ग्रसनी व ग्रासनाल क्या है ? pharynx and oesophagus in hindi किसे कहते है , कार्य , संरचना in english

pharynx and oesophagus in hindi किसे कहते है , कार्य , संरचना in english , ग्रसनी व ग्रासनाल (esophagus) क्या है ? इनके भाग meaning in english ?

ग्रसनी (Pharynx) : यह मुख गुहा , नासा गुहा , यूस्टेकियन नलिका , ट्रेकिया और ग्रसिका का जंक्शन है। ट्रेकिया एक aperture द्वारा ग्रसनी में खुलता है जिसे कण्ठ द्वार कहते है। निगलदार ग्रसनी की तरफ ग्रसिका का छिद्र है। निगलदार कण्ठद्वार के पृष्ठ पर स्थित होता है। कण्ठद्वार एक उपास्थिल संरचना एपिग्लोटिस द्वारा रक्षित होता है। जो कि लचीली उपास्थि द्वारा बना होता है।

ग्रासनाल (oesophagus) : यह नलिकाकार Passage है। इसका अग्र (1/3 rd) भाग कंकालीय पेशियों से बना होता है। पश्च (2/3 rd) भाग चिकनी पेशियों से बना होता है। Tunica adventitia (संयोजी उत्तकों का लचीला आवरण) सीलोम में ग्रास नलिका भाग में उपस्थित होता है। सिरोसा अनुपस्थित , पाचक ग्रंथियाँ उपस्थित नहीं होती (कुछ म्यूकस ग्रंथि को छोड़कर) |

आमाशय : यह आहारनाल का सबसे चौड़ा भाग है। यह खोखला और J आकार न अंग होता है। इसमें कम घुमाव पाया जाता है। और घुमाव छोटा होता है और यह कम घुमाव (lesser curvature) आमाशय के पश्च सतह पर पाया जाता है। और greater curvature (अधिक घुमाव) आमाशय की अग्र सतह पर होता है। पेरिटोनियम वलन जो कि आमाशय को पश्च उदर भित्ति से जोड़ता है ग्रेटर ओमेन्टम कहलाता है। यह वसा संग्रह करता है। अमाशय का भाग जो कि ग्रासनाल के साथ नियमित होता है कार्डियक भाग कहलाता है। फन्ड्स भाग पाशर्व में कार्डियक भाग से शुरू होता है। आमाशय का मुख्य भाग बॉडी है। आमाशय का दूरस्थ सिरा पाइलोरिक भाग कहलाता है।

पाइलोरिक भाग पाइलोरिक एंट्रम और पाइलोरिक नाल में विभाजित होता है। यह बाद में ग्रहणी में खुलता है। पाइलोरिक कपाट आमाशय और ग्रहणी के मध्य की ओपनिंग को रक्षित करता है तथा समय समय पर आंशिक पचे हुए भोजन को अमाशय से ग्रहणी में प्रवेश करने देता है।

आमाशय अंडाकार और पाउच जैसी संरचना है जो कार्डियक , फण्डिक और पाइलोरिक भाग में विभाजित होता है। कार्डियक अवरोधक ग्रहणी में ग्रासनलिका की ओपनिंग पर उपस्थित होता है तथा ग्रासनलिका में पुनः भोजन के उगलने को रोकता है।

पाइलोरिक भाग छोटी आंत्र में खुलता है तथा यह ओपनिंग पाइलोरिक अवरोधनी द्वारा रक्षित होती है। आमाशय की भित्ति में पेशियों की तीन परतें पायी जाती है।

1. अनुदैधर्य परत

2. वृत्ताकार परत

3. तिर्यक परत

इसमें कार्डियक , फंडिक और पाइलोरिक ग्रंथियाँ पायी जाती है। केवल फंडिक ग्रंथि गैस्ट्रिक रस का स्त्रावण करती है। यह neck cells (म्यूकस स्त्रावण करती है। ) , ऑक्जेंटिक कोशिका या पैराइटल कोशिका (B12 के अवशोषण के लिए castle’s intrinsic factor और एचसीएल स्त्रावित करती है।) से बनी होती है। जठर रस का एचसीएल Fe3+ में परिवर्तित कर देता है।  जो कि आयरन अवशोषण को संभव बनाता है। एचसीएल का अधोस्त्रावण या gastrectomy से आयरन अधिकता एनिमिया हो सकता है।

ruminant stomach , जुगली करने वाले जन्तु (स्तनी पशु को खाना जुगली करते है। ) जैसे मवेशी भैंस , गाय , भेड़ , बकरी आदि की आमाशय Rumen , रेटिकुलम ओमेसम तथा abomasum में विभाजित होती है।

