दो पोलेराइड़ो का उपयोग करके प्रकाश का ध्रुवण प्रेक्षित करना To observe polarisation of light using two polaroids in hindi

To observe polarisation of light using two polaroids in hindi दो पोलेराइड़ो का उपयोग करके प्रकाश का ध्रुवण प्रेक्षित करना पोलेराइड ?

क्रियाकलाप-5
[Activity 5]

उद्देश्य (object) – दो पोलेराइड़ो का उपयोग करके प्रकाश का ध्रुवण प्रेक्षित करना।
उपकरण (Apparatus) – प्रकाशीय बेंच (तीन स्टैण्ड युक्त), एक प्रकाश स्त्रोत, दो पोलेराइड, लम्बा संकेतक तथा डिग्री में अंशांकित वृत्ताकार पैमाना।
सिद्धान्त (Theory) – अध्रुवित प्रकाश में प्रकाश सदिश (विद्युत क्षेत्र सदिश) के कम्पन तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् सभी संभव दिशाओं में विद्यमान होते हैं जबकि ध्रुवित प्रकाश में ये कम्पन केवल एक दिशा में सीमित होते है।
पोलेराइड, तीव्र द्विवर्णक क्रिस्टलों से बनी एक ऐसी युक्ति है जो धुवित प्रकाश उत्पन्न करने तथा प्रकाश के प्रवण को संसूचित करने दोनों में सरलता से प्रयुक्त की जा सकती है।
ध्रुवक पोलेराइड एवं संसूचक पोलेराइड की प्रकाशीय अक्षों के मध्य कोण θ होने पर ध्रुवक एवं संसूचक से निर्गत प्रकाश की तीव्रता मैलेस नियम से,
I = IO cos2 θ जहाँ IO = अधिकतम तीव्रता है।
(A) समान्तरित व्यवस्था-जब दोनों पोलेराइड की अक्ष परस्पर समान्तर हैं तो θ = 0, बवे 0 = 1
निर्गत प्रकाश की तीव्रता I = IO (अधिकतम)
(B) क्रॉसित व्यवस्था-जब दोनों पोलेराइड की अक्ष परस्पर लम्बवत् हैं तो θ = 90 , cos 90 = 0
निर्गत प्रकाश की तीव्रता I = 0 (शून्य)

प्रयोग विधि (Method) –
(i) सर्वप्रथम हम एक प्रकाशीय बेंच लेते हैं जिसके एक स्टैण्ड पर बल्ब, दूसरे स्टैण्ड पर एक पोलेराइड तथा तीसरे स्टैण्ड पर दूसरा पोलेराइड समान ऊंचाइयों पर व्यवस्थित कर लेते हैं। तथा दोनों पोलेराइड़ों के मध्य दूरी लगभग 15 सेमी. रखते हैं।
(ii) अब विश्लेषक पोलेराइड पर एक पोलेराइड के साथ घूमने वाला संकेतक लगा देते हैं जो कि डिग्री में अंशांकित वृत्तीय पैमाने पर घूम सकता है।
(iii) अब बल्ब को वद करते हैं तथा विश्लेषक को इतना घुमाते हैं कि इसके दूसरी ओर से देखने पर पारगमित प्रकाश की अधिकतम तीव्रता प्राप्त हो। विश्लेषक की इस स्थिति पर संकेतक पर वृत्तीय पैमान का शून्य व्यवस्थित कर लेते हैं। यह दोनों पोलेराइडों की समान्तरित व्यवस्था है। (iv) अब विश्लेषक पोलेराइड को धीरे-धीरे घुमाते हैं तथा पारगमित प्रकाश की तीव्रता नोट करते हैं हम देखेंगे कि पारगमित प्रकाश की तीव्रता धीरे-धीरे घटते हुए ठीक संकेतक की 90° की स्थिति पर शून्य हो जाती है। यह पोलेराइडों की क्रॉसित व्यवस्था है।
(v) अब पुनः विश्लेषक पोलेराइड को धीरे-धीरे उसी दिशा में आगे घुमाते हैं तथा पारगमित प्रकाश की तीव्रता नोट करते हैं हम देखेंगे कि यह बढ़ती है तथा संकेतक की ठीक 180° स्थिति पर अधिकतम हो जाती है।
(vi) इस प्रकार विश्लेषक पोलेराइड के एक पूर्ण चक्र में पारगमित प्रकाश की तीव्रता का अध्ययन कर नोट करते हैं।
प्रेक्षण (observations) –
क्र.स. ध्रुवक एवं विश्लेषक पोलेराइड़ो की अक्षों के मध्य कोण 𝛉 पारगमित प्रकाश की तीव्रता
1 0° अधिकतम
2 0° से 90° तक परिवर्तित करने पर घटती है
3 90° शून्य
4 90° से 180° तक परिवर्तित करने पर बढ़ती है
5 180° अधिकतम
6 180° से 270 तक परिवर्तित करने पर घटती है
7 270° शून्य
8 270° से 360° तक परिवर्तित करने पर बढ़ती है
9 360° या पुनः 0° अधिकतम

