प्रश्नवाचक चिह्न के उदाहरण | प्रश्नवाचक चिह्न किसे कहते है ? परिभाषा क्या है ? उत्पत्ति वाक्य prashnavachak shabd in hindi

prashnavachak shabd in hindi , प्रश्नवाचक चिह्न के उदाहरण | प्रश्नवाचक चिह्न किसे कहते है ? परिभाषा क्या है ? उत्पत्ति वाक्य |

(5) प्रश्नवाचक चिह्न (?)

निम्न अवस्थाओं में प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग होता है.-

(क) जहाँ प्रश्न पूछा या किया जाय, जैसे-तुम क्या कर रहे हो ?

(ख) व्यंग्योंक्तियों के प्रयोग में, जैसे-यही आपका कर्तव्य है न ?

(ग) जहाँ स्थिति निश्चित न हो, जैसे-शायद आप लखनऊ के रहनेवाले हैं ?

(6) विस्मयादिबोधक चिह्न (!)

करुणा, भय, हर्ष, विषाद, आश्चर्य, घृणा आदि भावों को व्यक्त करने लिए निम्नलिखित स्थितियों से विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग होता है ।

(क) अपने से छोटों के प्रति सदभावना अथवा शुभकामना व्यक्त करने के लिए विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग किया जाता है । जैसे-तुम चिरंजीवी हो ! भगवान् तुम्हारा भला करें ।

(ख) आस्लादसूचक शब्दों, पदों एवं वाक्यों के अन्त में विस्मयादिबोधक चिहन का प्रयोग होता है । जैसेकृवाह ! तुम धन्य हो !

(ग) मन की प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए इसका प्रयोग होता है। जैसे-वाह ! वाह ! वाह ! कितना सुन्दर नृत्य किया तुमने !

(घ) अपने से बड$े लोगों के प्रति आदर का सम्बोधन देने के लिए भी इस चिहन का प्रयोग किया जाता है। जैसे-हे राम ! तेरी जय हो ।

(7) उद्धरण चिह्न (‘‘’’)

इसके दो रूप हैं-(1) इकहरा उद्धरण चिन्ह; (2) दुहरा उद्धरण चिह्न।

(क) किसी ग्रंथ से जब कोई वाक्य अथवा अवतरण उद्धृत किया जाता है, उस समय दुहरे उद्धरण चिहन का प्रयोग होता है । जब कोई विशेष पद, वाक्य खण्ड उद्धृत किये जायें उस समय इकहरा उद्धरण चिह्न लगता है ।

जैसे-

‘दिवस का अवसान समीप था,

गगन था कुछ लोहित हो चला।

तरु शिखा पर थी अब राजती,

कमलिनी, कुलवल्लभ की प्रभा ।’ -हरिऔध

‘कामायनी‘ एक महाकाव्य है।

(ख) लेखक या कवि का उपनाम, लेख का शीर्षक, पुस्तक का नाम, समाचारपत्र का नाम उद्धृत करते समय इकहरे उद्धरणचिह्न का प्रयोग होता है । जैसे- ‘निराला‘ छायावादी कवि थे। ‘आज‘ एक हिन्दी दैनिक पत्र है । ‘श्रीमद्भगवद्गीता‘ एक प्रसिद्ध धार्मिक रचना है।

(ग) महत्वपूर्ण कथन, सन्धि, कहावत इत्यादि को उद्धृत करते समय दुहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग करना चाहिए । जैसे-‘कविता हृदय की मुक्तदशा का शाब्दिक विधान है‘-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ।

(8) कोष्ठक चिह्न ()

वाक्य में प्रयुक्त पदविशेष को अच्छी तरह स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। जैसे-श्रीकृष्ण के भाई (बलराम) शस्त्र के रूप में हल धारण करते थे । धर्मराज (युधिष्ठिर) पाण्डवों के अग्रज थे।

(9) विवरण चिह्न (ः-)

किसी पद की व्याख्या करने या किसी के बारे में विस्तार से कुछ कहने के लिए विवरण चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे-

समासः– कई पदों का मिलकर एक हो जाना समास कहलाता है । इसके छः भेद होते हैं ।