papaveraceae family in hindi poppies flower in hindi पैपेवरेसी कुल क्या है लक्षण गुण प्रकार ?
कुल : पैपेवरेसी (Family : papaveraceae) :
वर्गीकृत स्थिति : बेन्थैम और हुकर पद्धति के अनुसार –
प्रभाग – एन्जियोस्पर्मी
उपप्रभाग – डाइकोटीलिडनी
वर्ग – पोलीपेटेली
श्रेणी – थेलेमीफ्लोरी
गण – पेराइटेल्स
कुल – पैपेवरेसी
पैपेवरेसी के विशिष्ट लक्षण (salient features of papaveraceae)
- प्राय: एकवर्षी शाक , कुछ सदस्य बहुवर्षी क्षुप।
- सफ़ेद , पीला अथवा नारंगी रंग का लेटेक्स उपस्थित।
- पर्ण एकान्तरित , अननुपर्णी , सम्पूर्ण अथवा पिच्छाकार विभाजित।
- पुष्पक्रम अधिकतर एकल अन्तस्थ।
- पुष्प द्विलिंगी , नियमित , शोभाकार , त्रिज्यासममित द्वि से त्रितयी , जायांगधर।
- बाह्यदल 2 अथवा 3 , शीघ्रपाती अथवा आशुपाती , कोरछादी।
- दलपुंज द्विचक्रिक , प्रत्येक चक्र में 2 अथवा 3 (द्वि अथवा त्रितयी चक्र) , कोरछादी।
- पुंकेसर असंख्य , स्वतंत्र बहिर्मुखी।
- जायांग द्वि से बहुअंडपी , युकांडपी , भित्तिय बीजाण्डन्यास , अंडाशय उधर्ववती
- फल केप्सूल , बीज भ्रूणपोषी , भ्रूणपोष तैलीय।
प्राप्तिस्थान और वितरण (occurrence and distribution)
पैपेवरेसी एक छोटा कुल है जिसमें लगभग 26 वंश और 200 जातियाँ सम्मिलित है। इस कुल के पादप मुख्यतः उत्तरी शीतोष्ण प्रदेशों में फैले है। पैपेवर नूडीकाले अर्थात आइसलैंड पॉपी ध्रुवीय प्रदेशों , ग्लोसियम लुटियम रेतीले समुद्री किनारों पर जबकि आर्जिमोन मेक्सिकाना उष्ण प्रदेशों में पाया जाता है। भारत में इस कुल के 5 वंश और 20 जातियाँ पायी जाती है।
कायिक लक्षणों का परास (range of vegetative characters)
प्रकृति और आवास : अधिकांश पादप शाक होते है जैसे पैपेवर , आर्जिमोन और एस्कोल्जिया आदि। बोकोनिया की कुछ जातियाँ क्षुप होती है जबकि बोकोनिया आरबोरिया एक छोटा वृक्ष होता है। सेंग्यूनेरिया केनाड़ेंसिस में एक मोटा प्रकन्द होता है जिससे प्रत्येक वर्ष एक पर्ण और एक स्केप उत्पन्न होता है।
मूल : मूसला मूल और शाखित , रबर क्षीर उपस्थित।
तना : प्राय: उधर्व , शाकीय जैसे – पैपेवर यदाकदा काष्ठीय जैसे – बोकोनिया। सेंग्युनेरिया केनाड़ेंसिस में प्रकन्द के रूप में होता है। तने में सफ़ेद , पीला अथवा नारंगी लेटेक्स उपस्थित। ग्लोसियम में प्ररोह मोम की सतह से ढका रहता है।
पर्ण : पर्ण एकान्तरित , अननुपर्णी , अवृंत अथवा सवृन्त , पूर्ण अथवा पालियुक्त और पिच्छाकार रूप से विभाजित आर्जिमोन में पर्ण तट पर तीखे शूल उपस्थित , जालिकावत शिरा विन्यास।
पुष्पीय लक्षणों का परास (range of floral characters)
पुष्पक्रम : पुष्प विन्यास विविध प्रकार का होता है –
(i) एकल शीर्षस्थ : पैपेवर और आर्जिमोन में।
(ii) ससीमाक्ष : मेकोनोप्सिस में।
(iii) असीमाक्ष पुष्प गुच्छ : बोकोनिया में।
(iv) पुष्पपत्री गुच्छों में : चेलीडोनियम में।
पुष्प : पुष्प बड़े और शोभाकारी जैसे – पैपेवर और एस्कोल्जिया में अथवा छोटे जैसे – बोकोनिया में , असहपत्री पूर्ण , उभयलिंगी , त्रिज्यासममित , द्वि अथवा त्रितयी , अर्धचक्रिक सामान्यतया जायांगधर लेकिन एस्कोल्जिया में परिजायांगी।
बाह्यदल पुंज : 2 अथवा बाह्यदल , स्वतंत्र , आशुपाती अर्थात पुष्प कलिका के खिलने के साथ ही गिर जाते है। एस्कोल्जिया में बाह्यदल शक्वांकार टोपी के समान होता है जो पुष्पकलिका के खिलने के समय उसी रूप में टूट कर अलग हो जाता है।
दलपुंज : दल आकार में बड़े , भड़कीले , 2-2 अथवा 3-3 दलों के दो चक्र (द्वि अथवा त्रितयी दो चक्र) , स्वतंत्र , कोरछादी विन्यास , बोकोनिया में दल अनुपस्थित होते है।
कलिका में सामान्यतया दल अतिवलित होते है।
