मेसेल्सन तथा स्टील का प्रयोग बताइए , डीएनए की अर्द्धसंरक्षी पुनरावृत्ति , meselson and stahl experiment notes in hindi

समझे मेसेल्सन तथा स्टील का प्रयोग बताइए , डीएनए की अर्द्धसंरक्षी पुनरावृत्ति , meselson and stahl experiment notes in hindi ?

डीएनए की अर्द्धसंरक्षी पुनरावृत्ति मेसलसन तथा स्टॉल का प्रयोग (Semi-Conservative Replication of DNA – Meselson and Stahl’s experiment)

मेसलसन तथा स्टॉल ने 1958 में प्रयोगात्मक प्रमाण दिये जिसमें यह सिद्ध किया गया कि डीएनए पुनरावृत्ति अर्द्धसंरक्षी होती है। इस प्रयोग के लिये केलिफोर्निया तकनीकी इन्टीट्यूट में मेथ्यू मेसल्सन तथा फ्रेंकलिन स्टॉक (Mathew Meselson and Franklin Stahl) ने 1957 में जीवाणु ई. कोलाई को भारी नाइट्रोजन आइसोटोप ( isotope) 15N युक्त माध्यम पर अनेक पीढ़ियों तक लगातार संवर्धित करके गहन शोध किया। उन्होंने ई. कोलाई को भारी नाइट्रोजन के साथ संवर्धित करके 15N वाली समष्टि को उत्पादित किया जिसके डीएनए में समान 15N लेबल डीएनए (15N labelled DNA) उपस्थित था। इनके डीएनए के दोनों सूत्रों पर रेडियोधर्मी नाइट्रोजन ( 15N) उपस्थित था।

जब 15N नाइट्रोन युक्त जीवाणु को हल्की नाइट्रोजन (14N) युक्त माध्यम पर स्थानान्तरित किया गया तब जो जीवाणुओं की समष्टि (Population) प्राप्त हुई उनके डीएनए का एक सूत्र भारी नाइट्रोजन (15N) युक्त तथा दूसरा हल्की नाइट्रोजन युक्त ( 14N) पाया गया। भारी नाइट्रोजन युक्त डीएनए का एक सूत्र जनक से प्राप्त हुआ तथा दूसरा हल्की नाइट्रोजन युक्त ( 14N) नया सूत्र माध्यम से संवर्धित हुआ जो डीएनए की पुनरावृत्ति को अर्द्धसंरक्षी प्रकार का दर्शाता है जिसमें एक जनकीय सूत्र तथा दूसरा नया संवर्धित सूत्र निर्मित होता है।

ई. कोलाई के प्रथम, द्वितीय व तृतीय पीढ़ी के डीएनए को निष्कर्षित करके उसे सीजियम क्लोराइड के साल्ट विलयन (Salt solution of cesium chloride) में घोला गया साल्ट घनत्व प्रवणता अवसादन (salt density gradient centrifugation) द्वारा उच्च गति से अल्ट्रा सेन्ट्रीफ्यूज किया गया। यह पाया गया कि जनक के दोनों सूत्रों जो भारी नाइट्रोजन ( 15N) युक्त था वह सबसे भारी पाया गया जबकि प्रथम पीढ़ी जो हल्की नाइट्रोजन (14N) युक्त माध्यम पर संवर्धित की गयीं। वह जनक डीएनए (15N) से हल्की घनत्व वाली थी।

द्वितीय पीढ़ी में टेस्ट ट्यूब में डीएनए के दो बैण्ड पाये गये जिसमें एक भारी ( 15N) व दूसरा हल्की नाइट्रोजन (14N) की उपस्थिति को दर्शाते हैं। दोनों बैण्ड की तीव्रता (intensity) समान थी। आगे की पीढ़ियों में हल्के घनत्व के बैण्ड की तीव्रता बढ़ती जाती है जबकि संकर बैण्ड के घनत्व की तीव्रता निरन्तर घटती जाती है।

मेसल्सन तथा स्टॉल के प्रयोग के निष्कर्ष (Conclusion of Meselson and Stahl’s experiment)

