unseen passage with question answer in hindi , अपठित गद्यांश किसे कहते हैं | अपठित गद्यांश की परिभाषा क्या है ?
अपठित गद्यांश और प्रश्नोत्तर
ऐसे गद्यांश जो पाठ्यग्रंथों से सम्बद्ध नहीं होते हैं, उन्हें अपठित गद्यांश माना जाता है । इससे छात्र की बौद्धिक पकड़ का पता चलता है । अपठित गद्यांश प्रायः छात्रों की आँखों के सामने से गुजरे नहीं होते हैं, इसीलिए इससे छात्रों के सामान्य ज्ञान एवं स्वतंत्र अध्ययन की परीक्षा हो जाती है। अपठित गद्यांश से सम्बन्धित प्रश्नों का उत्तर देने के लिए निम्नांकित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
1. मूल अवतरण को अनेक बार अर्थात् तीन-चार बार ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए जिससे मूल भाव समझ में आ जाय ।
2. मूल विचारों, भावों एवं शब्दों को रेखांकित कर लेना चाहिए ।
3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर मूल अवतरण में ही ढूँढ़ना चाहिए । बाहर से अथवा अपने मन से उसका उत्तर लिखने का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
4. जहाँ तक हो सके, प्रश्नों का उत्तर लिखते समय मूल अवतरण में दिये गये शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए।
5. सभी प्रश्नों के उत्तर सरल एवं संक्षिप्त होने चाहिए ।
6. उत्तर लिखते समय अपनी ओर से बढ़ा-चढ़ाकर या उदाहरण देकर नहीं लिखना चाहिए।
7. प्रश्न में जितना पूछा जाय, उतना ही उत्तर देना चाहिए । उत्तर प्रसंग के अनुरूप हो ।
8. यदि अपठित गद्यांश का भावार्थ या सारांश पूछा गया है तो उसे अपनी सरल भाषा मे ंलिखना चाहिए जो मूल का तिहाई या आथा हो ।
9. रेखांकित शब्दों का अर्थ लिखने के लिए पूछा गया है तो उसका अर्थ लिखते समय प्रसंग का ख्याल करना चाहिए ।
10. कभी-कभी गद्यांश का शीर्षक देने के लिए कहा जाता है । इसके लिए मूल गद्यांश के मूल भाव को ढूँढ़ना चाहिए । प्रायः गद्यांश के शुरू या अंत में शीर्षक छिपा रहता है। यह शीर्षक संक्षिप्त होना चाहिए । इसके लिए गधांश के मूल शब्दों को ज्यों का ज्यों लेना चाहिए।
11. प्रश्नकर्ता के निर्देश के अनुसार ही अपने उत्तर देने चाहिए।
उदाहरण–
अपठित गद्यांश-वसंत ऋतु के आते ही शीत की कठोरता जाती रही । पश्चिम के पवन ने वृक्षों के जीर्ण-शीर्ण पत्ते गिरा दिये । वृक्षों और लताओं में नये पत्ते और रंग-बिरंगे फूल निकल आये। उनकी सुगन्धि से दिशाएँ गमक उठीं । सुनहले बालों से युक्त गेहूँ के पौधे खेतों में हवा से झूमने लगे। प्राणियों की नस-नस में उमंग की नयी चेतना छा गयी। आम की मंजरियों से मीठी सुगन्ध आने लगी, कोयल कूकने लगी, फूलों पर भौरे मँडराने लगे और कलियाँ खिलने लगी । प्र-ति में सर्वत्र नवजीवन का संचार हो उठा।
ऊपर लिखे गद्यांश के आधार पर निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(1) रेखांकित शब्दों का अर्थ लिखिए ।
(2) वसंत ऋतु के आते ही क्या हो जाता है ?
(3) वसंत ऋतु के आगमन से प्राणियों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
(4) दिशाएँ क्यों सुगन्धित हो उठीं?
उत्तर-
1. कठोरता उग्रता, जीर्ण-शीर्ण-सूखे और मुरझाये हुए ।
2. वसंत ऋतु के आते ही शीत की कठोरता समाप्त हो जाती है और प्रकृति में सर्वत्र नवजीवन का संचार होने लगता है।
3. वसन्त ऋतु के आगमन से प्राणियों की नस-नस में उमंग की नयी चेतना छा गयी जिसके ऋऋऋफलस्वरूप कोयल कूकने लगी और और फूलों पर मैंडराने लगे।
4. वसन्त ऋतु के आने के साथ ही वृक्षों एवं लताओं में नये-नये पत्ते निकल आये और रंग-बिरंगे फूल खिल उठे। इन फूलों की सुगन्धि से दिशाएँ सुगन्धित हो उठी।