विभव प्रवणता क्या है , विमा , सूत्र , potential gradient in hindi राशि , विमीय सूत्र , in electric field

potential gradient in hindi in electric field विभव प्रवणता क्या है , विमा , सूत्र , राशि , विमीय सूत्र किसे कहते है , विद्युत क्षेत्र में सम्बन्ध ?

प्रश्न : समविभव पृष्ठ किसे कहते है ? इसकी कोई तीन विशेषताएँ बताइये।

उत्तर : समविभव पृष्ठ एक ऐसा काल्पनिक पृष्ठ होता है जिसके प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव का मान समान रहता है।

समविभव पृष्ठ की निम्नलिखित विशेषताएँ होती है –

  • समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव का मान समान रहता है।
  • समविभव पृष्ठ पर स्थित किसी एक बिन्दु से परीक्षण आवेश को इसी पृष्ठ पर स्थित किसी दूसरे बिंदु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य शून्य प्राप्त होता है। यदि किसी परीक्षण आवेश को किसी बिंदु A से बिंदु B तक विस्थापित करे तो विभवान्तर –

परिक्षण आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य शून्य प्राप्त होता है क्योंकि वैद्युत बल (f) व विस्थापन (dr) परस्पर लम्बवत होते है।

  • समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की दिशा पृष्ठ के सदैव लम्बवत होती है।
  • दो समविभव पृष्ठ परस्पर एक दूसरे को प्रतिच्छेदित नहीं करते क्योंकि इस स्थिति में प्रतिच्छेदन बिंदु पर विभव के दो मान होंगे जो सम्भव नहीं है।

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E एवं विद्युत विभव (V) में सम्बन्ध (relation between electric field and electric potential) :-

 

किन्ही दो समविभव पृष्ठ जो एक दूसरे के समान्तर है , अल्प दूरी पर व्यवस्थित किये गए है जिन पर विद्युत विभव के मान क्रमशः V व (V + dV) है।  किसी परीक्षण आवेश q0 को बिंदु A से बिंदु B तक dr दूरी तक विस्थापित किया गया है , इसके द्वारा प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य W विभवान्तर के बराबर होता है –

बिन्दु B व बिंदु A के मध्य विभवान्तर –

VB – VA = W/q0

(V + dV) – V = W/q0

dV = W/q0

चूँकि W = F.dr

dV = F.dr/q0

dV = F.drCOSθ/q0

चूँकि θ = 180 , COS 180 = -1

अत:

dV = -Fdr/q0  समीकरण-1

परीक्षण आवेश q0 पर विद्युत क्षेत्र E की उपस्थिति में वैद्युत बल –

F = q0E  समीकरण-2

समीकरण-1 तथा समीकरण-2 से –

dV = -q0Edr/q0

dV = -Edr

-dV = Edr

E = -dV/dr

यहाँ dV/dr = grad V

विभव प्रवणता सदिश राशि है।

यहाँ (dV/dr) = विभव प्रवणता है।

अत: E = -gradV

अत: स्पष्ट है कि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता विभव प्रवणता के ऋणात्मक मान के बराबर होती है।

विभव प्रवणता की दिशा सदैव विद्युत क्षेत्र की दिशा के विपरीत होती है।

विद्युत द्विधुव के कारण किसी बिंदु P (r , θ) पर विद्युत विभव की गणना

वैद्युत द्विध्रुव के कारण किसी बिंदु (r , θ) पर विद्युत विभव का मान ज्ञात करने के लिए माना द्विध्रुव के मध्य बिन्दु O से प्रेक्षण बिंदु P की दूरी r है।  -q आवेश व +q आवेश की बिंदु P से दूरियाँ क्रमशः r1 व r2 है। जिनके मान ज्ञात करने के लिए भुजा OP को पीछे बढाकर बिंदु A से लम्ब AM डाला गया है।  इसी प्रकार बिंदु B से भुजा OP पर लम्ब BN है। दोनों आवेशों के कारण विद्युत विभव का मान ज्ञात करके इनका बीजीय योग करते है जो बिंदु P के विद्युत विभव के बराबर होता है।

