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आंतकवाद किसे कहते हैं ? Terrorism in hindi definition meaning भारतीय संसद पर हमला कब किया गया था

भारतीय संसद पर हमला कब किया गया था आंतकवाद किसे कहते हैं ? Terrorism in hindi definition meaning ?

आंतकवाद (Terrorism)
भारत में आतंकवाद का इतिहास कई दशक पूराना और हिंसात्मक रहा है। लेकिन पिछले कूछ वर्षो में भारत के कई शहरों में
श्रृंखलाबद्ध आतंकवादी हमला देखा गया है। पिछले दशक में 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला 26 नवंबर 2008 को भारत के मुख्य आर्थिक केंद्र मुम्बई में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट, 13 फरवरी 2010 को भारत के तकनीकी, शैक्षिक एवं रिएल एस्टेट कारोबार के प्रमुख केंद्र पुणे में बम विस्फोट तथा हाल ही में 8 दिसंबर 2010 को प्रमुख धार्मिक स्थल वाराणसी में बम विस्फोट देखा गया है। जब से आतंकवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में उभरा है तभी से इस बुराई को खत्म करने के लिए नीति-निर्माता, सरकार तथा सामरिक समुदाय (Strategic Community) उपाय खोजने में लगे हैं। इन आतंकवादी घटनाओं ने भारत सरकार को आधुनिक आतंकवाद से निपटने के लिए अपने आपको तैयार रखने का महत्त्वपूर्ण पाठ सिखाया है। भारत के विरुद्ध भविष्य में होने वाली आतंकवादी घटनाओं को रोकने तथा वर्तमान आंतरिक सुरक्षा संरचना (Homeland Security Apparatus) में सुधार लाने के लिए कई कठोर कदम उठाए गए हैं।

आतंकवादः एक विश्लेषण (Terrorism: An Analysis)
यद्यपि आतंकवाद इतिहास में अनेक शताब्दियों से रहा है, फिर भी इसका विस्तार हाल के दशकों में अधिक हुआ है और इसकी बारंबारता भी बढ़ी है। आज शायद ही कोई देश इससे अछूता है। आतंकवाद क्यों पनपता है?
यदि आतंकवाद पर विचार करें तो हम इस परिणाम पर पहुँचते हैं कि निर्धनता आतंकवाद के लिए श्कारकश् सर्वथा नहीं होती। इस बात को प्रख्यात अमेरिकी अर्थशास्त्री एलन बी. कुगर ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में व्याख्यान के क्रम में रेखांकित किया था। उनके व्याख्यान पुस्तक के रूप में ‘व्हाट मेक्स ए टेररिस्ट: इकोनॉमिक्स एंड द रुट्स ऑफ टेररिज्म‘ शीर्षक से प्रकाशित हुए। क्रुगर केवल एक प्रख्यात अर्थशास्त्री नहीं हैं बल्कि अमेरिकी प्रशासन के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष भी हैं।
बदलते समय के साथ वह अपनी वैल्यू गंवा सकता है या बाजार की ताकतें उसे तोड़ सकती हैं। आतंकवाद के मामले में बाजार की ताकतें सरकारों के सहयोग से सक्रिय हो सकती हैं और इसके लिए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1373 के रूप में एक तरीका भी हमारे पास है।
यदि वैश्विक नेतृत्व अपना पूरा ध्यान इस बात पर लगाए कि आतंकवाद के आर्थिक जाल को कैसे काटा जाए तो एक दिन यह स्थिति आ जाएगी कि आतंकवाद को सहजता से समाप्त किया जा सकेगा। कोई भी काम-धंधा तभी चलता है जब जोखिम की तुलना में लाभ अधिक हो। आतंकवाद के साथ अभी ऐसा ही है। लाखों लोग उससे रोजगार पा रहे हैं, हजारों लोग उससे धनवान हो चुके हैं और उसने अपने नेटवर्क में इतनी ताकत बटोर ली है कि कई सरकारें उससे काँपती हैं।
यह सब बदल सकता है, बशर्ते सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1373 को ईमानदारी से लागू कराया जाए। साथ ही उन देशों के खिलाफ सुरक्षा परिषद कार्रवाई करे, जो आतंकवाद को सहायता दे रहे हैं। तस्करों और अपराधी माफिया को भी आतंकवादी माना जाए और उनको विश्वव्यापी धापकड़ हो। सीमा पार धन की आवाजाही को इस प्रकार नियंत्रित किया जाए, कि वह अंकेक्षण के लिए खुला रहे। दान का सही उपयोग दानदाता की जिम्मेदारी हो और इसके लिए वह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत जवाबदेह हो।
यह गलतफहमी किसी को नहीं होनी चाहिए कि आतंकवाद सिर्फ इतने भर से नष्ट हो जाएगा। उसके लिए हमें सुरक्षा, सधार और समझौते तक सभी रास्तें अपनाने पड़ेंगे। लेकिन जब हम आतंकवाद के अर्थतंत्र पर मार करेंगे, तो यह सबसे प्रभावी प्रहार होगा। कमजोर आतंकवाद अपना विस्तार नहीं कर पाएगा और मौजूदा विवादों का तीखापन कम हो जाएगा। इससे ऐसे हालात बन सकते हैं, जिनमें समाधान के दूसरे उपाय लागू किए जा सकेंगे और वे सफल भी रहेंगे।

आतंरिक सुरक्षा
(Internal Security)
’’’(इस खंड का उल्लेख मुख्य परीक्षा के प्रश्नपत्र-3 के टॉपिक 17 में है। ‘दृष्टि‘ द्वारा वर्गीकृत पाठ्यक्रम के 15 खंडों मैं से इसका संबंध भाग-12 से है।)

सुरक्षा किसी भी देश के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मुद्दों में से एक है, फिर चाहे बात बाह्य सुरक्षा की हो या आंतरिक सुरक्षा की ये दोनों ही पक्ष अनिवार्य होते हैं। आंतरिक सुरक्षा को किसी देश अथवा राज्य के भीतर शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है।
यदि भारत के संदर्भ में देखें तो आन्तरिक सुरक्षा के अन्तर्गत सुरक्षित क्षेत्र (Secure Territory), शांति और व्यवस्था की विद्यमानता (Prevalence of Peace and Order), लोगों के लिए स्वतंत्रता (Freedom for People), विधि का शासन (Rule of Law), समानता के साथ विकास (Growth Through Equity) आदि तत्त्वों को रखा जा सकता है। इन तत्त्वों को बनाये रखने में जो भी बाधक तत्त्व सामने आते हैं, उन्हें आन्तरिक सुरक्षा की चुनौतियों (Challenges of Internal Security) के रूप में देखा जाता है।

आन्तरिक सुरक्षा से संबंधित चुनौतियाँ (Challenges of Internal Security)
वर्तमान में आन्तरिक सुरक्षा को लेकर भारत के समक्ष अनेक चुनौतियाँ है। इन्हें निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत देखा जा सकता है-
1. आतंकवाद 2. नक्सलवाद
3. जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद 4. पूर्वोत्तर भारत में अलगाववाद और आतंकवाद
5. साइबर अपराध 6. नशीले पदार्थो का व्यापार
7. मनी लाॅन्ड्रिग 8. अपराध उग्रवाद एवं राजनीति के बीच गठबंधन
9. अवैध आप्रवास 10. जातीय तनाव एवं संघर्ष
11. साम्प्रदायिक विभाजन 12. संगठित अपराध
13. जाली नोट 14. हवाला ट्रांसफर
15. सोशल नेटवर्किंग साइट की भूमिका