R-OH बंध विखण्डन अभिक्रिया , Reactions of Alcohols Cleavage of OH Bond in hindi , पोपॉफ नियम

[B] R-OH बंध विखण्डन अभिक्रिया (Reactions of Alcohols Cleavage of OH Bond in hindi) :

HF < HCl < HBr < HI – प्रतिक्रियाशीलता का बढ़ता क्रम।

HF < HCl < HBr < HI – अम्लीयता का बढ़ता क्रम।

HI < HBr < HCl < HF – क्वथनांक का बढ़ता क्रम।

(1) हैलोजन अम्ल के साथ क्रिया :

C2H4OH + HCl → C2H5-Cl + H2O

C2H5-OH + HBr → C2H5-Br + H2O

C2H5-OH + HI → C2H5-I + H2O

यदि टेस्ट ब्युटिल एल्कोहल की क्रिया HI से करायी जाए तो अभिक्रिया कमरे के ताप पर ही संपन्न हो जाती है।

(2) PCl5 & PCl3 के साथ अभिक्रिया : एल्कोहल PCl5 & PCl3 से क्रिया कर एल्किल क्लोराइड बनाते है।

3C2H5-OH + PCl3 → 3C2H5-Cl + H3PO3

C2H5-OH + PCl5 → C2H5Cl + HCl

नोट : इस अभिक्रिया में PBr3 या PI3 का योग कर R-Br व RI बनाना है तो Red. P+Br या Red. P + I2 का उपयोग करते है।

P4 + 6Br2 → 4PBr3

P4 + 6I2 →  4PI3

(3) थायोनिल क्लोराइड से क्रिया (SOCl2) या डार्जन अभिक्रिया :

प्रश्न : एल्किल क्लोराइड (R-Cl) की निर्माण की सर्वोत्तम विधि को समझाइये।

उत्तर : एल्कोहल पिरीडीन (C2H5N) की उपस्थिति में SOCl2 के साथ क्रिया कर एल्किल क्लोराइड (R-Cl) बनाता है।

इस अभिक्रिया में बनने वाले सह उत्पाद SO2 व HCl गैसीय अवस्था में होने के कारण आसानी से पृथक हो जाते है इसलिए इसे एल्किल क्लोराइड (R-Cl) निर्माण की सर्वोत्तम विधि कहते है।

इसे डार्जन अभिक्रिया के नाम से भी जाना जाता है।

C2H5-OH + SOCl2 → C2H5-Cl + SO2 + HCl

R-OH + SOCl2 → C2H5-Cl + SO2 + HCl

प्रश्न : डार्जन अभिक्रिया में उत्प्रेरक का मिश्रण दीजिये।

उत्तर : थायोनिल क्लोराइड और पिरीडिनल डार्जन अभिक्रिया में उत्प्रेरक है जिनके रासायनिक सूत्र क्रमशः SOCl2 व C5H5N  है।

प्रश्न : डारजन अभिक्रिया द्वारा R-Br तथा R-I का निर्माण नहीं किया जाता है क्यों ?

उत्तर : क्योंकि SOBr2 अस्थायी है तथा SIO2 अज्ञात है।

(4) अमोनिया के साथ अभिक्रिया :

C2H5-OH + HClH2 → C2H5-ClH2 + H2O

इस अभिक्रिया में उत्प्रेरक Al2O3 + 633K ताप लिया जाए तो 10, 20, 30 एमिन का मिश्रण प्राप्त होता है।

(5) अपचयन : एल्कोहल का अपचयन Red. P + 423K ताप पर कराया जाता है तो एल्केन बनते है।

C2H5-OH + 2HI → C2H5-H + H2O + I2

[C] एल्किल व -OH समूह की अभिक्रिया या संयुक्त अभिक्रिया :

(1) निर्जलीकरण : एल्कोहल का निर्जलीकरण सान्द्र H2SO4 + 433-443K , H3PO4 + 473K , Al2O3 + 673K , P2O5 + 643K आदि द्वारा कराया जाया है।

यह अल्कोहल की विलोपन प्रकार की अभिक्रिया होती है।

इस अभिक्रिया में 2σ बन्ध टूटकर एक π बंध का निर्माण होता है।

उदाहरण : CH3-CH2-OH → CH2=CH2 + H2O

प्रश्न : एथिल एल्कोहल के निर्जलीकरण की क्रियाविधि सहित समझाइये।

उत्तर : CH3-CH2-OH → CH2=CH2 + H2O

सैत्जेफ़ का नियम (saytzeff law in hindi) : एल्कोहल के निर्जलीकरण में वह एल्किन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है जिसमे द्विआबन्ध वाले कार्बन पर एल्किन समूह की संख्या अधिक पायी जाती है इसे सेल्जेफ़ का नियम कहते है।

प्रश्न : 1-ब्युटेनोल के निर्जलीकरण को समझाइये।

उत्तर : CH3-CH2-CH2-OH → CH3-CH=CH-CH3 (major) (2-Butene)

CH3-CH2-CH2-OH → CH3-CH2-CH=CH2 (minor) (10 Butene)

