प्रकाश संश्लेषण : इसे photosynthesis के नाम से जाना जाता है तथा यह क्रिया एक रेडोक्स क्रिया होती है क्योंकि इस क्रिया के अन्तर्गत ऑक्सीकरण तथा अपचयन एक साथ संपन्न होत्ते है।
उपरोक्त क्रिया सम्पूर्ण पादप जगत के सभी सदस्यों में संपन्न होती है [कुछ अपवादी को छोड़कर]
संपन्न होने वाली यह क्रिया निम्न प्रकार से है –
6CO2 + 6H2O ——> C6H12O6 + 6O2
सामान्यत: प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पादप जगत के प्रत्येक सदस्य में संपन्न होती है [केवल कुछ अपवादों के अलावा]
पादप जगत के प्रत्येक सदस्य में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया सामान्यत: पादप के हरे भाग में संपन्न होती है तथा पादप के हरे भाग का निर्माण एक विशिष्ट संरचना हरितलवक के कारण होता है।
सामान्यत: हरितलवक उच्च वर्गीय पादपो की पत्तियों में पाए जाने वाली Mesophyl कोशिकाओं में पायी जाती है तथा पाए जाने वाले हरितलवक की संख्या प्रति mesophyl कोशिका 20-40 होती है।
एक हरितलवक की संरचना का अध्ययन किये जाने पर निम्न संरचनाएं पायी जाती है –
1. प्रत्येक हरित लवक में दोहरी झिल्ली पायी जाती है जो संगठित रूप से लाइकोप्रोटीन से निर्मित होती है। [लिपिड + प्रोटीन]
2. पायी जाने वाली दोनों झिल्लियो के मध्य रिक्त स्थान पाया जाता है जिसे परिकला अवकाश के नाम से जाना जाता है या membrane space के नाम से जाना जाता है।
3. पायी जाने वाली दोनों झिल्लियां क्रमशः बाह्य तथा आंतरिक झिल्ली के नाम से जानी जाती है।
4. उपस्थित दोनों झिल्लियो में से बाहरी झिल्ली प्रोटीन के लिए पारगम्य होती है परन्तु आंतरिक झिल्ली प्रोटीन के लिए अपारगम्य होती है।
5. हरित लवक के आन्तरिक भाग निम्न प्रमुख दो भाग पाए जाते है जिन्हें Stroma तथा Granna के नाम से जाना जाता है।
6. पाए जाने वाले stroma भाग के द्वारा हरित लवक के आधारी भाग का निर्माण किया जाता है। स्ट्रोमा भाग को पीढीका के नाम से भी जाना जाता है।
7. हरित लवक के स्ट्रोमा भाग में तरल प्रोटीन युक्त विषमांगी द्रव/पदार्थ भरा रहता है जिसमे मुख्यतः निम्न संरचनाएं पाई जाती है –
(A) 70-s ribosome
(B) छोटा द्विकुंडलित वृत्ताकार डीएनए
(C) अनेक प्रकार के एंजाइम
(D) धुलित लवण
(E) स्टार्च तथा लिपिड की कणिकाएं व ,
(F) विशिष्ट रूप से osmophilic बुँदे पाई जाती है।
8. हरित लवक के आधारी भाग में नलिकानुमा संरचना पायी जाती है जिसे स्ट्रोमा lamellae के नाम से जाना जाता है या इसे स्ट्रोमा पट्टिका के नाम से भी जाना जाता है।
9. सम्पूर्ण हरित लवक में कुछ स्थानों पर यह नलिका नुमा संरचना कुंडलित होकर एक सिक्के नुमा आकृति का निर्माण करती है जो thylokoid या कोष तुल्य के नाम से जानी जाती है।
10. पाए जाने वाले कोष तुल्य एक दुसरे पर व्यवस्थित होकर एक बहुमंजिला संरचना का निर्माण करते है जिसे Granna के नाम से जाना जाता है।
11. प्रत्येक thylokoid की आंतरिक सतह पर एक कणिकीय पदार्थ पाया जाता है जो संख्या में अधिक होते है तथा पाए जाने वाले प्रत्येक कणिकीय पदार्थ को Quantasome के नाम से जाना जाता है।
12. प्रत्येक Quantasome के द्वारा सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणों को ग्रहण किया जाता है तथा इनके द्वारा इस सौर ऊर्जा को फोटोन के रूप में ग्रहण किया जाता है अत: प्रत्येक हरितलवक के Granna (ग्रेना) भाग को प्रकाश संश्लेषण का स्थल कहा जाता है।
नोट : हरित लवक के Quanta some भाग के द्वारा सामान्यत: सूर्य से आने वाले प्रकाश की नीली बैंगनी तथा लाल विकिरणों को अधिक मात्रा में अवशोषित किया जाता है अर्थात प्रकाश संश्लेषण हेतु सामान्यत: इन्ही प्रकार की विकिरणों का उपयोग किया जाता है। इनकी तरंग दैधर्यता मुख्यतः 400 से 700 nm के मध्य पायी जाती है इसे PAR (photosynthetically active radiation) के नाम से जाना जाता है।
नोट : सन 1963 में दो वैज्ञानिक Park तथा Pan के द्वारा कोष तुल्य की आंतरिक परत पर सूक्ष्म गोलाकार संरचनाओं की खोज की जिन्हें Quanta some के नाम से जाना जाता है तथा इन वैज्ञानिको के द्वारा इसके आन्तरिक संघटन की खोज की गयी जिनके अनुसार Quantasome में 230 कोलोरोफिल या हरितलवक + 48 carotenoid + 46 Quinone+ 116 फोस्फोलिपिड पाए जाते है।
प्रत्येक quanta some में पाए जाने वाले 230 क्लोरोफिल के वर्णको में 170 अणु क्लोरोफिल – A के तथा 60 अणु क्लोरोफिल -B के पाए जाते है।