पारगम्यता , उष्मीय तथा प्रकाश रासायनिक प्रक्रमों में अन्तर , उष्मीय , प्रकाशीय अभिक्रिया

पारगम्यता (transmitters) पारगत प्रकाश विकिरणों की तीव्रता (It) एवं आपतित प्रकाश विकिरणों के तीव्रता (I0) के अनुपात को पारगम्यता कहते है।
इसे ‘T’ से दर्शाते है।
अत: T = It/Io
अवशोषण गुणांक A तथा पारगम्यता T में सम्बन्ध :
A = log Io/I= log 1/T

उष्मीय तथा प्रकाश रासायनिक प्रक्रमों में अन्तर :

उष्मीय अभिक्रियाएँ (thermal reaction) : वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें अभिकारक अणु परस्पर टक्करों से संक्रियण ऊर्जा प्राप्त करते है , उष्मीय reaction कहलाती है।
ये reactions प्रकाश की अनुपस्थिति में सम्पन्न होती है , इनका वेग अभिक्रिया की प्रकृति (ऊष्माक्षेपी / ऊष्माशोषी) पदार्थ की सांद्रता , ताप एवं उत्प्रेरक आदि पर निर्भर करता है।
उष्मीय अभिक्रियाओं के गुण (properties of thermal reactions ) : अभिकारक अणु के संक्रियण के लिए टक्कर का होना आवश्यक होता है।
इनका वेग ताप पर निर्भर करता है।
इनके होने पर मुक्त उर्जा में कमी होती है।
प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया (light chemical reaction) : वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जो प्रकाश विकिरणों के 200-800 नैनो मीटर के मध्य के क्षेत्र में विकिरणों के अवशोषण से सम्पन्न होती है , प्रकाश रासायनिक reaction कहलाती है।
इनमें संक्रियण ऊर्जा विकिरणों (फोटोन) के अवशोषण से प्राप्त होती है।
प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं के गुण (properties of light chemical reaction) : इनमें संक्रियण के लिए टक्कर आवश्यक नहीं होती।
ये ताप पर निर्भर नहीं करती।
इनमें अभिक्रिया का वेग फोटोन के अवशोषण की मात्रा पर निर्भर करता है।

उष्मीय एवं प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं में अंतर

 उष्मीय अभिक्रिया 
 प्रकाशीय अभिक्रिया 
 1. इनमें अणुओं की टक्करों से मुक्त हुई ऊर्जा से अणु सक्रीय होते है। 
 इनमें पराबैंगनी या दृश्य क्षेत्र के फोटोन के अवशोषण से अभिकारक अणु का संक्रियण 
 2. इनमें मुक्त ऊर्जा में कमी हो जाती है। 
 इनमे फोटोन की कुछ उर्जा उत्पाद की ऊर्जा में जुड़ जाती है , जिससे मुक्त ऊर्जा के मान में वृद्धि हो जाती है।  यद्दपि प्रकाश श्रोत हटाने पर मुक्त ऊर्जा का मान धीरे धीरे कम हो जाता है। 
 3. उष्मीय अभिक्रिया में अभिकारक अणु का संक्रियण वर्णात्मक (selective) नहीं होता है। 
 इनमें अभिकारक अणु का संक्रियण वर्णात्मक होता है। 
 4. उष्मीय उर्जा से अधिक संख्या में अणुओं के उत्तेजित हो जाने से तंत्र का ताप अधिक बढ़ जाता है। 
 प्रकाश ऊर्जा से अभिकारक अणुओं के कम संख्या में उत्तेजित होने से ये सामान्य ताप पर ही संपन्न हो जाती है। 
 5. इनका वेग अभिक्रिया मिश्रण के ताप पर निर्भर करता है। 
 इनका वेग अभिक्रिया मिश्रण के ताप पर निर्भर नहीं करता परन्तु प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करता है।