परिणाम (Result) – विश्लेषक पोलेराइड के एक पूर्ण चक्र में निर्गत प्रकाश की तीव्रता दो बार अधिकतम तथा दो बार शून्य प्राप्त होती है अतः ध्रुवक पोलेराइड से निर्गत प्रकाश समतल धुवित है।

मौखिक प्रश्न व उत्तर (Viva Voce)
प्रश्न 1. प्रकाश का धुवण क्या है?
उत्तर- साधारण (अधुवित) प्रकाश में प्रकाश सदिश (विद्युत क्षेत्र सदिश) के कम्पन तरंग संचरण के लम्बवत् सभी संभव दिशाओं में विद्यमान होते हैं। जब किसी विशेष प्रक्रिया द्वारा प्रकाश सदिश के कम्पनों को तरंग संचरण के लम्बवत् केवल एक दिशा में सीमित कर दिया जाता है तो इस प्रकाश को धुवित प्रकाश तथा प्रक्रिया को प्रकाश का ध्रुवण कहते हैं।
प्रश्न 2. प्रकाश का धुवण संभव है, यह क्या सूचित करता है?
उत्तर- यह सूचित करता है कि प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ प्रकृति की होती है।
प्रश्न 3. क्या ध्वनि तरंगों का भी ध्रुवण संभव है?
उत्तर- नहीं क्योंकि ये अनुदैर्ध्य प्रकृति की होती है।
प्रश्न 4. पोलेराइड क्या है?
उत्तर- यह तीव्र द्विवर्णक क्रिस्टलों (हरपेथाइट क्रिस्टल या कुनैन के आयोडोसल्फेट) से बनी युक्ति है जो कि सरलता से प्रकाश का धुवण करती है।
प्रश्न 5. पोलेराइड़ो की समान्तरित व्यवस्था क्या है?
उत्तर- जब धुवक पोलेराइड एवं विश्लेषक पोलेराइड की प्रकाशीय अक्षों के मध्य कोण θ – 0° हो अर्थात् ये परस्पर समान्तर हों तो दोनों से पारगमित प्रकाश की तीव्रता अधिकतम होती है यह पोलेराइडों की समान्तरित व्यवस्था कहलाती है।
प्रश्न 6. पोलरोइड़ों की क्रॉसित व्यवस्था क्या है?
उत्तर- जब धुवक पोलेराइड एवं विश्लेषक पोलेराइड की प्रकाशीय अक्ष परस्पर लम्बवत् हों ( θ = 90°) तो इनसे पारगमित प्रकाश की तीव्रता शून्य होती है। यह पोलेराइड़ों की क्रॉसित व्यवस्था कहलाती है।
प्रश्न 7. मैलेस का नियम क्या है?
उत्तर- धुवक एवं विश्लेषक की अक्षों की मध्य कोण θ होने पर इनसे पारगमित प्रकाश की तीव्रता cos2 θ के समानुपाती होती है अर्थात्
I α cos2 θ
या i = IO cos2 θ जहाँ IO = अधिकतम तीव्रता