  1. प्रथम पीढ़ी में पुत्री डीएनए में जनक डीएनए से प्राप्त भारी सूत्र तथा दूसरा हल्का नया संवर्धित सूत्र उपस्थित रहता है।
  2. द्वितीय पीढ़ी में 50% संकर डीएनए 15N / 14N युक्त तथा 50% 14N / 14N डीएनए निर्मित होता है।
  3. तृतीय पीढ़ी में 25% संकर (hybrid) 15N / 14N तथा 75% हल्का डीएनए 14N/14N प्राप्त होता है।
  4. अतः सेन्ट्रीप्यूज नलिका के प्रेक्षण से पता चलता है कि डीएनए की पुनरावृत्ति अद्धसंर प्रकार की है क्योंकि 14N युक्त संवर्धित माध्यम में डीएनए का घनत्व घटता है।
  5. एक पीढ़ी के बाद पाया गया कि पुनरावृत्ति के बाद डीएनए अणु N तथा 14N का सकर होता है और उनकी उत्प्लावन घनत्व (bouyant density) पूर्णतया भारी व पूर्णतया हम डीएनए के बीच का होता है।

यूकेरियोट्स में अर्द्धसंरक्षी पुनरावृत्ति के प्रमाण (Evidences for Semiconservative Replication in Eucaryotes)

जे. एच. टेलर और पी. वुड्स ने 1957 में ऑटोरेडियोग्राफी और प्रकाश सूक्ष्मदर्शी जैसी तकनीकों का प्रयोग करते हुए डीएनए की अर्द्धसंरक्षी पुनरावृत्ति के पक्ष में प्रमाण दिये । उन्होंने अपने प्रयोग विसिया फाबा (Vicia faba) पर किये । अपने प्रयोगों में उन्होंने विसिया फाबा (broad bean) की मूल शीर्ष कोशिकाओं को ’H-थाइमिडीन (tritiated thymidine) से उपचारित करके उन्हें अनामांकित माध्यम (unlabelled medium) पर वृद्धि करवाई। इसी माध्यम में कॉल्चीसीन मिश्रित की गई ताकि सिस्टर क्रोमेटिड्स का एनाफेज पर पृथक्करण अवरूद्ध ( inhibit) हो जाये । जब मेटाफेज गुणसूत्रों (मेटाफेज के एक गुणसूत्र का प्रत्येक क्रोमेटिड एक पृथक डीएनए अणु को प्रस्तुत करता है) को द्विगुणन की एक पीढ़ी के बाद विश्लेषित किया गया और तब यह पाया गया कि दोनों क्रोमेटिड्स में से एक नामांकित था अतः यह विश्वास किया गया कि यह पुनरावृत्ति अर्द्धसंरक्षी प्रकार की पुनरावृत्ति थी । परिणामों पर कार्य करते हुए और तीनों तरहों की पुनरावृत्ति को ध्यान में रखते हुए जो प्रेक्षण सुझाये गये उनसे पुनरावृत्ति अर्द्धसंरक्षी प्रतीत होती है इसके निम्नलिखित कारण हैं-

(i) सेन्ट्रीफ्यूज नलिका के प्रेक्षण से पता चलता है कि डीएनए की पुनरावृत्ति अर्द्धसंरक्षी प्रकार की है क्योंकि 14N युक्त कल्चर मीडियम में डीएनए गुण का घनत्व घटता है।

(ii) एक पीढ़ी के बाद यह प्रेक्षित किया गया कि पुनरावृत्ति के बाद डीएनए अणु 15N तथा N का संकर होता है और उनकी उत्प्लावन घनत्व (bouyant density) पूर्णतया भारी व पूर्णतया हल्के डीएनए के बीच की होती है।

(ii) डीएनए को निरन्तर पुनरावृत्ति की कुछ पीढ़ियों के बाद नया बना हुआ डीएनए केवल 1HN युक्त होगा और 2 प्रकार के द्विसूत्री डीएनए 2 प्रकार की प्रवणताओं के रूप में होंगे जैसे IN एवं 14N का संकर डीएनए और दूसरा केवल 1 N वाला डीएनए ।

(iv) 14 N माध्यम में होने वाली पुनरावृत्ति यदि निरन्तर रहे तो डीएनए की उपस्थित बड़ी मात्रा हल्की होगी । लेकिन यदि पुनरावृति के लिए अर्द्धसंरक्षी होने का विश्वास किया जाये तो मूल भारी 15N वाला पैतृक सूत्र संकर डीएनए में अक्षत ( intact ) रूप से उपस्थित होगा ।

