माना कोई निम्न रासायनिक अभिक्रिया संपन्न हो रही है –
जैसा कि हम जानते है कि अभिक्रिया का वेग इसके अभिकारक की सांद्रता पर निर्भर करते है।
निम्न अभिक्रिया के वेग को निम्न प्रकार व्यक्त करते है –
यहाँ [A] और [B] , क्रियाकारक A और B की सांद्रता को दर्शाती है और m और n को स्टाइकियोमीट्री गुणांक कहलाता है , m और n का मान प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया जा सकता है इसलिए इनका मान a aur b के बराबर हो भी सकता है और न भी अर्थात प्रयोगों से कभी कभी m और n का मान क्रमशः a और b के बराबर भी प्राप्त हो जाता है।
यहाँ k एक समानुपाती स्थिरांक है जिसे वेग स्थिरांक कहते है तथा इस सम्पूर्ण समीकरण को वेग व्यंजक अथवा वेग नियम कहते है।
परिभाषा : वह अभिक्रिया वेग जब क्रियाकारकों की सांद्रता को इकाई मान ले उस स्थिति में अभिक्रिया के वेग को वेग स्थिरांक कहते है।
याद रखिये कि वेग स्थिरांक को ही विशिष्ट अभिक्रिया वेग भी कहते है।
अभिक्रिया का वेग नियम या व्यंजक कैसे ज्ञात करते है ?
- दोनों क्रियाकारक की समान या निश्चित मात्रा (सांद्रता) लेकर अभिक्रिया का प्रारंभिक वेग का मान ज्ञात करते है। जैसे दोनों क्रियाकारको की सांद्रता का मान 0.1 मोल ले लेते है।
- अब एक क्रियाकारक की सांद्रता को निश्चित रखते हुए दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता का मान परिवर्तित करते है और अभिक्रिया का प्रारंभीक वेग ज्ञात करते है। जैसे प्रथम क्रियाकारक की सांद्रता को 0.1 मोल ही रखते है लेकिन दुसरे की सांद्रता को 0.2 मोल कर देते है और फिर अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग का मान ज्ञात कर लेते है।
- अब दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता को स्थिर रखते है और पहले क्रियाकारक की सांद्रता को परिवर्तित करते है और फिर अभिक्रिया का प्रारंभिक वेग ज्ञात कर लेते है। जैसे दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता को 0.1 मोल रखते है और पहले क्रियाकारक की सांद्रता को 0.2 मोल कर देते है और फिर अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग ज्ञात कर लेते है।