WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

ऊतक संवर्धन का महत्व क्या है , tissue culture in hindi , कोशिका एवं ऊत्तक संवर्धन की आधारभूत अवधारणा (Basic concept of cell and tissue culture)

पढ़े ऊतक संवर्धन का महत्व क्या है , tissue culture in hindi , कोशिका एवं ऊत्तक संवर्धन की आधारभूत अवधारणा (Basic concept of cell and tissue culture) ?

कोशिका एवं ऊत्तक संवर्धन की आधारभूत अवधारणा (Basic concept of cell and tissue culture)

विकासशील देशों की एक प्रमुख आवश्यकता बढ़ती हुई आबादी हेतु पर्याप्त मात्रा में भोजन, कपड़ा, एवं ईंधन उपलब्ध कराना है जबकि भू-भाग की उपलब्धता आवासीय एवं अन्य आवश्यकताओं के कारण घटती जा रही है। पौधों में यह विशेषता पायी जाती है कि इनकी कोई एक कोशिका या एक अंग नये पादप को जन्म दे सकता है। अतः प्रयोगशालाओं में ऊत्तक संवर्धन तकनीक द्वारा अनेकों नन्हें-नन्हें पादप तैयार किये जाते हैं जिन्हें बाद में उचित वातावरण व अनुकूल मृदा में स्थानान्तरित किया जा सकता है।

इस तकनीक द्वारा कम समय एवं कम स्थान में किसी फल, फूल या फसल वाले पादप की ध उचित देखरेख में तैयार की जा सकती है। इस तकनीक द्वारा तैयार किये गये पादप संकर, निरोगी, प्रतिरोधी लक्षणों युक्त होते हैं बल्कि इनसे उत्पन्न होने वाले बीज, फल, बत्ती, जड़ तना आदि के लक्षणों हेतु भविष्यवाणी भी की जा सकती है क्योंकि इनका जीनोम एक ही होता है अतः उनके द्वारा विकसित लक्षण हमें ज्ञात होते हैं। यह क्रिया प्रयोगशालाओं में फ्लास्क, परखनली या अन्य में की जाती है अतः इस विधि को पात्रे सूक्ष्मप्रवर्धन (in vitro micropropagation) या परखनली पौधे (test tube plant) विकास तकनीक भी कहते हैं।.

किसी पदप के पृथक्कृत भ्रूण, पराग कणों, अंग, उत्तक या कोशिकाओं का किसी पात्र में (in vitro) निर्जम वृद्धि की क्रिया उत्तक संवर्धन (tissue culture) कहलाती है। यह क्रिया फ्लास्क, पेट्रीडिश या परखनली आदि में उचित माध्यम एवं नियंत्रित पारिस्थितिक वातावरण में करायी जाती

वनस्पति जगत में पूर्णशक्तता (totipotency) का गुण प्राणी जगत् के जीवों की अपेक्षा अधिक पाया जाता है। अर्थात् यदि पौधे की किसी कोशिका को उससे अलग करके उचित माध्यम में संवर्धित किया जाये तो ये कोशिकाओं के एक समूह कैलस में विकसित हो जाती है। यदि इस विधि से बीजांकुर कोंपल या भ्रूण को विकसित किया जाये तो यह पूर्ण पादप में विकसित हो जाता है। इस क्रिया हेतु पौधे के किस भाग का संवर्धन किया जाता है उसे कर्तोंतक (explant) कहते हैं।

प्राणी कोशिकाओं में विभेदन की क्रिया तीव्र गति से होती है तथा पूर्णशक्तता का गुण भ्रूणवि के दौरान शीघ्रता के साथ घटता जाता है। अतः प्राणी कोशिकाओं या उत्तकों संवर्धन का जटिल कार्य है। इनमें वैज्ञानिकों को अल्प स्तर तक ही सफलता मिल सकी है।

उत्तक संवर्धन हेतु मूलभूत आवश्यकताएँ (Basic requirements of tissue culture)