पुमंग : पुंकेसर असंख्य , कई एकान्तरित चक्रों में व्यवस्थित , पृथक पुंकेसरी , परागकोश द्विकोष्ठी आधार लग्न , बहिर्मुखी , लम्बवत स्फुटन।
जायांग : 2 से असंख्य अंडप , युक्तांडपी , उधर्ववर्ती अंडाशय , बीजाण्डन्यास भितिलग्न। एस्कोल्जिया में अंडाशय अर्ध उधर्ववर्ती होता है।
फल और बीज : प्राय: सम्पुट फल पाया जाता है। बीज गोलाकार अथवा अंडाकार , तैलीय भ्रूणपोष मुक्त होते है।
परागण : भड़कीले दलपुंज होने के कारण किट परागण।
पुष्पसूत्र :
आर्जिमोन –
ऐस्कोल्जिया –
आर्थिक महत्व (economic importance)
I. शोभाकारी पादप (ornamental plants) –
- पैपेवर रोहिआस – गार्डन पॉपी।
- एस्कोल्जिया केलिफोर्निका : केलिफोर्नियन पॉपी।
- डाइसेन्ट्रा क्राइसेंथा स्वर्ण कली।
II. औषधीय पादप (medicinal plants) :
- पैपेवर सोम्नीफेरम : अफीम।
इसके अपरिपक्व फलों से प्राप्त लेटेक्स में मोर्फिन और कोडीन एल्केलाइड होते है। इसे दर्द निवारक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसके बीज ठंडाई के रूप में प्रयुक्त होते है जिसे “पोस्त दाना” कहते है।
2. सेंग्यूनेरिया केनाड़ेंसिस के शुष्क प्रकन्द से सेग्यूनेरीन औषधि प्राप्त होती है जो अजीर्ण में प्रयुक्त होती है।
III. तेल (oil) :
आर्जिमोन मेक्सिकाना – सत्यानाशी। इसके बीजों से तेल प्राप्त होता है , जो जलाने के काम आता है। इसके तेल को सरसों के तेल में मिलावट के लिए भी प्रयुक्त करते है जिससे “गेगरीन” नामक रोग होता है।
पैपेवरेसी कुल के प्रारूपिक पादप का वानस्पतिक विवरण (botanical description of representative plant of papaveraceae)
पैपेवर रोहिआस (papaver rhoeas) :
- स्थानीय नाम – गार्डन पॉपी।
- प्रकृति – वार्षिक शाक , सजावटी पादप।
- जड़ – मूसला मूल , शाखित।
- तना – उधर्व , शाकीय , बेलनाकार , यदाकदा शाखित , रोमिल , दुधिया लेटेक्स उपस्थित।
- पत्ती – सरल , स्तम्भिक और शाखीय , एकांतर , अवृंत , स्तम्भलिंगी , आधारी पत्तियाँ पालित , पालियाँ क्रकची और निशिताग्र , एकशिरीय जालिका रुपी शिरा विन्यास युक्त।
- पुष्प – एकल अन्तस्थ।
- पुष्प – असहपत्री , सवृंत , त्रिज्यासममित , पुष्पवृंत लम्बा और रोमिल , उभयलिंगी , जायांगधर , द्वितयी , पूर्ण , चक्रीय।
- बाह्यदलपुंज – बाह्यदल 2 , अग्र पश्च , पृथक बाह्यदली , आशुपाती , रोमिल कोरछादी।
- दलपुंज – दल 4 , 2-2 के दो चक्रों में व्यवस्थित , पृथकदली कलिका अवस्था में अतिवलित , आशुपाती।
- पुमंग – पुंकेसर असंख्य , स्वतंत्रत , दो अथवा तीन चक्रों में विन्यासित , आधारलग्न , द्विपालित , बहिर्मुखी।
- जायांग – बहुअंडपी , युक्तांडपी , अंडाशय उधर्ववर्ती , एककोष्ठकी , भित्तिय बीजाण्डन्यास , वर्तिका अनुपस्थित , वर्तिकाग्र छत्र तुल्य।
- फल – स्फुटनशील सम्पुट।
- पुष्पसूत्र –
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1 : लेटेक्स उपस्थित होता है –
(अ) रेननकुलेसी में
(ब) क्रुसीफेरी में
(स) माल्वेसी में
(द) पैपेवरेसी में
उत्तर : (द) पैपेवरेसी में
प्रश्न 2 : पैपेवरेसी कुल में बीजाण्डन्यास पाया जाता है –
(अ) अक्षीय
(ब) भित्तीय
(स) आधारी
(द) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर : (ब) भित्तीय
प्रश्न 3 : अफीम का स्रोत है –
(अ) आर्जिमोन
(ब) डाइसेन्ट्रा
(स) पैपेवर
(द) एस्कोल्जिया
उत्तर : (स) पैपेवर
प्रश्न 4 : निम्नलिखित में तेल का स्रोत है –
(अ) आर्जिमोन
(ब) रेननकुलस
(स) पैपेवर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर : (अ) आर्जिमोन
प्रश्न 5 : असंख्य पुंकेसर पाए जाते है –
(अ) लेमिएसी में
(ब) सोलेनेसी में
(स) पैपेवरेसी में
(द) ग्रेमिनी में
उत्तर : (स) पैपेवरेसी में