-q आवेश के कारण बिंदु P पर विभव –

V1 = K(-q)/r1   समीकरण-1

+q आवेश के कारण बिंदु P पर विभव –

V1 = Kq/r2   समीकरण-2

बिंदु P पर कुल विभव

VP = V1 + V2

VP =  K(-q)/r1 + Kq/r2

VP = kq (-1/r2 + 1/r2)

VP = kq (-r2 + r1)/r1r2  समीकरण-3

चित्रानुसार भुजा PM = OP + OM

PM = r + OM

यदि बिन्दु M बिंदु O के समीप हो तो –

PM = r1

r= r + OM  समीकरण-4

Δ AOM से

cosθ =  आधार/कर्ण

cosθ = OM/a

OM = acosθ समीकरण-5

समीकरण-5 से मान समीकरण 4 में रखने पर –

r= r + acosθ  समीकरण-6

चित्रानुसार

OP = ON + NP

r = ON + NP

यदि N बिंदु O के समीप हो –

PN = r2

r = ON + r2  समीकरण-7

Δ OBN से –

cosθ = ON/a

ON = acosθ समीकरण-8

समीकरण-8 से मान समीकरण-7 में रखे –

r = acosθ + r2

r2 = r – acosθ समीकरण-9

समीकरण-6 व समीकरण-9 से मान समीकरण-3 में रखने पर –

VP = kq [-(r – acosθ) + (r + acosθ)]/(r + acosθ)(r – acosθ)

VP = kq [-(r – acosθ) + (r + acosθ)]/(r2 –a2cos2θ)

Vp = kq[2a cosθ/( r2 –a2cos2θ)]

चूँकि r2>>>aतो P = q x 2a

Vp = KPcosθ/r2

यदि θ = 0

Vअक्ष  = KP/r2

यदि θ = 90

Vनिरक्ष = 0

विभव प्रवणता के रूप में विद्युत (electric field as a gradient of potential ) : माना एक बिंदु आवेश +q बिंदु O पर रखा है और इससे r दूरी पर बिंदु P पर विद्युत विभव V और (r – dr) दूरी पर स्थित बिंदु Q पर विभव (V + dV) है।

यदि एक अत्यंत सूक्ष्म परिक्षण आवेश q0 को P से Q तक ले जाने में किया गया कार्य dW है तो –

(V + dV) – V = dW/q0

या

dV = dW/q0  . . . . .. . . समीकरण-1

P बिंदु पर +qआवेश पर लगने वाला बल –

F = q0E  (OP दिशा में)

अत: इस बल के विरुद्ध dr विस्थापन देने में अर्थात P से Q तक qआवेश को ले जाने में कृत कार्य –

dW = F.dr

dW = F.dr.cos180 = -F.dr

लेकिन F = q0.E

चूँकि dW = -q0.E.dr

या

dW/q = -E.dr . . . . … समीकरण-2

समीकरण-1 और समीकरण-2 से –

dV = -E.dr

या

E = -dV/dr

अर्थात किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता उस बिंदु पर ऋणात्मक विभव प्रवणता के बराबर होती है।

ऋण चिन्ह यह दर्शाता है कि विद्युत क्षेत्र E की दिशा सदैव उच्च विभव से निम्न विभव की ओर अर्थात विभव  के घटने की दिशा में होती है। विभव प्रवणता एक सदिश राशि है। जिसकी दिशा विद्युत क्षेत्र E की विपरीत दिशा में अर्थात विभव बढ़ने की दिशा में होती है।

प्रश्न : दो कणों पर आवेश q1 व q2 है। जब वे कुछ दूरी पर रखे जाते है तो उनके मध्य बल F लगता है। यदि उन कणों के मध्य दूरी आधी कर दी जाए और प्रत्येक कण पर आवेश दुगुना कर दिया जाए तो कणों के मध्य बल कितना होगा ?

उत्तर : 16F