  1. संवर्धन माध्यम (Culture medium)- ऊत्तक संवर्धन हेतु मृदा के स्थान पर प्रयोगशाला में रसायनिक तत्वों से बना प्रयोग में लाया जाता है। इसमें सामान्य जल के स्थान पर आसुत जल (distilled water) का उपयोग किया जाता है। मिट्टी के गमलों के स्थान पर फ्लास्क, पेट्रीडिश या परखनलियों आदि का उपयोग किया जाता है। संवर्धन माध्यम जीवाणु रहित अवस्था में ही तैयार कर नियमित अवस्था में संग्रहित कर उपयोग में लाया जाता है। इस माध्यम में अकार्बनिक पोषक तत्व, सूक्ष्म मात्रिक तत्व, लोह स्त्रोत, विटामिन्स, कार्बन स्त्रोत, अमीनों अम्ल प्रायः लाइसीन, ऊर्जा स्रोत प्रायः सुक्रोज एवं वृद्धि नियामक कारक जैसे आक्सिन तथा साइटोकाइनिन होते हैं। नारियल का दूध कुछ पादप कलिकाओं भ्रूण व कोशिकाओं हेतु अच्छा संवर्धन माध्यम माना जाता है। संबंध ‘न माध्यम बनाने का कार्य वैज्ञानिकों की देख रेख में किया जाता है। प्रत्येक स्तर पर इसका नियंत्रण एवं जाँच की जाती है। कुछ विशिष्ट प्रकार के संवर्धन, संवर्धन माध्यम के संगठन में परिवर्तन कर कुछ विशेष प्रकार के कर्तोतक (explants) हेतु बनाये जाते हैं। इनमें यीस्ट सार (yeast extract) या हार्मोन आदि मिलाये जाते हैं। उदाहरणतः कैलस से जड़ों व प्ररोह के विभेदन हेतु संवर्धन माध्यम में काइनेटिन व IAA की निश्चित मात्रा मिलायी जाती है।
  2. संवर्धन कक्ष (Culture chamber) – ऊत्तक संवर्धन हेतु यह एक महत्वपूर्ण कक्ष है जिसमें पौधों को लम्बी अवधि के लिये रखा जाता है। इस कक्ष में सामान्यतः 3000 लक्स प्रकाश की व्यवस्था होती है। नये व पुराने पादपों को भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रकाश व अन्धकार में रखे जाने हेतु नियंत्रित व्यवस्था रखी जाती है। तापक्रम को घटाने या बढ़ाने हेतु उचित व्यवस्था रहती है। वायु के प्रवेश व निकास हेतु नियंत्रित व्यवस्था होती है।
  3. स्थानान्तरण कक्ष (Transfer chamber) – एक माध्यम पृथक कर विभिन्न स्तर के कैलस, कोपलों या ऊत्तकों को अन्य माध्यम या फ्लास्क में स्थानान्तरित किये जाने हेतु यह नियंत्रित कीटाणु रहित कक्ष होता है। इस कक्ष में पराबैंगनी किरणें उत्पन्न करने वाले लैम्प लग रहते हैं।
  4. ग्रीन हाउस (Green house) – प्रयोगशाला से बाहर निकाले गये नन्हें पादपों को और अधिक विकसित किये जाने हेतु किटाणु रहित मृदा, या गमलों में रखा जाता है। यह एक प्रकार का नियंत्रित लम्बा चौड़ा कक्ष होता है जिसमें तापक्रम, नमी व वातावरणी दाब विशेष स्तर का बनाये रखा जाता है। पानी के उचित छिड़काव व आवश्यकता मात्रा में सूर्य का प्रकाश इन्हें उपलब्ध कराया जाता है।

ऊत्तक संवर्धन का महत्व एवं उपयोग (Significance and uses of tissue culture)

कृषि, उद्यान एवं वानिकी हेतु उच्च लक्षणों वाले पादप सूक्ष्म प्रवर्धन (micropropagation) विधि से तैयार किये जाते हैं। इनके त्वरित गुणन (accelerated multiplication) हेतु ऊत्तक संवर्धन की क्रिया की जाती है। इस विधि से तैयार पौधों में मृत्युदर लगभग 0% होती है एवं सभी पादपों से उत्पाद इच्छित मात्रा में प्राप्त किये जाने की संभावनाएँ पायी जाती हैं। इस पद्धति से निम्नलिखित विशेषताओं के जीव विकसित किये जा सकते हैं-

