रेप्लीकोन किसे कहते हैं , Replicon in hindi , रेप्लीजोम की परिभाषा Replisome definition use

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डीएनए की पुनरावृति (DNA Replication)

जीवों की कोशिकाओं में उपस्थित आनुवंशिक पदार्थ जैसे डीएनए की पुनरावृति एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक प्रक्रिया है । प्रत्येक कोशिका के विभाजित होने पर इसमें उपस्थित समस्त जीन की डुप्लीकेट (duplicate) कॉपी की आवश्यकता होती है अतः प्रत्येक कोशिका विभाजन के समय सम्पूर्ण डीएनए की पुनरावृति होती है। जिसके द्वारा इसमें निहित आनुवंशिक सूचना जनक से पुत्री कोशिकाओं में स्थानान्तरित की जा सके।

डीएनए पुनरावृत्ति : परिभाषा ( DNA Replication : Definition)

एक जनक डीएनए अणु द्वारा इसकी दो एक समान कॉपी तैयार करना ही डीएनए पुनरावृत्ति है अथवा वह विशिष्ट प्रक्रिया जिसमें डीएनए की एक दो सूत्रीय कुण्डलित श्रृंखला की विकुण्डलित प्रत्येक सूत्र नये डीएनए अणु के निर्माण के लिये प्रारूप (template) का कार्य करके इसकी एक नयी कार्बन कॉपी (नयी डीएनए श्रृंखला) का संश्लेषण करती है डीएनए पुनरावृत्ति (DNA replication) कहलाती है।

डीएनए पुनरावृत्ति यूकेरियोट में कोशिका चक्र में S फेज के दौरान न्यूक्लियस के अंदर सम्पन्न होती है। इस दौरान गुणसूत्र लम्बे पतले होते हैं तथा दिखाई नहीं देते हैं। इनको इसी समय पुनरावृत्ति प्रारम्भ करने एवं किसी अन्य समय समाप्त करने के पीछे जो उत्प्रेरण (stimulus) है, वह अज्ञात है। प्रोकेरियोट्स में पुनरावृत्ति सायटोप्लाज्म में सम्पन्न होती है एवं यह एक निरन्तर प्रक्रिया है ।

डीएनए की द्विकुण्डलिनी संरचना ( double helical structure) के आधार पर वॉटसन तथा क्रिक (Watson and Crick) ने इसके पुनरावृत्ति की सरल प्रक्रिया समझाई। उनके अनुसार पुनरावृत्ति की प्रक्रिया के प्रारम्भिक दौर में नाइट्रोजनी क्षारकों के बीच के कमजोर हाइड्रोजन बंध टूट जाने से न्यूक्लियोटाइड -पृथक हो जाते हैं तथा डीएनए की दोनों बहुन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाएँ अलग होकर विकुण्डलित (uncoil) हो जाती है।

इस तरह डीएनए द्विकुण्डलिनी की पृथक हुई प्रत्येक श्रृंखला एक दूसरें की पूरक (complementary) होती है। विशिष्ट क्षारक युग्मन (specific base pairing) का गुण होने के कारण पृथक हुई श्रृंखला के न्यूक्लियोटाइड कोशिकाद्रव्य ( cell cytoplasm ) में से अपने पूर न्यूक्लियोटाइड को आकर्षित करते हैं। नयी श्रृंखला पर कोने से क्षार उपलब्ध होंगे इसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है क्योंकि यह पुराने पुनरावृति फोर्क ( replication fork) डीएनए अणु पर एक स्थान जहाँ हैलीकेज द्वारा दो सूत्रीय श्रृंखला विकुण्डलित होकर खुल जाती है तथा अंग्रेजी आकार के अक्षर Y आकार की संरचना बनाती है। इसके दोनों सूत्रों पर नयी डीएनए श्रृंखला के लीडींग व लैगिंग सूत्र संश्लेषित होते हैं। इस प्रक्रिया में विभिन्न प्रोटीन व एन्जाइम सहायक होते हैं ।

एक बार पूरक न्यूक्लियोटाइड के हाइड्रोजन बंध द्वारा संलग्न (attach) होने पर इनके शर्करा मूलक (sugar radicals) फॉस्फेट समूह से जुड़ जाते हैं और नई पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला बनाते रहते हैं।

