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प्रकाश का प्रकीर्णन , कारण , रैले का नियम scattering of light in hindi & rayleigh’s law of scattering

By   April 21, 2018

scattering of light in hindi प्रकाश का प्रकीर्णन क्या होता है ? प्रकाश का प्रकीर्णन किसे कहते हैं उदाहरण सबसे कम और सबसे अधिक किस रंग में होता है , प्रश्न उत्तर सहित |

परिभाषा : हमारे चारों तरफ वायुमंडल में विभिन्न प्रकार के कण तथा गैसें उपस्थित होती है , जब कोई प्रकाश (उदाहरण सूर्य का प्रकाश ) वायुमण्डल में उपस्थित इन कणों पर आपतित होता है या गिरता है तो यह प्रकाश इन कणों द्वारा विभिन्न दिशाओं में परावर्तित (विसरित) कर दिया जाता है या फैला दिया जाता है।

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वायुमण्डल के अणुओ द्वारा प्रकाश को चारो दिशाओं में विसरित करने की इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है।

प्रकाश के प्रकीर्णन का कारण

जब प्रकाश वायुमण्डल में गति करता है जिसमें गैस इत्यादि के कण पहले से ही उपस्थित होते है , ये कण माध्यम के कण की तरह कार्य करते है और प्रकाश को अवशोषित कर लेते है , अवशोषण के बाद ये इस अवशोषित प्रकाश को सभी दिशाओं में विसरित कर देते हैं।
प्रकीर्णन की तीव्रता प्रकाश की तरंग दैर्ध्य तथा प्रकीर्णन करने वाले माध्यम के कणों के आकार पर भी निर्भर करता है।

रैले का नियम (rayleigh’s law of scattering)

यदि माध्यम के कणों का आकार प्रकाश की तरंग दैर्ध्य से छोटा हो तो प्रकाश के प्रकीर्णन का मान 1/λ4 के समानुपाती होता है।
यहाँ λ = प्रकाश की तरंग दैर्ध्य
इसे ही रैले का नियम कहते हैं।
अतः रैले के नियमानुसार जिस रंग की तरंग दैर्ध्य कम होगी उस रंग का प्रकीर्णन उतना ही अधिक होगा।
हम जानते है की तरंग दैर्ध्य का बढ़ता क्रम निम्न है –
V = बैंगनी
I = नील
B = नीला
G = हरा
Y =  पीला
O = नारंगी
R = लाल
अतः रैले के नियमानुसार लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम (न्यूनतम) होता है क्योंकि इसकी तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक है।
इसी प्रकार बैंगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक (अधिकतम) होता है क्योंकि इसकी तरंग दैर्ध्य सबसे कम होती है।
यही कारण है की सिग्नल में लाल रंग (ट्रैन इत्यादि में) काम में लिया जाता है क्योंकि इसका प्रकीर्णन कम होता है और इसलिए यह दूर तक दिखाई दे सकता हैं।

प्रकाश का प्रकीर्णन

जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है, जिसमें धूल तथा अन्य पदार्थो के अत्यन्त सूक्ष्म कण होते है, तो इनके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में (कुछ दिशाओं में कम तथा कुछ में अधिक) प्रसारित हो जाता है। इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है। लॉर्ड रैले के अनुसार किसी रंग का प्रकीर्णन उसकी तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है तथा जिस रंग के प्रकाश की तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है, उस रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक तथा जिस रंग के प्रकाश की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होती है, उस रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है। यही कारण है कि सूर्य के प्रकाश में बैंगनी रंग, जिसकी तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है का प्रकीर्णन सबसे अधिक तथा लाल रंग, जिसकी तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होती है का प्रकीर्णन सबसे कम होता है।

प्रकाश के प्रकीर्णन के उदाहरण

आकाश का रंग सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण नीला दिखायी देता है- जब सूर्य का प्रकाश जो कि विभिन्न रंगों का मिश्रण है, वायुमंडल से होकर गुजरता है, तो वायु में उपस्थित विभिन्न अणुओं, धूल एवं धुएँ के कणों द्वारा उसका प्रकीर्णन हो जाता है। दिन के समय जब सूर्य सीधा आकाश में मनुष्य के सिर के ऊपर होता है, तो मनुष्य केवल प्रकीर्णित प्रकाश की ही देख पाता है। चूंकि बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक व लाल रंग का सबसे कम होता है, अतः प्रकीर्णन प्रकाश का मिश्रित रंग हल्का नीला होता है। इसी कारण आकाश नीला दिखाई देता है।