  1. जीवद्रव्य संलयन (Protoplast fusion)- प्रोटोप्लास्ट में हमारा आशय कोशिका रहित कोशिकाओं से है। ये नग्न कोशिकाएँ वृद्धि, विभाजन एवं पुररूदभवन करने में सक्षम होती है। दो भिन्न जाति के पादपों के प्रोटोप्लास्ट को पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल (PEG) में संलयन करा कर संकर प्राप्त किया जा सकता है। इस विधि से आलू व टमाटर से संकर पोटोमेटा प्राप्त किया गया है।
  2. रोग रहित पादपों का उत्पादन (Production of disease free plants )- कायिक ‘प्रवर्धन करने वाले पादपों के प्ररोह शीर्ष के विभज्योत्तक की कोशिकाओं से रोगाणु रहित कोपल प्राप्त की जाती है जिनका ऊत्तक संवर्धन प्रयोगशालाओं में करा कर रोगाणु रहित पादप विकसित किये जाते हैं। इस प्रकार पादपों को विषाणुओं जनित, जीवाणु जनित रोगों से सुरक्षित रखा जाता है। इस विधि से आलू, गन्ना, स्ट्राबेरी व अन्य फल वाले पादपों की अत्यधिक संख्या प्राप्त की जाती है।
  3. एक गुणित पादपों का उत्पादन (Production of monoploid plants) – ऊत्तक संवर्धन क्रियाओं के दौरान कोशिका के जीनोम से गुणसूत्र के एक समुच्च को विलग कर एक गुणित पादप प्राप्त किये जाते हैं। इस पादपों में अनेक विशिष्ट लक्षण उपस्थित होते हैं जिनका उपयोग लाभदायक होता है। इस विधि से ही फंजनिक (androgenic) पादप भी प्राप्त किये जाते हैं। इस प्रकार पादप जनक क्रियाओं हेतु समजात (homozygous) पादप आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। पराग कण (pollen grains) अगुणित कोशिकाएँ होती है। यदि इन्हें काल्चिसीन (colchicine) से उपचारित कराया जाये तो ये समजाम द्विगुणित में रूपान्तरित हो जाते हैं।
  4. कायिक भ्रूण उत्पादन (Somatic embryogenesis) – कायिक भ्रूण एम्ब्रॉयड (embryoids) भ्रूण है जो ऊत्तक संवर्धन में कायिक कोशिकाओं से विकसित होते हैं। ये लैंगिक जनन के फलस्वरूप विकसित होने वाली सभी अवस्थाओं में गुजरते हैं। अतः सूक्ष्म संवर्धन माध्यम से किसी पादप के असंख्य एम्ब्रॉयड प्राप्त किये जा सकते हैं।
  5. बहुप्ररोहिका उत्पादन (Multiple shoot production)- सामान्यतः पादप के प्ररोह शिखाग्र से कुछ ही कलिकाएँ निकलती हैं किन्तु यदि इस भाग को विशिष्ट उपचार द्वारा उद्दीप्त किया जाये तो अनेकों कलिकाएँ बन जाती हैं जिन्हें उत्तक संवर्धन द्वारा उगाकर अनेक प्ररोह प्राप्त किये जा सकते हैं। आलू, इलायची, केला अथवा अन्य विलक्षण या संकर पादपों को इस विधि से अधिक संख्या में प्राप्त किया जाता है।
  6. संरक्षण एवं परिरक्षण (Conservation and preservation)- जिन पादपों में अर्न्तजातीय संकरण कराया जाता है उनमें भ्रूण की अधिकतर मृत्यु हो जाती है। ऐसा वातावरणीय कारकों के प्रभाव से होता है। उत्तक संवर्धन से ऐसे भ्रूण का संवर्धन करा कर संरक्षित किया या बचाया जा सकता है।

पादप कोशिकाओं, परागकणों एवं अण्डों का कोष बना कर इन्हें लुप्त होने से बचाया जा सकता है। अनेकों औषध महत्व के पादपों, विशिष्ट लक्षणों वाले पादपों या जैविक विविधता को बनाये रखने हेतु उत्तक संवर्धन एक उपयोगी विधि है।

