(tuning fork in hindi) स्वरित्र क्या है , उदाहरण , कार्यविधि : यह एक ऐसा यन्त्र है जिसकी सहायता से एकल आवृत्ति की ध्वनि उत्पन्न की जाती है। सामान्यत: यह एक धातु की बनी होती है , एक पाइप जिसका अनुप्रष्ठ काट आयताकार हो , उसे मोड़कर एक u आकार दिया जाता है और इस आकृति को स्वरित्र कहते है जिसकी मदद से ध्वनि उत्पन्न की जा सकती है।
स्वरित्र उकरण की भुजाओं में अनुप्रस्थ और आधार में अनुदैर्ध्य के कम्पन्न उत्पन्न होते है और इन दोनों की ही आवृति समान होती है और इसकी दोनों भुजाओं में जो तरंग उत्पन्न होती है उनमें कलांतर का मान शून्य होता है। जैसा की हम जानते है की वस्तुओं के कम्पन्न करने से ध्वनि उत्पन्न होती है , मनुष्य जब बोलता है तो ध्वनी उत्पन्न होने का कारण भी कम्पन्न ही होता है और पियानो आदि में भी कम्पन्न के कारण ही ध्वनि उत्पन्न होती है।
अगर इस बात की पुष्टि करना है तो स्वरित्र अच्छा उदाहरण है जिसमें आप देख सकते है की कम्पन्न के कारण ध्वनि किस प्रकार उत्पन्न होती है।
स्वरित्र में एक हैंडल होता है और दो टिन होते है , जब स्वरित्र के टीन्स (tines) को रबर के हथोड़े से मारा जाता है तो इसके tines कम्पन्न करने लग जाते है जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
स्वरित्र उकरण की भुजाओं में अनुप्रस्थ और आधार में अनुदैर्ध्य के कम्पन्न उत्पन्न होते है और इन दोनों की ही आवृति समान होती है और इसकी दोनों भुजाओं में जो तरंग उत्पन्न होती है उनमें कलांतर का मान शून्य होता है। जैसा की हम जानते है की वस्तुओं के कम्पन्न करने से ध्वनि उत्पन्न होती है , मनुष्य जब बोलता है तो ध्वनी उत्पन्न होने का कारण भी कम्पन्न ही होता है और पियानो आदि में भी कम्पन्न के कारण ही ध्वनि उत्पन्न होती है।
अगर इस बात की पुष्टि करना है तो स्वरित्र अच्छा उदाहरण है जिसमें आप देख सकते है की कम्पन्न के कारण ध्वनि किस प्रकार उत्पन्न होती है।
स्वरित्र में एक हैंडल होता है और दो टिन होते है , जब स्वरित्र के टीन्स (tines) को रबर के हथोड़े से मारा जाता है तो इसके tines कम्पन्न करने लग जाते है जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
जब tines कम्पन्न करते है जो इसके आस पास के वायु के कण विचलित हो जाते है , कणों के सिमटने और फैलने के वजह से दाब कम और अधिक हो जाता है जिसकी वजह से उत्पन्न ध्वनि एक स्थान से दुसरे स्थान पर गति करता है।
नोट : स्वरित्र की भुजा जितनी ज्यादा छोटी होती है उससे उतनी ही उच्च आवृत्ति की ध्वनि उत्पन्न होती है , ताप का मान बढ़ाने पर स्वरित्र की आवृत्ति का मान घट जाती है।