(intermolecular forces in hindi) अन्तराण्विक बल , अंतर आणविक बल , अंतरा आणविक बल , अंतरा अणुक बल : प्रत्येक अणु में उपस्थित परमाणु आपस में रासायनिक बंधो के द्वारा जुड़े हुए रहते है , और इन रासायनिक बंधो को तोड़ने के लिए बाह्य ऊर्जा की आश्यकता होती है इस बाह्य ऊर्जा को बंध ऊर्जा कहते है जिसके द्वारा रासायनिक बंध को तोडा जा सकता है।
उदाहरण : जैसा की हम जानते है कि जल में O-H रासायनिक बंध पाया जाता है , इस रासायनिक बन्ध को तोड़ने के लिए औसतन लगभग 463 किलोजूल प्रति मोल बन्ध ऊर्जा की आवश्यकता होती है अर्थात 463 किलो जुल ऊर्जा से लगभग O-H के .023×1023 बंधो को तोडा जा सकता है।
वह बल जो अणुओं को आपस में बांधे रखता है या जोड़े रखता है उन बलों को अंतरा आणविक बल कहते है।
अणुओं के मध्य यह अन्तराण्विक बल आकर्षण या प्रतिकर्षण किसी भी प्रकृति का हो सकता है।
जब दो अणु आपस में एक दुसरे को धकेलते है या एक दुसरे से दूर जाने का प्रयास करते है तो इस प्रकार के बल को प्रतिकर्षण प्रकृति का अंतर आणविक बल कहते है।
तथा जब दो अणु आपस में एक दुसरे को आकर्षित करते है अर्थात एक दुसरे के पास आने के प्रयास करते है तो इस प्रकार के बल को आकर्षण प्रकृति का अंतरा अणुक बल कहते है।
क्या आप जानते है की दो अणुओं के मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल कब कार्य करता है ?
माना आणविक व्यास σ है तथा दो अणुओं के मध्य की दूरी r हो तो आकर्षण या प्रतिकर्षण निम्न शर्तों के आधार पर ज्ञात किया जा सकता है –
1. जब r ≥ 4σ हो तो अणुओं के मध्य न तो आकर्षण बल कार्य करता है और न ही प्रतिकर्षण बल कार्य करता है।
2. जब σ ≥ r ≥ 4σ हो तो अणुओं के मध्य आकर्षण प्रकृति का बल कार्य करता है , जिस अधिकतम दूरी तक दो अणु एक दुसरे को आकर्षित कर सकते है उस दूरी को आणविक परास कहते है।
3. जब r ≥ σ हो तो अणुओं के मध्य प्रतिकर्षण बल कार्य करता है।