विमीय समीकरणों के उपयोग , विमा सूत्र के प्रयोग uses of dimensional equations in hindi

uses of dimensional equations in hindi  विमीय समीकरणों के उपयोग : किसी भी भौतिक राशि के लिए विमा क्या होती है और इसे राशियों के लिए किस प्रकार लिखा जाता है  , यह हमने पहले पढ़ लिया है।

आज हम बात करते है की विमीय समीकरण क्यों लिखे जाते है अर्थात इनका क्या कार्य या योगदान (उपयोग) होता है।

विमीय सूत्र के उपयोग को निम्न प्रकार से समझाया गया है –

1. भौतिक राशि को एक मात्रक पद्धति से दूसरी मात्रक पद्धति में बदलने के लिए विमीय समीकरण का उपयोग किया जाता है।

2. भौतिक विज्ञान में किसी भी दिए गए सूत्र या समीकरण की सत्यता की जांच करने में।  अर्थात सूत्र सही है या गलत इसकी जांच विमा के द्वारा की जाती है।

3. विभिन्न प्रकार की भौतिक राशियों के सम्बन्ध स्थापित करने के लिए , अर्थात अलग अलग भौतिक राशि आपस में कैसे सम्बन्धित होती है , इसको एक सूत्र या समीकरण के रूप में विमा के उपयोग से दर्शाया जा सकता है।

4. किसी भी दी गयी भौतिक राशि के लिए दिए गए पद्धति में  मात्रक व विमा ज्ञात करने के लिए।

5. किसी भी सूत्र या समीकरण में किसी स्थिरांक या चल राशि का मात्रक व विमा ज्ञात करने के लिए।

अब हम यहाँ इन सबके बारे में विस्तार से पढ़ते है –

1. यदि हमें किसी भौतिक राशि के परिमाण तथा मात्रक पता हो तो हम आसानी से इसे एक मात्रक पद्धति से दूसरी मात्रक पद्धति में परिवर्तित कर सकते है।

किसी भी एक भौतिक राशि को एक मात्रक पद्धति से दूसरी पद्धति में परिवर्तित किया जाता है तो निम्न सूत्र काम में लिया जाता है –

nn1[M1/M2]a[L1/L2]b[T1/T2]c

जहाँ

n1 = दिए हुए मात्रक में राशि का परिमाण

M1 , L1 , Tदिए हुए मात्रक में राशि के मूल मात्रक

n2 = जिस मात्रक में राशि ज्ञात करनी है उसमे इसका परिमाण

M1 , L1 , T1 द्वितीय  मात्रक जिसमे राशि ज्ञात करनी है , उसके मूल मात्रक।

a , b , c क्रमशः द्रव्यमान (M) , लम्बाई (L) और समय (T) की विमाएँ है।

उदाहरण के लिए हम एक न्यूटन बल को डाइन में परिवर्तित करते है –

हम जानते है की न्यूटन एक M.K.S पद्धति है और डाइन एक C.G.S पद्धति है।

हम जानते है की बल (F) का विमीय सूत्र F = [M1 L1 T-2] होता है।

अत: यहाँ a = 1 , b = 1 तथा c = -2

यहाँ बल न्यूटन अर्थात M.K.S पद्धति में दिया गया है अत: M= 1 kg , L= 1 m  , T= 1s

हमें निम्न को डाइन (c.g.s पद्धति ) में परिवर्तित करना है अत: C.G.S पद्धति में  M= 1 g , L= 1 cm  , T= 1s

यहाँ n1 = 1 तथा n2 = हमें ज्ञात करना है (?)

ऊपर दिए गये सूत्रानुसार

nn1[M1/M2]a[L1/L2]b[T1/T2]c

सूत्र में मान रखने पर 
n2=1 [1kg/1g]1[1m/1cm]1[1s/1s]-2
चूँकि हम जानते है की 1kg = 1000 gm तथा 1m = 100 cm 
दोनों मान समीकरण में रखने पर
n2=1[1000g/1g]1[100cm/1cm]1x1
समीकरण को हल करने पर हम पाते है
n2= 105
अत: 1 न्यूटन = 105 डाइन
2. विमीय समीकरण द्वारा किसी भी सूत्र या समीकरण की यथार्तथा (सत्यता) की जांच की जाती है , अर्थात भौतिक विज्ञान में दिया गया सूत्र सही है या गलत है इसकी जांच हम विमीय समीकरण की मदद से करते है।
 किसी भी सूत्र की यथार्तता की जांच करने के लिए हम सूत्र के दाएँ व बाएँ पक्ष की विमाओं की जांच करते है , यदि दोनों तरफ की विमाएँ समान प्राप्त होती है तो दिया गया समीकरण या सूत्र सत्य या सही है।
मान लीजिये हमें गति के समीकरण v = u + at की यथार्तथा की जांच करनी है की यह सत्य (सही ) है या नहीं।
v = u + at में
v = अन्तिम वेग होता है जिसकी विमा  = [LT-1]
u = प्रारम्भिक वेग होता है जिसकी विमा  = [LT-1]
a = त्वरण ,   जिसकी विमा  = LT-2
t = समय , जिसकी विमा  = T
सभी मानों को समीकरण में रखने पर
[LT-1] = [LT-1] + [LT-2 x T]
[LT-1] = [LT-1] + [LT-1]
[LT-1] = 2[LT-1]
यहाँ 2 विमहीन है अत:
दोनों तरफ M , L , T की दाएँ व बाएँ पक्ष में विमाएँ समान है अत: दिया गया समीकरण सत्य है।
3. अलग अलग भौतिक राशियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करने के लिए संमागता के नियम का प्रयोग किया जाता है।
संबंध स्थापित करने के लिए हमें यह ध्यान रखना आवश्यक होता है की भौतिक राशियाँ अन्य किन राशियों पर निर्भर करता है।
तथा दोनों तरफ की विमाओं की तुलना करना पड़ता है , जिससे दोनों भौतिक राशियों में संबंध का सही सूत्र प्राप्त होता है।