जल की संरचना को समझाइए पानी की संरचना मॉर्गन तथा वॉरेन , Structure of Water in hindi by J. Morgan and B.E. Warren

यहाँ रसायन विद्ज्ञान में काम आने वाले महत्वपूर्ण जल की संरचना को समझाइए पानी की संरचना मॉर्गन तथा वॉरेन , Structure of Water in hindi by J. Morgan and B.E. Warren  बिंदु को पढेंगे |
द्रव जल की संरचना (Structure of Liquid Water) : क्रिस्टलीय ठोसों की भांति पाउडर विधि का उपयोग करके यदि द्रवों द्वारा X-किरणों का विवर्तन करवाया जाये तो प्राप्त x-किरण स्पेक्ट्रोग्राफ सतत नहीं होता वरन् उसमें उच्चतम एवं निम्नतम बिन्दु (maxima and minima) पाये जाते हैं (चित्र 4.9)। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि द्रवों तीव्रता स्थत नहीं होते वरन् वे लघु क्षेत्रीय क्रम (Short range order) में व्यवस्थित होते हैं।

मॉर्गन तथा वॉरेन (J. Morgan and B.E. Warren) ने विभिन्न तापमानों पर जल के X-किरण विवतन का अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि 1.5°C पर प्रथम उच्चतम शिखर 2.88A की दूरी पर प्राप्त होता है जबकि 83°C पर उच्चतम शिखर 3.00A से जरा-सी अधिक दरी पर प्राप्त होता है। जब जल के X-किरण विवर्तन का और अध्ययन किया जाता है तो ज्ञात होता है कि बर्फ की भांति द्रव जल में अणु के चारों ओर उपस्थित अन्य अणुओं की संख्या ठीक चार नहीं है, अपितु चार एवं पांच के मध्य है। किसी एक अणु को घेरे रखने वाले अणुओं की संख्या ज्ञात करने के लिए स्पेक्ट्रोग्राफ के शिखरों का क्षेत्रफल (peak area) ज्ञात कर लिया जाता है। विभिन्न तापों पर द्रव जल के अणुओं के निकटतम पड़ोसी की संख्या निम्न सारणी में दर्शायी गयी है

सारणी 4.1. विभिन्न तापों पर जल की उपसहसंयोजन संख्या

ताप C में 1.5 13 30 63 83
निकटतम पड़ोसियों की संख्या अथवा उपसहसंयोजन संख्या (Coordination number) 4.4 4.4 4.6 4.9 4.9

 

उपर्युक्त तथ्यों से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जब बर्फ पिघलती है तो आंशिक रूप से इसका चतुष्फलकीय ढांचा टूट जाता है और उनके मध्य के स्थान में जल के अणु प्रवेश कर जाते हैं। जैसे-जैसे ताप में वृद्धि होती जाती है, एक अणु को चारों तरफ से घेरने वाले अणुओं की संख्या भी बढ़ती जाती है। और साथ ही दो अणुओं के मध्य की दूरी बढ़ती जाती है और परिणाम यह होता है कि O-H-O-H द्रवण में जल का घनत्व बढ़ता जाता है। 0° से 4°C के मध्य, जब जल का घनत्व अधिकतम होता है, उपर्युक्त दोनों कारकों में से प्रथम अर्थात् जल की उपसहसंयोजन संख्या (co-ordination number) वाला कारक अधिक प्रभावी रहता है और यदि ताप को COMMO-HD बढ़ाया जाता है तो द्वितीय कारक अर्थात् दो अणुओं के मध्य की दूरी अधिक प्रभावी रहती है। अतः जल के घनत्व में कमी आ जाती है। ताप में और वृद्धि करने पर जल अणुओं के मध्य के हाइड्रोजन बन्ध टूट जाते हैं और उसके बाद जल एक सामान्य द्रव की भांति व्यवहार करने लगता है।

द्रव अवस्था हाइड्रोजन बन्ध के फलस्वरूप हुए आण्विक संगुणन (molecular association) के कारण द्रव जल की संरचना की व्याख्या करना काफी जटिल कार्य हो गया। कई वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न संरचनात्मक मॉडल सुझाये गये। इनमें से सर्वमान्य झुण्ड मॉडल (cluster model) चित्र 4.10 के अनुसार होता है। इसके आधार पर जल के समस्त गुणों को समझाया जा सकता है। इसके अनुसार द्रव जल, जल के एकाकी अणुओं एवं अणुओं के ‘झुण्डो’ का मिश्रण है। जल के अणुओं के झण्ड में जल के विभिन्न अण चतुष्फलकीय आकार में परस्पर हाइड्रोजन बन्धों द्वारा बध रहते है और इन झण्डों के मध्य रिक्त स्थान में एकाकी (single) अणु फैले रहते हैं। ये झुण्ड, लगातार बनते रहते हैं और टूटते रहते हैं। झण्डों के बनने में उनके चारों ओर फैले हुए एकाकी अणु भाग लेते है आर झुण्डा में से टूटने पर ये पुनः एकाकी अणुओं के रूप में अन्य झण्डों के चारों ओर फैल जाते हैं और इस प्रकार तेजी से एकाकी अणु एवं अणुओं के झण्ड परस्पर अन्तपरिवर्तित होते रहते हैं। ।

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जल की आकृति कैसी होती है समझाइये

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