1. क्षारीय गुण : पिरोल एक दुर्बल क्षार की भांति व्यवहार करता है , इसका क्षारीय गुण N पर स्थित loan pair के कारण होता है।
N का loan pair चक्रीय अनुनाद में भाग लेता है , इस कारण यह प्रोटोनोनिकरण के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता।
फलस्वरूप पिरॉल एक दुर्बल क्षार होता हैं।
प्रश्न : पिरोल पिरिडीन की तुलना में दुर्बल क्षार होता है क्यों ?
उत्तर : इसके निम्न दो कारण है –
1. पिरोल में N पर स्थित loan pair (l.p) चक्रीय अनुनाद में भाग लेने के कारण आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता।
2. यदि पिरोल की अम्ल के साथ अभिक्रिया द्वारा इसका प्रोटोनिकरण किया जाए तो उत्पाद पिरोल धनायन में अनुनाद नहीं होता।
इस कारण पिरोल धनायन अस्थायी होता है , जिससे पिरोल का आसानी से प्रोटोनिकरण नहीं होता है।
पिरिडीन में N पर उपलब्ध loan pair चक्रीय अनुनाद में भाग नहीं लेता , इस कारण यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है , फलस्वरूप पिरिडीन अधिक क्षारीय है।
2. अम्लीय गुण : इमिनो हाइड्रोजन की उपस्थिति के कारण पिरोल अम्लीय गुण दर्शाता है , इसके अम्लीय गुण की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है –
- पिरोल में नाइट्रोजन पर स्थित loan pair चक्रीय अनुनाद में भाग लेता है जिससे N पर धनावेश आ जाता है। फलस्वरूप N परमाणु N-H बन्ध के electron अपनी ओर आकर्षित करता है जिससे H+ का निष्काशन हो जाता है।
- पिरोल से H+ निष्काशन से बना ऋणायन अनुनाद द्वारा अस्थायी हो जाता हैं।
- इस कारण पिरोल अम्लीय गुण दर्शाता है।
3. e-स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया : पिरोल एरोमेटिक electron स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया दर्शाता है।
पिरोल की एरोमेटिक electron स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति क्रियाशीलता बेंजीन व पिरिडीन की अपेक्षा अधिक होती है क्योंकि इसमें वलय में π e-घनत्व उच्च होता है।
पिरोल वलय में s सदस्य होने से इसकी वलय में π e-घनत्व बेन्जिन व पिरिडीन से अधिक होता है , इस कारण इसकी क्रियाशीलता अधिक होती है।
पिरोल में इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया स्थिति -2 (α) या स्थिति-5 पर सम्पन्न होती है इसका कारण निम्न होता है –
α स्थिति पर e-स्नेही के आक्रमण से बने धनायन (σ संकुलन ) की तीन अनुनादी संरचनाएं बनती है जिससे यह अधिक स्थायी होता है , जबकि स्थिति-3 (β) पर e-स्नेही के आक्रमण से बने धनायन की 2 ही अनुनादी संरचनाएँ बनती है जिससे यह कम स्थायी होता है।
पिरोल की एरोमेटिक इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया के उदाहरण
- क्लोरोनीकरण
- ब्रोमोनीकरण
- आयोडिनीकरण
- गाटरमान अभिक्रिया द्वारा
- विल्समेयर अभिक्रिया
7. मैनिक अभिक्रिया : पिरॉल की 2 डिग्री एमीन एवं फार्मेल्डिहाइड के साथ अम्लीय माध्यम में अभिक्रिया से 2-(N -N डाई मैथिल एमीनो ) मेथिल एमीनो मैथिल पिरोल प्राप्त होता है , इस उत्पाद को मैनिक क्षार कहते है एवं यह अभिक्रिया मेनिक अभिक्रिया कहलाती हैं।
9. मैलेइक एवं हाइड्राइड के साथ अभिक्रिया : मैलेइक एवं हाईड्राइड के साथ पिरोल electron स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया देता है , जिससे पिरोल सक्सिनिक एन हाइड्राइड बनता है।
10. होबेनहास संश्लेषण : पिरॉल की मेथिल सायनाइड से अभिक्रिया कराने पर एवं प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने पर 2-एसिटिलीन पिरोल बनता है।
11. राइटरटिमान अभिक्रिया : पिरोल की अभिक्रिया क्लोरोफोर्म के साथ क्षार की उपस्थिति में कराने को राइटरटिमान अभिक्रिया कहते हैं।
जब पिरोल को क्लोरोफॉर्म एवं क्षार के साथ गर्म किया जाता है तो राइटरटिमान अभिक्रिया के फलस्वरूप दो उत्पाद , 2-फोर्मिल पिरोल और 3-क्लोरो पिरिडीन प्राप्त होते है।
Pls add structure of molecules atom
It is chemistry not hindi