(2) विहाइड्रोजनीकरण (dehydrogenation of alcohol) :

अभिक्रिया w + 573K ताप पर संपन्न करायी है।

इस अभिक्रिया द्वारा 10 , 20 व 30 एल्कोहल में अंतर किया जाता है।

इस अभिक्रिया में 10 एल्कोहल  विहाइड्रोजनीकरण पर एल्डीहाइड बनाता है।

CH3-CH2-OH à CH3-CHO + H2

 इस अभिक्रिया में 20 एल्कोहल  विहाइड्रोजनीकरण पर कीटोन बनाता है।

इस अभिक्रिया में 30 एल्कोहल  विहाइड्रोजनीकरण की तुलना में H2O का त्याग कर मुख्य उत्पाद एल्किन बनाता है ऐसा 30 एल्कोहल की अधिक क्रियाशीलता के कारण होता है।

(3) ऑक्सीकरण : एल्कोहल में ऑक्सीकरण की क्रिया अम्लीय K2Cr2O7 द्वारा दर्शायी जाती है।

इस अभिक्रिया द्वारा भी 10 , 20 व 30 एल्कोहल बनाते है।

इसमें 10 एल्कोहल ऑक्सीकरण द्वारा एल्डीहाइड बनाते है।

CH3-CH2-OH + [O] → CH3-CHO + [O] à CH3-COOH

इसमें  20 एल्कोहल ऑक्सीकरण द्वारा कीटोन बनाते है।

इसमें 30 एल्कोहल ऑक्सीकरण द्वारा एल्किन बनाते है।

इस अभिक्रिया में अम्लीय K2Cr2O7 व क्षारीय KMnO4 प्रबल ऑक्सीकरण होते है तथा यह एल्कोहल को अम्ल तक ऑक्सीकृत कर देते है।

 पोपॉफ नियम (popoff rule in hindi) :इस नियम के अनुसार कीटोन में कार्बोनिल समूह (-C=O) छोटे एल्किल समूह के साथ ऑक्सीकृत होता है जिसे पॉपोफ का नियम कहते है।

प्रश्न : एल्कोहल को केवल एल्डीहाइड तक ऑक्सीकृत करने वाला अभिकर्मक बताइये।

उत्तर : एल्कोहल को एल्डीहाइड तक ऑक्सीकृत होने वाला अभिकर्मक PCC (pyridinium chlorochromate) अभिकर्मक करता है।

pyridinium chlorochromate = C5H5N + CrO3 + HCl

इस PCC (pyridinium chlorochromate) अभिकर्मक को कोरे अभिकर्मक भी कहते है।

R-CH2-OH + [O] → R-CHO

(4) ल्यूकास अभिकर्मक से क्रिया : सान्द्र HCl + एनहाइड्राइड ZnCl2 का मिश्रण ल्युकास अभिकर्मक कहलाता है।

इस अभिक्रिया द्वारा 10 , 20 व 30 में अंतर किया जाता है।

इसमें 10 एल्कोहल इसमें 30 मिनट बाद क्रिया करता है।

इसमें 2 एल्कोहल इसमें 5 मिनट बाद क्रिया करता है।

इसमें 3एल्कोहल इससे तुरंत क्रिया करता है।

यह अभिक्रिया 10 , 20 व 3एल्कोहल में अंतर , समय के अंतराल पर करता है।

(5) एस्टरीकरण : सान्द्र H2SO4 + CH3COOH मिश्रण का उपयोग एस्टीरीकरण में करते है।

इस अभिक्रिया द्वारा 10 , 20 व 30 में अंतर किया जाता है।

इस अभिक्रिया में 10 एल्कोहल तुरंत क्रिया कर एस्टर बनाता है।

इस अभिक्रिया में 2 एल्कोहल धीमे क्रिया करता है।

इस अभिक्रिया में 3एल्कोहल बहुत धीरे क्रिया करता है।

इस अभिक्रिया में 10 , 20 व 30 एल्कोहल में अंतर समय के आधार पर किया जाता है।

(6) वेक्टर मेयर अभिक्रिया : Red P + I2 + AgNO2 + HNO2 + NaOH का मिश्रण विक्टर मेयर अभिकर्मक कहलाता है।

इसमें 10 एल्कोहल इसमें क्रिया कर लाल रंग का अवक्षेप देता है।

इसमें 2 एल्कोहल इससे क्रिया कर नीले रंग का अवक्षेप देता है।

इसमें 3एल्कोहल इससे क्रिया कर रंगहीन यौगिक बनाता है।

इस प्रकार विक्टर मेयर 10 , 20 व 3एल्कोहल क्रमशः लाल , नीला , रंगहीन देता है।

(7) हैलोफॉर्म अभिक्रिया : एल्कोहल NaOH + Cl2 या I2 + NaOH के साथ क्रिया कर क्रमशः CHCl3 या CHI3 बनाता है।

वे एल्कोहल जिनमे (CH3-CH-OH) समूह पाया जाता है , हैलोफोर्म अभिक्रिया दर्शाते है।