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वैज्ञानिक अभिरुचि किसे कहते हैं ? Scientific interest in hindi वैज्ञानिक अभिवृत्ति और अभिरुचि में अंतर
वैज्ञानिक अभिवृत्ति और अभिरुचि में अंतर वैज्ञानिक अभिरुचि किसे कहते हैं ? Scientific interest in hindi ?
प्रश्न 7. वैज्ञानिक अभिरुचि से आप क्या समझते हैं ? आप इसकी पहचान कैसे करेंगे ? छात्रों में इसे विकसित करने के उपाय बताइये।
What do you understand by Scientific interest ?k~ How will you identify it ?k~ Mention measures to develop it in students-
उत्तर-वैज्ञानिक अभिरुचि-रसायन विज्ञान शिक्षण का प्रमुख लक्ष्य है छात्रों में वैज्ञानिक अभिरुचि उत्पन्न करना। उद्देश्यनिष्ठ शिक्षण का विशिष्ट उद्देश्य छात्र के भावात्मक पक्ष में वैज्ञानिक अभिरुचि सम्बन्धी वांछित व्यवहारगत परिवर्तन करना है। वैज्ञानिक अभिरुचि के द्वारा छात्र वैज्ञानिक साहित्य संग्रह करने व पढने में रुचि लेता है तथा अन्वेषण में काम आने वाले उपकरणों को सही करता है। प्रयोगशाला में काम आने वाले उपकरणों का स्वयं निर्माण करता है, जैसे-स्प्रिट लेम्प, साधारण तुला, थर्मामीटर आदि ।
वैज्ञानिक अभिरुचि की पहचान कैसे की जाए ?
वैज्ञानिक अभिरुचि का मापन कुशल शिक्षक के लिए कठिन नहीं है। शिक्षक अभिरुचि के मापन के लिए निम्न विधियों को अपना सकता है-
1. प्रेक्षण रुचि के आधार पर- इस विधि में विद्यार्थियों को अवसर दिया जाता कि वे अपनी पसन्द से वैज्ञानिक वस्तुओं की सूची बनाये या किन्हीं 10 वैज्ञानिक उपल के नाम बताये। इसके बाद अध्यापक उन पर चर्चा कर रुचि का पता लगा सकता है।
2. प्रश्नावली बनाना- इस विधि में विद्यार्थियों को यह अवसर दिया जाता है कि ये अपनी इच्छा से प्रश्न करें। इन प्रश्नों के आधार पर अध्यापक छात्र की रुचि का अनमान लगा सकते हैं।
3. वस्तओं के चनाव की विधि-इस विधि में अध्यापक छात्रों के सामने अनेक वस्तुओं को रखकर कुछ वस्तुओं को चुनने का अवसर देता है । वस्तुओं के चयन और प्रश्नों के आधार पर विद्यार्थियों की रुचि का अनुमान लगाने में सहायता मिलती है।
4. स्वैच्छिक प्रश्नों का रिकार्ड- कई छात्र अनेक अवसरों पर अध्यापक से जिज्ञासा युक्त प्रश्न पूछते रहते हैं। ऐसे प्रश्न छात्रों की रुचि को प्रदर्शित करते हैं। ऐसे प्रश्नों को अगर धीरे-धीरे छात्रानुसार एकत्रित करके रिकार्ड रखा जाए तो उस छात्र की रुचि का अनुमान लगाया जा सकता है।
उपरोक्त विधियों का उपयोग शिक्षक छात्रों की अभिरुचि जानने में कर सकता है। इसके अतिरिक्त वह स्वयं भी इस हेतु प्रयास कर सकता है।
वैज्ञानिक अभिरुचि कैसे विकसित करें ? – एक कुशल अध्यापक निम्न प्रकार से छात्रों में वैज्ञानिक अभिरुचि विकसित कर सकता है
1. प्रोत्साहन एवं प्रशंसा-अध्यापक को छात्रों द्वारा प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए एवं समय-समय पर उनके द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा भी करनी चाहिए।
2. व्यक्तिगत मार्गदर्शन-ऐसे छात्र जो वैज्ञानिक अभिरुचि दर्शाते हैं उनकी अध्यापक को व्यक्तिगत रूप में सहायता करनी चाहिए।
व्यक्तिगत मार्गदर्शन के रूप में अध्यापक उनको पुस्तकालय में रखी विज्ञान पत्रिकाओं, विज्ञान प्रदर्शनी, विज्ञान मेला आदि की जानकारियाँ उपलब्ध करा सकता है और इनमें भाग लेने के लिए प्रेरित कर सकता है।
3. छात्रों को रसायन विज्ञान के विकास का इतिहास बताकर।
4. छात्रों के दैनिक जीवन में रसायन विज्ञान की आवश्यकता एवं महत्व की जानकारी देकर।
5. रसायन विज्ञान के मुख्य आविष्कारों के बारे में बताकर ।
6. विभिन्न रसायन विज्ञान से सम्बन्धित कल-कारखानों में छात्रों को ले जाकर।
7. मानव सभ्यता के विकास में रसायन विज्ञान का योगदान बताकर।
8. चिकित्सा विज्ञान में विभिन्न दवाइयों, एन्टीबायोटिक्स, निश्चेतकों एवं घातक रोगों से बचाव के टीकों के बारे में बताकर।
9. कृषि क्षेत्र में विभिन्न रोगों से बचाव के लिए कीटनाशकों का उपयोग एवं हरित क्रान्ति में रसायन विज्ञान का योगदान बताकर।
10. विभिन्न प्रकार के वस्त्रों की रंगाई में काम आने वाले रंजकों (क्लमे) के बारे में बताकर।
उपरोक्त उदाहरणों की सहायता से अध्यापक छात्रों में रसायन विज्ञान में रुचि विकसित कर सकते हैं।
प्रश्न 8. वैज्ञानिक अभिवृत्ति व अभिरुचि में अन्तर स्पष्ट कीजिए ?