ऊँट , हिरण में हालाँकि ओमेसम नही होता है।

Rumen सबसे बड़ा कोष्ठ होता है। एबोमेसम ग्रहणी को जोड़ता है। जठर ग्रन्थियां केवल abomasum में ही पायी जाती है। इस प्रकार प्रथम तीन प्रकोष्ठ जठर रस स्त्रावित नहीं करते है।

Rumen और reticulum में ruminococcus जैसे सैल्यूलोलायटिक बैक्टीरिया बड़ी संख्या में पाए जाते है। जो सैल्यूलोज के किण्वन के लिए सेल्युलेज एंजाइम स्त्रावित करती है। सैल्यूलोज छोटी श्रृंखला वाले वसीय अम्लों में सरलीकृत की जाती है।

रेटिकुलम में food bolus , cud (जुगाली) कहलाता है। यह मुख ग्रहिका में विपरीत क्रमाकुंचन द्वारा उगला जाता है इसलिए ये cud chewing vertebrates (कडब चबाने वाले कशेरुक) कहलाते है।

अर्द्धतरल भोजन पुनः निगल लिया जाता है और ओमेसम में पहुँचता है।

जल और बाइकार्बोनेट अवशोषित कर लिए जाते है और भोजन सांद्रित (गाढ़ा) हो जाता है। abomasum (जठरान्त) वास्तविक आमाशय है और यह प्रोटीन के पाचन के लिए जठर रस (HCL और पेप्सिन युक्त) स्त्रावित करता है। रुमन , रेटिकुलम और ओमेसम ग्रासनाल के रूपांतरित भाग है और पाचक रस का स्त्रावण नहीं करते है।

जठर ग्रंथियाँ

1. कार्डियक ग्रंथि : आमाशय के कार्डियक भाग में पाई जाती है और श्लेष्मा स्त्रावण में शामिल है।
2. पाइलोरिक ग्रंथि : यह आमाशय के पाइलोरिक भाग में पायी जाती है और मुख्यतः श्लेष्मा और हार्मोन उत्पन्न करती है।
3. फन्डिक ग्रंथि : मुख्य जठर ग्रंथि है। यह मुख्य रूप से जठर रस उत्पन्न करती है। उदाहरण : पेप्सीनोजन , एचसीएल और श्लेष्मा भी उत्पन्न करती है।
फंडिक ग्रंथि में निम्न प्रकार की कोशिकाएँ उपस्थित होती है –
  • श्लेष्मा कोशिका : ये श्लेष्मा उत्पादक कोशिकाएँ है। मुख्यतः ग्रंथि के neck क्षेत्र में पायी जाती है।
  • चीफ कोशिका : जाइमोजन या पेप्टिक कोशिका भी कही जाती है। प्रोपेप्सिन (पेप्सीनोजन) और प्रोरेनिन स्त्रावित करती है। चीफ कोशिका मुख्यतः ग्रंथि के आधार भाग में पायी जाती है।
  • ऑक्सीन्टिक कोशिका (oxyntic कोशिका) : कार्डियक और पाइलोरिक आमाशय में अनुपस्थित होती है। ये ग्रंथि की कोशिकाओं के बीच बीच में पायी जाती है और इसे पैराइटल कोशिका भी कहा जाता है और एचसीएल स्त्रावित करती है।
4. अंतरस्त्रावी कोशिका : मुख्यतः पाइलोरिक आमाशय की जठर ग्रंथि के आधार भाग में पायी जाती है। G कोशिकाएं गैस्ट्रिन हार्मोन पैदा करती है। जठर रस का स्त्रावण , गैस्ट्रिन हार्मोन वेगस तंत्रिका और हिस्टामिन द्वारा नियंत्रित करता है। गैस्ट्रिन हार्मोन जठर स्त्रावण और जठर क्रियाओं को बढाता है और argentaffin cells , सिरोटोनिन , सोमेटोस्टनिन और हिस्टामिन पैदा करती है।