  1. उत्परिवर्तनों का प्रेरण व चयन (Induction and selection of mutants )- किसी पादप की कोशिकाओं को तरल संवर्धन माध्यम में संवर्धित कराया जाता है। इनमें से कुछ कोशिकाओं को ऐसे माध्यम युक्त पेट्रीडिश में स्थानान्तरित करते हैं जिनमें उत्परिवर्तजन (mulagenic) रसायन होते हैं। इस प्रकार इन कोशिकाओं में उत्परिवर्तन हो जाता है। इनमें से लाभकारी उत्परिवर्तन युक्त कोशिकाओं को अलग कर पुनः सामान्य संवर्धन माध्यम में रख कर पादप कलिका एवं इसके उपरान्त पूर्ण पादप प्राप्त किया जाता है।
  2. पुनर्योगज डी एन ए द्वारा तैयार पादपों का उत्पादन (Production of plants obtained by recombinant DNA )- आनुवंशिक अभियांत्रिकी की विधियों से पादपों के जीनोम में इच्छित परिवर्तन अब प्रयोगशालाओं में किया जाने लगा है। ऐसी कोशिकाओं का संवर्धन माध्यम से ही किया जाकर उत्तम कोपल व पादप प्राप्त किये जाते हैं। यह क्रिया प्रोटोप्लास्ट, क्लोनिंग अथवा अन्य विधियों से करायीं जाती है।

उत्तक संवर्धन का महत्व (Importance of tissue culture)

  1. उत्तक संवर्धन की अवस्था में पादपों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजना अधिक आसान रहता है।
  2. अनेक देशों विभिन्न फूलों, फलों व फसलों की नयी संकर एवं प्रतिरोधी किस्में तैयार की है जो आर्थिक लाभ दे रही है। उदाहरण बी. टी. काटन ।
  3. आने वाले समय में उन कम्पनियों का साम्राज्य हो सकता है जो विशिष्ट लाभकारी किस्मों का उत्पादन कर अन्य राष्ट्रों को पीछे छोड़ सकते हैं। प्राणी कोशिका एवं उत्तक संवर्धन हेतु अध्याय 19 देखें।

प्रश्न (Questions)

  1. निम्नलिखित के अतिलघु / एक शब्द में उत्तर दीजिये:

Give very short answer/one word for the following:

  1. दो वाहक अणुओं के नाम बताइये ।

Write the names of two vechicle molecules.

  1. जिन कोशिकाओं में प्लाज्मिड पाया जाता है दो के नाम लिखिये।

Write the names of two calls in which plasmids are present.

  1. कॉस्मिड वाहक किन दो रचनाओं से मिल कर बना होता है?

By which two structures cosmid vector is formed?

  1. एक बहु उपयोगी फेज्मिड का नाम बताइये ।

Write the name of most useful phasmid.

  1. एक विषाणु जो वाहक के रूप में प्रयुक्त होता है, का नाम लिखिये ।

Write the name of a virus which is used as vector..

  1. प्लाज्मिड का अन्य नाम बताइये।

Give the other name of plasmid.

  1. प्लाज्मिड को पहली बार वाहक के रूप में प्रयोग किसने किया

Who used plasmid as vector for the first time?

  1. ई. कोलाई को नष्ट करने वाले बैक्टीरियोफेग को क्या कहते हैं?

What name is given to the bacteriophage which destroys E. coli?

9.दी बैक्टीरियोफेग के नाम लिखिये ।

Write names of two bacteriophages.

  1. एक प्रारूपिक जीवाणुभोजी की आकृति किस से मिलती जुलती है?

To which a typical bacteriophage resemble in appereance?

  1. जीवाणुभोजी की आधार प्लेट पर कितने पुच्छ तन्तु पाये जाते हैं?

How many tail fibres are present on basal plate of bacteriophage?

  1. कॉस्मिड में किस लम्बाई का डी एन ए पाया जाता है ?

How much long DNA is found in cosmid?

  1. प्राणियों में उपयोग हेतु विषाणु कौनसा है?

Which virus can be used in animals?

  1. प्लाज्मिड के दो अन्य नाम क्या हो सकते हैं?

What two other names can be given to plasmid.

  1. लघु उत्तरात्मक प्रश्न :

Short answer questions

  1. निम्न का संक्षिप्त में विवरण दीजिये फॉग वाहक

Write short note on-phage vector.

  1. फेज्मिड को समझाइये |

Explain Phasmid

  1. कॉस्मिड वाहक क्या है ?

What are cosmid vactors

  1. बाह्य डी एन ए को समझाइये |

Explain foreign DNA

  1. जीन कोष क्या है?

What is gene bank.

III. निम्न प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिये ।

Answer following question in detail.

  1. वाहकों द्वारा जीन स्थानान्तरण पर लेख लिखिये ।

Write an essay on gene transfer through vectors.