एक बार जब सिद्ध हो गया कि डीएनए प्रतिकृति अर्द्धसंरक्षी होती है तो आगे के प्रयोग यूकेरियोट्स (संवर्धित स्तनी कोशिकायें) और प्रोकेरियोट्स (संवर्धित li.coli कोशिकाओं) में किये गये और यह प्रेक्षित। किया गया कि यूकेरियोट्स और प्रोकेरियोट्स में प्रतिकृतिकरण समान क्रियाविधि द्वारा होता है । इसलिए प्रोकंरियोटिक डीएनए प्रतिकृतिकरण की सूचनायें यूकेरियोटिक डीएनए प्रतिकृतिकरण के लिए भी अनुप्रयोग (application) में लायी जा सकती है।

डीएनए पुनरावृत्ति के नियम (Rules of DNA Replication)

  1. डीएनए पुनरावृत्ति के दौरान एडेनीन सदैव थायमीन तथा ग्वानीन सायटोसीन के साथ युग्म (pair) बनायेगा।
  2. डीएनए पॉलीमरेज नामक एन्जाइम न्यूक्लियोटाइड मोनोमर्स को एक के बाद एक पॉलीन्यूक्लियोटाइड स्ट्रेण्ड के 3′ सिरे से जोड़ते जाते हैं।
  3. नयी पुत्री श्रृंखला पर उपस्थित नाइट्रोजीनी क्षारकों का अनुक्रम टेम्पलेट स्ट्रेण्ड पर उपस्थित क्षार अनुक्रम का सदैव पूरक (complementary) होगा जैसे – 2 [-A-T, C-G ।
  4. डीएनए की नयी पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला के 3′ सिरे पर उपस्थित डीआक्सीराइबोज कै कार्बन C-3′ पर ओ एच (OH) समूह उपस्थित रहता है जो दूसरे न्यूक्लियोटाइड के साथ आसानी से जुड़ जाता है।
  5. पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला के 5′ सिरे पर उपस्थित डीऑक्सीराइबोज के कार्बन C – 5′ पर फॉस्फेट उपस्थित होता है अतः नयी पालीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला सदैव 5’3′ दिशा में ही संश्लेषित होगी।

डीएनए पुनरावृत्ति के लिये आधारभूत आवश्यकतायें

किसी भी कोशिका में डीएनए की पुनरावृत्ति हेतु निम्नलिखित की उपस्थिति अनिवार्य है-

  1. न्यूक्लियोटाइड अणु के रूप में प्रिकरसर ( Precursor Nucleotide Molecules) कोशिकाओं को निम्न चार डीऑक्सीराइबोन्यूक्लियोटाइड 5 ट्राइफोस्फेट (dNT Ps) आवश्यक है-

2- डीऑक्सीएडेनोसिन 5 ट्राइफोस्फेट   (D ATP) )

2′ डीऑक्सीगुआनोसिन5′ ट्राइफोस्फेट (d GTP)

2- डीऑक्सीसाइटिडीन 5 ट्राइफोस्फेट  (d CTP)

2′ – डीऑक्सीथायमिडीन 5′ ट्राइफोस्फेट  (d TTP)

इनमें न्यूक्लियोसाइड ट्रायफॉस्फेट अणु के तीन फॉस्फेट समूह a, B तथा Y कहलाते हैं। c फॉस्फेट सीधे डीऑक्सीराइबोज से जुड़ा रहता है।

  1. टेम्पलेट डीएनए (Template DNA) : डीएनए की यह एकसूत्रीय जनक श्रृंखला (template) है जो न्यूक्यिोटाइड के अनुक्रमों के पूरक क्षार युग्मों के द्वारा नयी श्रृंखला के संश्लेषण के लिये गाइड करती है।

सारणी-1 : डीएनए पुनरावृत्ति में प्रयुक्त एन्जाइम

क्र.सं. एन्जाइम सक्रियता (Activity)
1. हेलीकेज प्रोटीन (Helicase protein) डीएनए हेलिक्स का विकुण्डलन

 

2. डीएनए गायरेज (DNA Gyrases)

 

रेप्लीकेशन फोर्क के शीर्ष पर सुपर कुण्डलन को खत्म करने में सहायक

 

3. प्राइमेज (Primase)

 

आरएनए प्राइमर का संश्लेषण

 

4. डीएनए पॉलीमरेज (DNA Polymerase) डीएनए के पूरक स्ट्रैण्ड का पॉलीमराइजेशन होता है जिसमें आरएनए प्राइमर पर न्यूक्लियोटाइड जुड़ जाते हैं।

 

5. डीएनए लाइगेज (DNA Ligase) डीएनए प्राइमेज के कट को सील करना व आरएनए प्राइमर के हटने से उत्पन्न कट को जोड़ता है।