Distinguish between scientific attitude and interest.
उत्तर वैज्ञानिक अभिवृत्ति व अभिरुचि के बिना रसायन विज्ञान का शिक्षण व्यर्थ है। इनमें निम्न बिन्दुओं से अन्तर किया जा सकता है
1. वैज्ञानिक अभिरुचियों में निम्न प्रवृतियों को सम्मिलित किया जाता है-
1. स्थानीय पर्यावरण के प्रति जिज्ञासा दिखाना।
2. क्रमबद्ध विधि से विचार करना।
3. तर्कयुक्त ढंग से विचार करना एवं प्रस्तुत करना।
4. कार्य-कारण सम्बन्धों में विश्वास प्रदर्शित करना।
5. वैज्ञानिक जिज्ञासाओं की तृप्ति न होना।
6. धैर्य, निष्पक्षता, सत्यता व न्यायप्रियता जैसे गुणों का विकास होना।
वैज्ञानिक अभिरुचियों का छात्रों में विकास करना रसायन विज्ञान शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य है। वैज्ञानिक अभिरुचि के विकास द्वारा छात्र वैज्ञानिक साहित्य पढ़ने, उनका संग्रह करने में रुचि लेते हैं तथा आवश्यक तथ्यों को खोजने एवं जांचने के काम आने वाले उपकरणों को ठीक करते हैं।
2. वैज्ञानिक अभिवृत्ति में निम्नलिखित व्यवहारगत परिवर्तन सम्मिलित किए जाते हैं-
1. छात्र प्रायोगिक प्रेक्षणों को लिखता है व उनका अर्थ ज्ञात करता है।
2. वह समस्याओं व विधियों से सम्बन्धित विवाद को शान्त रहकर हल करता है।
3. नए सिद्धान्तों एवं विचारों के पूर्वाग्रहों से मुक्त रहकर सुनता है व ग्रहण करता है।
4. वह सत्य की खोज में अनवरत् लगा रहता है।
5. वह कष्ट और कठिनाइयों का धैर्य से सामना करता है।
6. वह बौद्धिक सन्तुष्टि प्राप्त करता है।
7. वह अपने पर्यावरण को समझने हेतु जिज्ञासु रहता है।
8. वह दैनिक जीवन में अर्जित ज्ञान का अनुप्रयोग करता है।
उपरोक्त बिन्दुओं से स्पष्ट है कि सहज जिज्ञासा, उदार मनोवृत्ति, सत्य के प्रति निष्ठा, अपनी कार्य पद्धति में पूर्ण विश्वास तथा अंतिम विचारों की सत्यता को प्रयोग में लाकर प्रमाणित करना आदि गुण वैज्ञानिक अभिवृत्ति के अन्तर्गत आते हैं।
अभिवृत्ति एवं अभिरुचि में सम्बन्ध-1. वैज्ञानिक अभिवृत्ति एवं अभिरुचि दोनों रसायन विज्ञान शिक्षण के भावात्मक क्षेत्र से सम्बन्धित व्यवहारगत परिवर्तन हैं।
2. अभिवृत्ति द्वारा ही अभिरुचि के लिए प्रेरणा मिलती है एवं रुचि के कार्य करने से ही अभिवृत्ति विकसित होती है।
3. अभिवृत्ति अभिरुचि से अधिक स्थाई प्रवृत्ति होती है और प्रायः जीवन भर रहती है।
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