किसी पदार्थ की तीन अवस्थाएं संभव हो सकती है –
1. ठोस
2. द्रव
3. गैस
पदार्थ की तीनो अवस्थाओं में से ठोस अवस्था सबसे अधिक स्थायी होती है , उसके बाद द्रव स्थायी होती है तथा गैस सबसे कम स्थायी होती है।
किसी पदार्थ के स्थायित्व निम्न दो बलों पर निर्भर करता है जों निम्न है –
1. अन्तराण्विक बल
2. ऊष्मीय ऊर्जा
1. अन्तराण्विक बल : पदार्थ के कणों के मध्य लगने वाले बल को अन्तराण्विक बल अन्तराण्विक बल कहते है अर्थात पदार्थ में उपस्थित अणुओं , परमाणुओं अथवा आयनों के मध्य लगने वाला बल अन्तराण्विक बल कहलाता है , यह बल इन कणों को बांधे रखता है और यह प्रयास करता है कि कणों के मध्य की दूरी न्यूनतम हो और अधिक द्वारा बंधे रहे ताकि इन कणों को आसानी से दूर या अलग न किया जा सके।
2. ऊष्मीय ऊर्जा : इसे पदार्थ की आंतरिक गतिज ऊर्जा भी कहा जा सकता है क्यूंकि किसी पदार्थ में इसके कण अंदर गति करते रहते है और इस गति के कारण इनमें ऊष्मा उत्पन्न होती है जिसे ऊष्मीय ऊर्जा कहते है। ठोस पदार्थ में कण आपस में पास पास स्थित होते है अत: ये गति नहीं कर पाते लेकिन इस गतिज ऊर्जा या ऊष्मीय ऊर्जा के कारण कण कम्पन्न करते रहते है।
अत: ऊष्मीय ऊर्जा कणों को तीव्र गामी बनाकर रखने की कोशिश करती है।
जब कोई पदार्थ कम ताप पर स्थित हो तो इसमें ऊष्मीय ऊर्जा का मान भी कम होता है और इसलिए पदार्थ के कण अधिक तेजी से आंतरिक गति नहीं करते है और कण आपस में पास पास स्थित रहते है और इस प्रकार ठोस में कणों की स्थिति निश्चित रहती है। लेकिन इस ऊष्मीय ऊर्जा के कारण ठोस पदार्थ अपनी माध्य स्थिति के के सापेक्ष दोलन करते रहते है।
ठोस पदार्थ के सामान्य गुण या अभिलक्षण (properties of solids)
- ठोस पदार्थों का आयतन , आकार , द्रव्यमान , आकृति आदि निश्चित होती है।
- इनमें संपीड्यता का गुण नगण्य होता है अर्थात इन पदार्थों को जब दबाया जाता है तो ये आसानी से दबते नहीं है या इनमे दवाब से इनके आयतन और आकार में परिवर्तन करना आसान नहीं होता है।
- ठोस पदार्थों में अन्तराण्विक बल बहुत अधिक पाया जाता है अर्थात इनके कण पास पास और उच्च अन्तराण्विक बल द्वारा बंधे हुए रहते है।
- ठोस के कणों के मध्य की दूरी बहुत कम होती है अर्थात इनमें कण (परमाणु , अणु या आयन) बहुत पास पास स्थित होते है।
- ठोस पदार्थों के कण स्वतंत्र रूप से गति नहीं कर पाते है अर्थात एक निश्चित स्थिति में स्थित होते है लेकिन ये कण अपनी साम्य स्थिति के सापेक्ष दोलन करते रहते है।
- ठोस कणों की गतिज ऊर्जा न्यूनतम होती है।
- ठोस पदार्थों का घनत्व , द्रव और गैस की तुलना में बहुत अधिक होता है।
ठोस अवस्था : पदार्थ तीन अवस्थाओं ठोस , द्रव और गैस में पाया जाता है। इन तीनों अवस्थाओं में मुख्य अंतर इनके अवयवी कणों के मध्य दूरी का है। अवयवी कण परमाणु , अणु या आयन हो सकते है। गैसीय अवस्था में अवयवी कण एक दूसरे से अधिक दूरी पर , द्रव अवस्था में कुछ कम दूरी पर उपस्थित होते है। ठोस अवस्था में अवयवी कण निम्नतम दूरी पर होते है। अवयवी कणों के मध्य प्रबल बंध होते है तथा एक सघन संरचना होती है। प्रबल बन्धो के कारण कण गतिशील नहीं होते है। ठोस अवस्था में पदार्थ का सुनिश्चित आकृति तथा आयतन होता है।
ठोसों की विभिन्न संरचनाएँ उनके गुणों को निर्धारित करती है। संरचना के कारण ही कुछ वांछनीय गुणों वाले नए ठोस पदार्थो जैसे उच्च तापीय अतिचालक , चुम्बकीय पदार्थ , पैंकिंग के लिए जैव निम्नीकरण बहुलक (पोलीथिन के स्थान पर) , शल्य चिकित्सा में रोपण हेतु जैव समन्य (शरीर में सरलता से ग्राह्य) ठोस आदि की खोज हो सकी है। जो कि विज्ञान के भविष्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते है।
ठोस अवस्था के सामान्य लक्षण (general characteristics of solid state class 12)
- ठोस पदार्थो का द्रव्यमान आयतन , आकार तथा आकृति निश्चित होता है।
- ठोस पदार्थ कठोर तथा असंपीड्य होते है।
- अन्तराणुविक बल प्रबल होते है।
- अवयवी कणों (अणु , आयन या परमाणु ) के मध्य दूरियाँ कम होती है।
- ठोस पदार्थो में अवयवी कणों की स्थिति निश्चित होती है लेकिन वे अपनी माध्य स्थिति के सापेक्ष दोलन कर सकते है।
- ठोस पदार्थो का घनत्व उसकी द्रव तथा गैस अवस्था से अधिक होता है।