इस प्रकार द्विकुण्डलिनी डीएनए की पृथक हुई प्रत्येक श्रृंखला नव डीएनए अणु निर्माण के लिए टैम्पलेट (template) या प्रारूप का कार्य करती है। इसी पर पूरक श्रृंखला (complementary chain) बनती है। डीएनए का प्रत्येक संतति अणु (daughter molecule) संकर (hybrid) होता है.. जिसमें डीएनए की एक श्रृंखला मातृ पॉली न्यूक्लियोटाइड श्रृंखला की तथा दूसरी नवसंश्लेषित (synthesised) होती है अत: डीएनए पुनरावृत्ति (replication) की इस विधि को अर्धसंरक्षी विधि (semiconservative method) भी कहते हैं। यूकेरियोटिक गुणसूत्र में अर्द्धसंरक्षी डीएनए पुनरावृत्ति का सर्वप्रथम टेलर (Taylor ) ने 1957 में प्रदर्शित किया।

रेप्लीकोन (Replicon )

डीएनए अथवा आरएनए अणु जो पुनरावृत्ति प्रारम्भ कर सकने में सक्षम हो तथा स्वयं प्रतिकृतिक (self replicate) हो सके उसे रेप्लीकोन (replicon) कहते हैं। जीवों में रेप्लीकेशन की लम्बाई में भिन्नता मिलती है। बैक्टीरिया ई. कोलाई में एकमात्र रेप्लीकोन उपस्थित रहता है जिसकी लम्बाई 4200 kb होती है यीस्ट में 500 रेप्लीकेशन होते हैं जिनकी लम्बाई 40 kb होती है। यूकेरियोट में 20,000-1,00,000 अगुणित जीनोम में रेप्लीकेशन उपस्थित हो सकते हैं। इसके विपरीत प्रोकेरियोट में एक ही उद्गम स्थल एक रेप्लीकेशन फोर्क व एक ही रेप्लीकेशन उपस्थित रहता है। रेप्लीकोन के केन्द्र में पुनरावृत्ति उद्गम स्थल उपस्थित रहता है। जब उद्गम स्थल सक्रिय होता है तो यह दो रेप्लीकेशन फोर्क उत्पन्न करता है जो उल्टी दिशा में आगे बढ़ती है। आगे जाकर यह दूसरे रेप्लीकेशन फोर्क में मिल जाती है।

रेप्लीजोम ( Replisome)

रेप्लीजोम एक जटिल आण्विक मशीन है जहाँ डीएनए पुनरावृत्ति की प्रक्रिया सम्पन्न होती है। यह सर्वप्रथम डीएनए के दो सूत्री श्रृंखला को विकुण्डलित करके दो एक सूत्रीय श्रृंखलाओं का निर्माण करती है। प्रत्येक जनक श्रृंखला डीएनए टेम्पलेट का कार्य करके इसकी पूरक अनुक्रम युक्त नये डीएनए को संश्लेषित करती है। इस तरह दो नये दो सूत्रीय डीएनए अनुक्रम (double helical DNA strand) तैयार होते हैं जो जनक के दो सूत्रीय डीएनए अनुक्रमों की एक जैसी कॉपी होते हैं।

रेप्लीसोम में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन जैसे डीएनए A, B, C, D, E हेलीकेज, गायरेज / टोपोआइसोमरेज SSB/RPA, प्राइमेज, डीएनए पॉलीमरेज, आरएनए तथा लाइगेज इत्यादि उपस्थित रहते हैं।

प्रोकेरियोट में प्रत्येक विभाजित होते न्यूक्लियोएड को दो रेप्लीजोम की आवश्यकता होती है। जिसमें पुनरावृत्ति दो दिशा में सम्पन्न होता है । पुनरावृत्ति तब तक होती है जब दोनों फोर्क (चिमटा) कोशिका के बीच में 180° तक नहीं पहुँच जाये। अन्त में अन्तस्थ स्थल के पुनरावृत होते ही रेप्लीजोम डीएनए से अलग हो जाता है

