रेतीले जल से जल को किस विधि से पृथक करते है ? how to separate sand and water by filtration

प्रश्न 10 : रेतीले जल से जल को किस विधि से पृथक करते है ?
उत्तर : किसी रेतीले जल के मिश्रण से जल को अलग करने के लिए ‘निस्यंदन‘ विधि काम में लेते है।
हमने निस्यन्दन विधि के बारे में पहले विस्तार से अध्ययन कर लिया है कि जब किसी द्रव पदार्थ के अन्दर कोई न घुलने वाला ठोस पदार्थ उपस्थित हो तो ऐसी स्थिति में इन्हें पृथक करने के लिए जिस विधि का प्रयोग किया जाता है उस विधि को निस्यंदन कहा जाता है।
चूँकि जब किसी जल में रेत अर्थात मिट्टी उपस्थित है तो इसका अभिप्राय है कि द्रव में कोई ठोस पदार्थ की अशुद्धि उपस्थित है और हमने पढ़ा कि ऐसी स्थिति में द्रव और ठोस पदार्थ को अलग अलग करने के लिए निस्यंदन विधि का उपयोग किया जाता है।
अब बात करते है कि “निस्यंदन विधि” क्या होती है और यह किस प्रकार कार्य करती है अर्थात इस विधि द्वारा रेतीले जल में से हम किस प्रकार जल को पृथक कर सकते है ?
इस विधि में एक फ़िल्टर पेपर का उपयोग किया जाता है। फ़िल्टर पेपर एक ऐसा पेपर होता है जिसमे अत्यंत सूक्ष्म छिद्र होते है जो द्रव के कणों को तो गुजरने देते है लेकिन ठोस पदार्थ के कणों को गुजरने नहीं देते है अर्थात ठोस पदार्थ के कणों को रोक लेते है , इस विधि को यहाँ चित्र द्वारा प्रदर्शित किया गया है –

चित्रानुसार इस विधि में ऊपर से रेतीले जल के मिश्रण को डालते है और इसके उपरी सिरे पर फ़िल्टर पेपर लगा होता है , जब रेतीले पानी के मिश्रण को इसमें डाला जाता है तो यह फिल्टर पेपर , रेत या मिट्टी के कणों को रोक लेती है लेकिन पानी के कणों को पार होने देता है , दूसरी तरफ एक पात्र लगा होता है जिसमें यह द्रव या पानी इक्कठा हो जाता है , यह इक्कठा पानी शुद्ध है अर्थात इसमें रेत उपस्थित नही है और इस प्रकार रेतीले जल के में से जल को अलग या पृथक किया जाता है।

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