारिक उपयोग को अधिक उन्नत बनाने के लिये किये जाते हैं क्योंकि सारी उन्नत किस्में ज्यादा मूल्य दिलाती हैं, तथा इन तकनीक द्वारा उत्पादित प्राकृतिक यौगिक संश्लेषित यौगिकों की तुलना में अधिक मूल्यवान होते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि वर्तमान में ऊतक संवर्धन द्वारा पादपों की नई किस्में पैदा करना, उनसे द्वितीय उपापचयज (secondary metabolites) पैदा करना अथवा फसलों में मन चाहा सुधार लाना काफी हद तक संभव हो गया है।