(b) द्विदन्तुक लिगेंड : ऐसे लिगेंड जिनमे दो दाता परमाणु उपस्थित हो तथा वे केन्द्रीय धातु आयन के साथ एक समय में दो उपसहसंयोजक बंध बनाते है , द्विदंतुक लिगेंड कहलाते है।
उदाहरण :
(c) त्रिदन्तुक लिगेंड : ऐसे लिगेंड जिनमे तीन दाता परमाणु उपस्थित हो तथा वे केन्द्रीय धातु आयन के साथ एक समय में तीन उपसहसंयोजक बंध बनाते हो त्रिदंतुक लिगेंड कहलाते है।
उदाहरण : डाई एथिलीन ट्राई एमिन (Dien)
दाता परमाणु : तीन N
(d) चतुर्दन्तुक लिगेंड : ऐसे लिगेंड जिनमे चार दाता परमाणु उपस्थित हो तथा वे केन्द्रीय धातु आयन के साथ एक समय में चार उपसहसंयोजक बन्ध बनाते हो चर्तुदन्तुक लिगेंड कहलाते है।
उदाहरण : ट्राई एथिलीन टेट्रा एमिन (trien)
दाता परमाणु : चार N
(e) पञ्च दन्तुक लिगेंड : ऐसे लिगेंड जिनमे पाँच दाता परमाणु उपस्थित है तथा वे केन्द्रीय धातु आयन के साथ एक समय में पांच उपसहसंयोजक बन्ध बनाते है , पंचदन्तुक लिगेंड कहलाते है।
उदाहरण : ईथीलीन डाई एमिन ट्राई एसिटेटो।
दाता परमाणु : दो N , तीन O
(f) षट् दन्तुक लिगेंड : ऐसे लिगेंड जिनमे छ: दाता परमाणु उपस्थित हो तथा वे केन्द्रीय धातु आयन के साथ एक समय में छ: उपसहसयोजक बंध बनाते हो , षट् दंतुक लीगेंड कहलाते है।
उदाहरण : एथिलीन डाइ एमिन टेट्रा एसिटेटो।
दाता परमाणु : 2-N , 4-O
लिगेंड से सम्बन्धित विशिष्ट परिभाषाएँ
1. उभय दन्तुक लिगेंड : ऐसे एक दंतुक लिगेंड जिनमे दो भिन्न भिन्न दाता परमाणु उपस्थित हो लेकिन एक समय मे केवल एक ही दाता परमाणु केन्द्रीय धातु आयन के साथ उपसहसंयोजक बन्ध बनाता हो , उभय दंतुक लिगेंड कहलाता है।
किलेट लिगेंड : जब कोई लिगेंड दो या दो से अधिक उपसहसंयोजक बन्धो द्वारा केन्द्रीय धातु आयन के साथ जुड़ते है तो एक वलय का निर्माण होता है इसे किलेट वलय कहते है तथा ऐसे लिगेंड को किलैट लिगेंड कहा जाता है।
किलैटीकल लिगेंड युक्त यौगिक , एक दंतुक लिगेंड युक्त यौगिको की तुलना में अधिक स्थायी होते है।
इनमे पांच या छ: सदस्यी किलेट वलय का स्थायित्व सबसे ज्यादा होता है।
सेतु लिगेंड : ऐसे लिगेंड जिनमे दाता परमाणु के पास एक से अधिक एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित हो तथा वे लिगेंड एक से अधिक केन्द्रीय धातु आयनों के साथ उपसहसंयोजक बंध बनाते है , सेतु लिगेंड कहलाते है।
प्रश्न 1 : हाइड्रेजीन में दो N दाता परमाणु होते हुए भी यह एक दन्तुक लिगेंड के समान व्यवहार करता है , क्यों ?
उत्तर : जब हाइड्रेजीन के दोनों N दाता परमाणु केन्द्रीय धातु आयन के साथ दो उपसहसंयोजक बन्धो द्वारा जुड़ते है तो एक तीन सदस्यी अस्थायी वलय का निर्माण होता है तथा यह वलय अस्थायी होने के कारण तुरंत टूट जाती है अत: एक समय में केवल एक ही N दाता परमाणु केन्द्रीय धातु आयन के साथ उपसहसंयोजक बन्ध बना पाता है इसलिए हाइड्रेजीनएक दन्तुक लिगेंड के समान व्यवहार करता है।
2. आवेश के आधार पर लिगेंड के प्रकार
(क्लोरो)
(ब्रोमो)
triphenil phosphene
phosphene
nitrosyllium (नाइट्रोसीलीयम)