(sulfur dioxide in hindi) सल्फर डाइऑक्साइड क्या है , सूत्र , गुण , सल्फर डाइ ऑक्साइड बनाने की विधियाँ , प्रयोगशाला विधि : यह एक सल्फर का रासायनिक यौगिक है इसका रासायनिक सूत्र SO2 होता है। यह एक रंगहीन गैस होती है जो वायु से भारी होती है।
यह गैस बहुत ही तीव्र गंध वाली होती है , जिन ईंधन में सल्फर होता है जैसे कोयला , तेल आदि को जब जलाया जाता है तो इनको जलाने से सल्फर डाइऑक्साइड का निर्माण होता है।
हमारे वातावरण की हवा में अधिकतर सल्फर डाइऑक्साइड , कारखानों आदि में कोयला या तेल आदि को जलाने से उत्पन्न होती है। यह गैस ट्रेन , बड़े बड़े जहाज तथा कई डीजल साधन जो सल्फर इंधन को जलने से चलते है , इनसे भी हवा में सल्फर डाइ ऑक्साइड बनती है।
इसका उपयोग कई प्रकार की खाने की सब्जियों , फलों आदि को सुरक्षित रखने के लिए परिरक्षक के रूप में काम में लिया जाता है। जब इस गैस पर दाब आरोपित किया जाता है तो यह गैस द्रवित हो जाती है अर्थात द्रव में बदलने लगती है।
यह गैस बहुत ही तीव्र गंध वाली होती है , जिन ईंधन में सल्फर होता है जैसे कोयला , तेल आदि को जब जलाया जाता है तो इनको जलाने से सल्फर डाइऑक्साइड का निर्माण होता है।
हमारे वातावरण की हवा में अधिकतर सल्फर डाइऑक्साइड , कारखानों आदि में कोयला या तेल आदि को जलाने से उत्पन्न होती है। यह गैस ट्रेन , बड़े बड़े जहाज तथा कई डीजल साधन जो सल्फर इंधन को जलने से चलते है , इनसे भी हवा में सल्फर डाइ ऑक्साइड बनती है।
इसका उपयोग कई प्रकार की खाने की सब्जियों , फलों आदि को सुरक्षित रखने के लिए परिरक्षक के रूप में काम में लिया जाता है। जब इस गैस पर दाब आरोपित किया जाता है तो यह गैस द्रवित हो जाती है अर्थात द्रव में बदलने लगती है।
सल्फर डाइऑक्साइड बनाने की विधियाँ
1. प्रयोगशाला में सल्फर डाइऑक्साइड को बनाने के लिए तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया सोडियम सल्फाइट के साथ निम्न प्रकार करवाई जाती है जिससे यह गैस के रूप में बाहर निकलती है , यह क्रिया निम्न प्रकार संपन्न होती है –
2. औद्योगिक क्षेत्र में सल्फर डाइ ऑक्साइड की आवश्यकता एक बड़े स्केल पर होती है , इसलिए इसे बनाने के लिए रसायन वैज्ञानिक (रसायनज्ञ) , सल्फाइड अयस्क को गर्म करके प्राप्त करते है , इसके बाद वे इस गैस को द्रवित करते है अर्थात इसे गैस से द्रव अवस्था में बदला जाता है इसके लिए वे लगभग 25 atm दाब को आरोपित करते है , द्रवीकरण के बाद इस सल्फर डाइऑक्साइड को स्टील के बैरेल में भर दिया जाता है।
जैसे : आयरन सल्फाइड के अयस्क को जब गर्म किया जाता है तो इससे सल्फर डाई ऑक्साइड गैस बनती है , इसमें निम्न प्रकार अभिक्रिया संपन्न होती है –
Fe2S3 + 4O2 → FeO + 3SO2
अब इसके बाद इस गैस पर 25 एटीएम दाब आरोपित करके इसका द्रवीकरण किया जाता है अर्थात इस गैस को द्रव में बदला जाता है –
So2(g) → SO2(l)
इसी प्रकार वायु में सल्फर को जलाकर भी निम्न प्रकार सल्फर डाईऑक्साइड बनायीं जाती है –
S + O2 → SO2
सल्फर डाइ ऑक्साइड के रासायनिक और भौतिक गुण
इसके निम्न गुण होते है –
- यह रंगहीन गैस होती है।
- यह उत्तेजक और तीव्र गन्ध वाली गैस के रूप में होती है।
- यह एक अम्लीय ऑक्साइड होता है।
- यह जल में बहुत अधिक विलेय होती है और इसके विलेय से बनने वाला विलयन अम्लीय होता है , क्यूंकि यह अम्लीय ऑक्साइड होता है।
- सल्फर डाइ ऑक्साइड को जब जल में घोला जाता है तो यह निम्न प्रकार सल्फ्यूरस अम्ल बना लेती है –
- सल्फर डाइ ऑक्साइड तेजी के साथ सोडियम हाइड्रॉक्साइड के विलयन के साथ क्रिया करता है और क्रिया के फलस्वरूप उत्पाद के रूप में सोडियम सल्फाइट बनता है , यह क्रिया निम्न प्रकार होती है –
SO2 + 2NaOH → Na2SO3 + H2O
जब निम्न अभिक्रिया में सल्फर डाइ ऑक्साइड को और अधिक मात्रा में प्रवाहित किया जाता है तो सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट बनता है जिसकी क्रिया निम्न प्रकार होती है –
SO2 + Na2SO3 → H2O + 2NaHSO3
उपयोग
- इसका उपयोग विरंजक के रूप में पेपर उद्योग और ऊन , रेशम की वस्तुओं में किया जाता है।
- जब शर्करा और पेट्रोलियम का शोधन किया जाता है तो इसका उपयोग किया जाता है।
- सल्फ्यूरिक अम्ल के विरचन के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है।
- सल्फर डाइ ऑक्साइड जब द्रव के रूप में होता है तब यह प्रशीतक के रूप में काम में लिया जाता है।