हमारी app डाउनलोड करे और फ्री में पढाई करे
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now
Download our app now हमारी app डाउनलोड करे

अभिक्रिया वेग व्यंजक और वेग स्थिरांक , वेग नियम क्या है तथा विशिष्ट अभिक्रिया वेग किसे कहते है , इकाई , मात्रक , परिभाषा , अंतर

By   January 20, 2019
(rate expression and rate constant in hindi) अभिक्रिया वेग व्यंजक और वेग स्थिरांक , वेग नियम क्या है तथा विशिष्ट अभिक्रिया वेग किसे कहते है , इकाई , मात्रक , परिभाषा , अंतर : इन्हें समझने के लिए निम्न अभिक्रिया के द्वारा अध्ययन करते है।
माना कोई निम्न रासायनिक अभिक्रिया संपन्न हो रही है –

जैसा कि हम जानते है कि अभिक्रिया का वेग इसके अभिकारक की सांद्रता पर निर्भर करते है।
निम्न अभिक्रिया के वेग को निम्न प्रकार व्यक्त करते है –

सब्सक्राइब करे youtube चैनल

यहाँ [A] और [B] , क्रियाकारक A और B की सांद्रता को दर्शाती है और m और n को स्टाइकियोमीट्री गुणांक कहलाता है , m और n का मान प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया जा सकता है इसलिए इनका मान a aur b के बराबर हो भी सकता है और न भी अर्थात प्रयोगों से कभी कभी m और n का मान क्रमशः a और b के बराबर भी प्राप्त हो जाता है।
यहाँ k एक समानुपाती स्थिरांक है जिसे वेग स्थिरांक कहते है तथा इस सम्पूर्ण समीकरण को वेग व्यंजक अथवा वेग नियम कहते है।
परिभाषा : वह अभिक्रिया वेग जब क्रियाकारकों की सांद्रता को इकाई मान ले उस स्थिति में अभिक्रिया के वेग को वेग स्थिरांक कहते है।
याद रखिये कि वेग स्थिरांक को ही विशिष्ट अभिक्रिया वेग भी कहते है।

अभिक्रिया का वेग नियम या व्यंजक कैसे ज्ञात करते है ?

जैसा कि हम जानते है कि किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के लिए वेग व्यंजक या वेग नियम को प्रयोगों के आधार पर लिखा या ज्ञात किया जाता है , ये प्रयोग निम्न प्रकार किया जाता है।
माना लेते है कि किसी रासायनिक अभिक्रिया में दो क्रियाकारक या अभिकारक है।
  • दोनों क्रियाकारक की समान या निश्चित मात्रा (सांद्रता) लेकर अभिक्रिया का प्रारंभिक वेग का मान ज्ञात करते है। जैसे दोनों क्रियाकारको की सांद्रता का मान 0.1 मोल ले लेते है।
  • अब एक क्रियाकारक की सांद्रता को निश्चित रखते हुए दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता का मान परिवर्तित करते है और अभिक्रिया का प्रारंभीक वेग ज्ञात करते है। जैसे प्रथम क्रियाकारक की सांद्रता को 0.1 मोल ही रखते है लेकिन दुसरे की सांद्रता को 0.2 मोल कर देते है और फिर अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग का मान ज्ञात कर लेते है।
  • अब दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता को स्थिर रखते है और पहले क्रियाकारक की सांद्रता को परिवर्तित करते है और फिर अभिक्रिया का प्रारंभिक वेग ज्ञात कर लेते है। जैसे दुसरे क्रियाकारक की सांद्रता को 0.1 मोल रखते है और पहले क्रियाकारक की सांद्रता को 0.2 मोल कर देते है और फिर अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग ज्ञात कर लेते है।
उक्त आंकड़ो के आधार पर यह पता चल जाता है कि सांद्रता पर अभिक्रिया का वेग किस प्रकार निर्भर करते है और इस आधार पर अभिक्रिया वेग नियम या वेग व्यंजक ज्ञात कर लिए जाते है।