विकर (Enzymes)

डीएनए की पुनरावृत्ति के दौरान हैलीकेज, डीएनए पॉलीमरेज तथा पॉलीन्यूक्लियोटाइड लाइ नामक एन्जाइमों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनमें हेलीकेज प्रोटीन्स डीएनए की श्रृंखला को विकुण्डलित करने का कार्य करते हैं जबकि गायरेज (gyrases) पुनरावृत्ति फॉर्क (fork) के सिरे पर उपस्थित सुपर कुण्डलन को खोलता है। डीएनए पॉलिमरेज न्यूक्यिोटाइड को जोड़ने के लिये आवश्यक है। डीएनए लाइगेज डीएनए प्राइमेज व आरएनए प्राइमर के हटने के पश्चात् कट सील करने का कार्य करते हैं।

प्रोटीन्स (Proteins)

डीएनए पुनरावृत्ति के दौरान अनेक प्रोटीन भी आवश्यक होते हैं। यह पुनरावृत्ति के प्रारम्भिक स्थल की पहचान में, न्यूक्यिोटाइड श्रृंखला के खुलने में, पुत्री डीएनए अणु के दोबारा कुण्डलन हेतु कार्यों में सहायक है।

डीएनए की पुनरावृत्ति (DNA Replication)

डीएनए पुनरावृत्ति की वैज्ञानिकों ने समय-समय पर कई अवधारणायें प्रस्तुत की थी जिनमें से अर्द्धसंरक्षी, संरक्षी व समान रूप से वितरित अर्थात् परिक्षेपी अवधारणायें नीचे दी गई हैं-

  1. डीएनए की अर्द्ध संरक्षी पुनरावृत्ति (Semi conservative replication of DNA): डीएनए की अर्द्धसंरक्षी पुनरावृत्ति मेसल्सन तथा स्टॉल ने 1958 में रिपोर्ट की थी इसे सभी ने स्वीकार किया है। डीएनए की अर्द्ध संरक्षी पुनरावृत्ति में प्रत्येक प्रतिकृतिक डीएनए में एक जनक तथा दूसरी नयी श्रृंखला उपस्थित रहती है। इस दौरान डीएनए की द्विकुण्डलित श्रृंखला जो जिप की तरह आपस में जुड़ी रहती है वह खुल ( unzip) जाती है। इस प्रकार इसकी दोनों पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलायें अलग हो जाती है। तत्पश्चात् दोनों जनक श्रृंखलाओं के सामने नयी पूरक श्रृंखलायं संश्लेषित होकर नया डीएनए निर्मित करती है। इस विधि में प्रत्येक कोशिका विभाजन के समय आनुवंशिक सूचना की कार्बन कापी जनकों से नये डीएनए में स्थानान्तरित हो जाती है।
  2. डीएनए की संरक्षी पुनरावृत्ति (Conservative Replication of DNA) : डीएनए की संरक्षी पुनरावृत्ति ब्लांच ( Bloch) ने 1955 में प्रस्तुत की। इसके अन्तर्गत दो नयी संश्लेषित पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलायें आमने-सामने होकर जुड़कर एक नया डीएनए अणु बनाती है जबकि दूसरी श्रृंखला में दोनों पॉलीन्यूक्लियोटाइड जनकों के ही रहते हैं। इसमें एक जनकों का डीएनए तथा दूसरा डीएनए इसकी एक नयी कार्बन कॉपी के रूप में संश्लेषित होता है।
  3. डीएनए की परिक्षेपी पुनरावृत्ति (Dispersive Replication of DNA) : परिक्षेपी पुनरावृत्ति मेक्स डलब्रूक (Max Delbruck ) ने 1954 में प्रस्तुत की थी। डीएनए की पुनरावृत्ति में डीएनए विभिन्न खण्डों में विभाजित होता है। यह खण्ड आपस में जुड़कर डीएनए के दो सूत्रीय अणु बनाते है जिसमें किसी स्थल पर जनकों डीएनए के दो सूत्रीय अणु बनाते हैं तथा अन्य किसी स्थान पर जनकों का पुराना तथा कहीं नया डीएनए खण्ड जुड जाता है।