दोनों बिन्दुओं या जगहों के मध्य दाब का अंतर जितना अधिक होगा , द्रव उतने ही अधिक वेग से बहता है।
माना किन्ही दो बिन्दुओं का दाब क्रमश: P1 तथा P2 है तथा इस दाब में अंतर के कारण तरल या द्रव Q दर से बहने लगता है तो इनके आपस के सम्बन्ध को निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित करते है –
यहाँ P2 उच्च दाब बिंदु तथा P1 निम्न दाब बिंदु तथा Q = द्रव या तरल की प्रवाह दर , R = द्रव के प्रवाह के मार्ग में बाधा या प्रतिरोध का मान।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस द्रव या तरल की श्यानता का मान जितन अधिक होता है उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होता है जिससे अधिक श्यानता वाले द्रव का प्रवाह बहुत धीमी गति से होता है।
जिस नली का लम्बाई अधिक होती है उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होता है तथा जब किसी नली के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल को बढाया जाता है तो इसका प्रतिरोध का मान कम हो जाता है क्यूंकि द्रव का प्रवाह आसानी से हो सकता है अर्थात द्रव के मार्ग में बाधा कम होती है।
किसी द्रव या तरल के लिए यदि श्यानता का मान शून्य होता है तो उस द्रव को घर्षणरहित तरल कहा जाता है और इसके लिए प्रतिरोध का मान शून्य होता है।
जब कोई द्रव किसी r त्रिज्या वाली नली से बह रहा है , नली की लम्बाई l है तथा द्रव की श्यानता का मान n है तो क्षैतिज में इस द्रव के रेखीय प्रवाह में उत्पन्न प्रतिरोध या बाधा का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
इस समीकरण को द्रव के मार्ग में प्रतिरोध के लिए प्वॉइजली का समीकरण कहते है।